उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स ने अन्तर्राज्यीय स्तर पर अवैध मादक पदार्थ की तस्करी करने वाले गिरोह के 5 तस्कर गिरफ्तार किए हैं। एसटीएफ टीम ने आरोपियों के कब्जे से ढाई करोड़ रुपए की कीमत का गांजा बरामद किया है। एसटीएफ टीम ने जो पांच आरोपी अपनी हिरासत में लिए हैं उनके नाम मोहसिन, वसीम, आकिल, मुकीम और नसीम है और यह सभी मुरादाबाद के रहने वाला हैं। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से एक ट्रक और एक स्कॉर्पियो कार भी बरामद की है। पांचो आरोपियों को बनारस से हिरासत में लिया गया है।
यूपी एसटीएफ के आईजी अमिताभ यश ने बताया कि उत्तर प्रदेश में लगातार अलग-अलग इलाकों से ड्रग्स की तस्करी की जानकारी मिल रही थीं, जिसके बाद डिप्टी एसपी डॉ. राकेश कुमार मिश्रा की अगुवाई में इन तस्करों की गिरफ्तारी के लिए अभियान चलाया गया। एसटीएफ टीम को सूचना मिली कि आंध्र प्रदेश के रास्ते उत्तर प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में भारी मात्रा में ड्रग्स की सप्लाई की जी रही है।
एसटीएफ टीम को खुफिया जानकारी मिली कि आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम से ट्रक संख्या यूपी सीएन-5495 में बनी कैविटी में छिपाकर गांजा लाया जा रहा है, जो यूपी में कही सप्लाई किया जाना था, उस ट्रक के साथ आगे-आगे एक स्कॉर्पियो कार नंबर- डीएल 04सी एनबी 2731 भी चल रही है, जिसमें बैठे सभी लोग गिरोह का हिस्सा थे, वह लोग रास्ते में बारे में सतर्कता के लिए चलते हैं।
इस जानकारी पर एसटीएफ ने एनसीबी के अधिकारियों को साथ लेकर मिर्जामुराद क्षेत्र में पहुंचकर उक्त ट्रक एवं कार का इंतजार करने लगे। कुछ देर बाद एक स्कॉर्पियो कार नंबर- डीएल 04सी एनबी 2731 आती दिखी जिसे रोका गया तब उसके पीछे ट्रक नंबर- यूपी सीएन-5495 भी आ गया।
ट्रैक की तलाशी ली गई जिसमें गांजा छिपाकर रखा गया था, उसके बाद स्कॉर्पियो की छानबीन हुई तो उसमें भी गांजा बरामद हुआ। इसके बाद पुलिस की टीम ने ट्रक और कार में बैठे लोगों को गिरफ्तार कर लिया और सभी चीजों को भी अपने कब्जे में ले लिया।
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि यह गांजा विशाखापत्तनम निवासी मंगू दादा नाम के एक व्यक्ति ने लोड करावाया था, जिसे यूपी में कहीं यह सारे माल सप्लाई करना था। यह अवैध मादक पदार्थ (गांजा) मोतिहारी, बिहार के मनोज चौधरी जिसका घर कुशीनगर (यूपी) में भी है द्वारा उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में सप्लाई के लिए मंगाया गया था। इस गांजे को आंध्र प्रदेश से यूपी पहुंचाने के लिए प्रति चक्कर 2.50 लाख रुपए चालक को मिलते थे और अन्य लोगों को 50 हजार रुपए हिसाब के मिलते थे।