नई दिल्ली। मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र की संस्था ने मंगलवार को कहा कि वह सुनवाई-पूर्व हिरासत में 84 वर्षीय आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी की मृत्यु होने से बहुत दुखी और परेशान है।
इसने कहा कि मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त (यूएनएचसीएचआर) मिशेल बाशेलेत और संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र विशेषज्ञों ने पादरी स्वामी और 15 अन्य के मामले को भारत सरकार के समक्ष पिछले 3 वर्ष में उठाया था तथा हिरासत से उनकी रिहाई की आग्रह किया था। एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले के सिलसिले में पिछले साल गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार स्वामी की सोमवार को मुंबई के एक अस्पताल में मृत्यु हो गई।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त की प्रवक्ता लिज थ्रोस्सेल ने कहा कि भारत के गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत 2020 में गिरफ्तारी के बाद 84 वर्षीय फादर स्टेन स्वामी की मुंबई में मृत्यु हो जाने से हम बहुत दुखी हैं।
उन्होंने एक बयान में कहा कि फादर स्टेन को गिरफ्तारी के बाद से बगैर जमानत के सुनवाई-पूर्व हिरासत में रखा गया,2018 में हुए प्रदशनों को लेकर आतंकवाद से जुड़े आरोप लगाए गए। प्रवक्ता ने कहा कि स्वामी मुख्य रूप से आदिवासियों और हाशिए पर मौजूद अन्य समुदायों के अधिकारों के समर्थक थे। उन्होंने कहा कि उच्चायुक्त ने मानवाधिकार उल्लंघन करने के सिलसिले में यूएपीए के इस्तेमाल को लेकर भी चिंता जताई है, एक ऐसा कानून जिसे फादर स्टेन स्वामी ने मरने से पहले भारतीय अदालत में चुनौती दी थी।(भाषा)