वाशिंगटन। अमेरिका मैकमोहन रेखा को चीन और अरुणाचल प्रदेश के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा के रूप में मान्यता देता है और अरुणाचल प्रदेश को भारत का अभिन्न हिस्सा मानता है। अमेरिकी सीनेट में मैकमोहन रेखा पर पेश किए गए इस प्रस्ताव को चीन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। यह प्रस्ताव पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) के इस दावे को भी खारिज करता है कि अरुणाचल प्रदेश पीआरसी का क्षेत्र है।
सीनेटर जेफ मर्कले के साथ सीनेट में प्रस्ताव पेश करने वाले सीनेटर बिल हैगर्टी ने कहा कि ऐसे समय में जब चीन मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए लगातार गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहा है, अमेरिका के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह इस क्षेत्र में अपने रणनीतिक भागीदारों, खासकर भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहे।
उन्होंने कहा कि यह द्विदलीय प्रस्ताव अरुणाचल प्रदेश को स्पष्ट रूप से भारत के अभिन्न हिस्से के रूप में मान्यता देने के लिए सीनेट के समर्थन को दर्शाता है, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति को बदलने के लिए चीन की सैन्य आक्रामकता की निंदा करता है और मुक्त एवं खुले भारत-प्रशांत के समर्थन के लिए अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी और क्वाड (चतुष्पक्षीय संवाद समूह) को मजबूत करता है।
भारत और चीन के बीच पूर्वी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हुई हिंसक सैन्य झड़प के बाद आए इस प्रस्ताव में अमेरिका द्वारा मैकमोहन रेखा को चीन और भारत के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा के रूप में एक बार फिर मान्यता दी गई है।
सीनेटर जेफ मर्कले ने कहा कि स्वतंत्रता और एक नियम-आधारित शासन का समर्थन करने वाले अमेरिकी मूल्यों को हमारे सभी कार्यों और संबंधों के केंद्र में होना चाहिए, खासकर जब पीआरसी सरकार एक अलग सोच के साथ आगे बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि प्रस्ताव स्पष्ट करता है कि अमेरिका अरुणाचल प्रदेश को भारत का अभिन्न हिस्सा मानता है, न कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना का... और क्षेत्र में समान विचारधारा वाले अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ-साथ वहां समर्थन और सहायता को गहरा करने की अमेरिकी प्रतिबद्धता को दोहराता है। (भाषा)