क्या UPSC में मां-बाप के तलाक से स्टूडेंट को मिलता है रिजर्वेशन? पूजा खेडकर केस से नियम आया चर्चा में

WD Feature Desk
बुधवार, 24 जुलाई 2024 (19:24 IST)
Puja Khedkar: पिछले कई दिनों से पूजा खेडकर विवाद की वजह से चर्चा में है। उनके ऊपर आरोप है कि उन्‍होंने यूपीएससी में चयन के लिए कई तरह की हेरफेर की हे। अब ट्रेनी IAS पूजा खेडकर के केस में एक नया एंगल सामने आया है। दरअसल, अब केंद्र ने पुणे पुलिस को आदेश जारी किया है कि पूजा खेडकर के माता-पिता के मैरिटल स्टेटस की जानकारी दें।

बता दें कि पूजा पर आरोप है कि उन्होंने पेरेंट्स के तलाक का दावा करके UPSC एग्जाम में OBC नॉन-क्रीमी लेयर का फायदा लिया है।

क्‍या मां-बाप का तलाक हो गया : मीडिया रिपोर्ट में पुणे पुलिस विभाग ने दावा किया है कि केंद्र सरकार ने यह जानकारी मांगी है कि क्या ट्रेनी IAS के पिता मनोरमा और दिलीप खेडकर का तलाक हो गया है?

सवाल उठ रहा है कि ओबीसी आरक्षण के नियम क्‍या है और क्या माता-पिता के तलाक से यूपीएससी के प्रतियोगी को किसी तरह का फायदा मिलता है। जानते हैं क्‍या है नियम?

क्या है ओबीसी आरक्षण का नियम : पूजा पर आरोप है कि उन्होंने पेरेंट्स के तलाक का दावा करके UPSC एग्जाम में OBC नॉन-क्रीमी लेयर का फायदा लिया। नियम कहता है कि अगर किसी के माता या पिता आईएएस हैं तो उसे आरक्षण नहीं मिलता, क्योंकि वो क्लास वन जॉब है और उनकी इनकम 8 लाख से ज्यादा होती है।

ओबीसी आरक्षण का फायदा उन्हें मिलता है जिनके माता-पिता की वार्षिक/सालाना इनकम 8 लाख से कम है। हालांकि, कृषि से होने वाली कमाई की गिनती इसमें नहीं की जाती है। वहीं, माता-पिता ग्रुप सी या डी में हैं तो आठ लाख होने पर आरक्षण मिलेगा।

इसे ऐसे समझें : इस नियम को ऐसे समझने की कोशिश करते हैं। मान लीजिए किसी स्टूडेंट को यूपीएससी परीक्षा देनी है। उसके पिता IAS हैं। वो ओबीसी आरक्षण का फायदा भी लेना चाहता है तो पिता नौकरी से रिजाइन कर सकते हैं और अपनी सारी सम्पत्ति बेटे को गिफ्ट के तौर पर दे देते हैं तो न तो पिता की क्लास वन यानी ए ग्रुप की नौकरी का पेच फंसेगा और न ही 8 लाख से अधिक सम्पत्ति का मामला फंसेगा। इस तरह बच्चे को आरक्षण का लाभ मिलेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि आयोग माता-पिता की आय देखता है न की अभ्यर्थी की।

क्या पेरेंट्स के तलाक से फर्क पडता है: यूपीएसी में तलाक को लेकर आरक्षण पाने का कोई प्रावधान नहीं है। इसकी परीक्षा में सिर्फ SC, ST, OBC, EWS वर्ग और दिव्यांगों को उम्र में 5 साल की राहत मिलती है। हालांकि, तलाक के मामले में माता-पिता के अलग होने पर कैंडिडेट माता के साथ रहता है और सालाना आय 8 लाख से कम है तो वह OBC नॉन-क्रीमी लेयर का फायदा उठा सकता है।
Edited By: Navin Rangiyal

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