मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackrey) ने राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी (Bhagat singh Koshyari) के पत्र का जवाब देते हु्ए कहा कि पत्र में मेरे हिंदुत्व का उल्लेख करना गलत है। हिंदुत्व के लिए मुझे आपकी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने ये भी सवाल किया कि क्या कोश्यारी के लिए हिंदुत्व का मतलब केवल धार्मिक स्थलों को पुन: खोलने से है और क्या उन्हें नहीं खोलने का मतलब धर्मनिरपेक्ष होना है।
ठाकरे ने कहा कि क्या धर्मनिरपेक्षता संविधान का अहम हिस्सा नहीं है, जिसके नाम पर आपने राज्यपाल बनते समय शपथ ग्रहण की थी।
उन्होंने कहा कि लोगों की भावनाओं और आस्थाओं को ध्यान में रखने के साथ साथ, उनके जीवन की रक्षा करना भी अहम है। लॉकडाउन अचानक लागू करना और समाप्त करना सही नहीं है।
दरअसल महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव सिंह ठाकरे को एक पत्र लिखा है, जिसपर विवाद शुरू हो गया। बात सेक्युलरिज़्म और हिंदुत्व पर पहुंच गई।
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर राज्य में पूजा स्थल फिर से खोलने की मांग की है। इसके लिए राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को उनके पिछले टेलीविजन संबोधन की भी याद दिलाई है।
राज्यपाल कोश्यारी ने उद्धव को लिखे पत्र में कहा कि विगत तीन महीनों में मुझसे पूजा स्थलों को खोलने की मांग को लेकर कई प्रतिनिधिमंडलों ने मुलाकात की है। इनमें राजनेता और एनजीओ भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि एक तरफ राज्य सरकार ने बार, रेस्टोरेंट और बीच लोगों के लिए खोल दिए हैं, वहीं पूजा स्थलों को अभी भी खुलने का इंतजार है।
उन्होंने उद्धव को याद दिलाया कि आपने 1 जून को अपने संबोधन में 'मिशन बिगेन अगेन' अर्थात पुनश्च हरिओम की बात कही थी। राज्यपाल ने पत्र में कहा कि आप हिन्दुत्व के प्रबल पक्षधर रहे हैं। भगवान राम के प्रति श्रद्धा की बात भी आप सार्वजनिक रूप से करते हैं। आप अयोध्या और पंढरपुर में विट्ठल-रुक्मणि में पूजा कर चुके हैं।
राज्यपाल ने अपने खत में इस बात पर आश्चर्य जताया कि उद्धव अचानक धर्मनिरपेक्ष हो गए हैं, जिस शब्द से वे कभी घृणा करते थे। कोश्यारी ने कहा कि भारत की राजधानी दिल्ली में भी 8 दिसंबर से धार्मिक स्थलों को खोला जा चुका है। अन्य राज्यों में पूजा स्थल खोल दिए गए हैं। अत: महाराष्ट्र में भी फिर से पूजा स्थल खोले जाने चाहिए।