खतरों की यात्रा बनी वैष्णोदेवी यात्रा

सुरेश डुग्गर
श्रीनगर। वैष्णोदेवी यात्रा मार्ग पर हजारों श्रद्धालु भूस्खलन और गिरते पत्थरों के खतरे के बीच अपनी यात्रा को जारी रखने को मजबूर हैं। वैसे श्राइन बोर्ड अब दावा करने लगा है कि वह इस समस्या का पक्का हल निकालने जा रहा है। मौसम साफ होने पर बोर्ड प्रशासन द्वारा मुआयना करने के बाद नए मार्ग को खोल दिया जाता है पर बार-बार खराब होता मौसम इस यात्रा मार्ग पर खतरे के स्तर को बढ़ाता रहता है।
यात्रा मार्ग में गिरते पत्थरों से होने वाली जानमाल की क्षति को रोकने की खातिर उसने उपाय करने आरंभ किए हैं। लेकिन यह कवायद बहुत देर से की गई है क्योंकि यात्रा मार्ग में भूस्खलन और गिरते पत्थर बीसियों श्रद्धालुओं की जानें ले चुके हैं और सैकड़ों घायल होने वालों में से कई अपंग भी हो चुके हैं। इन पत्थरों के गिरने का कारण प्राकृतिक के साथ-साथ श्राइन बोर्ड द्वारा निर्माण के दौरान इस्तेमाल किए गए विस्फोटक भी हैं।
 
पिछले कुछ सालों में भूस्खलन और यात्रा मार्ग के पहाड़ों से गिरते पत्थरों के कारण मरने वालों का आंकड़ा 80 के आसपास पहुंच चुका है। करीब 850 श्रद्धालु आए-दिन के ऐसे हादसों के कारण जख्मी भी हो चुके हैं। यूं तो यात्रा मार्ग पर भूस्खलन और पत्थरों के गिरने की घटनाएं पहले भी हुआ करती थीं। पहले ये बारिश के दौरान ही होती थीं परंतु जबसे श्राइन बोर्ड ने पहाड़ों को विभिन्न स्थानों से काटकर निर्माण कार्यों में तेजी लाई है, ऐसे हादसों में भी तेजी आई है।
 
हालांकि श्राइन बोर्ड के अधिकारी ऐसे हादसों के लिए प्रकृति को जिम्मेदार ठहराते हैं लेकिन इस सच्चाई से कोई मुंह नहीं मोड़ सकता कि जिन त्रिकुटा पहाड़ों पर वैष्णोदेवी की गुफा है उसके पहाड़ लूज रॉक से बने हुए हैं जो निर्माण के लिए इस्तेमाल किए जा रहे विस्फोटकों के कारण कमजोर पड़ते जा रहे हैं। 
 
नतीजतन वैष्णोदेवी की यात्रा पर आने वाले एक करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के सिरों पर भूस्खलन और गिरते पत्थरों के रूप में मौत लटक रही है। इसका खतरा कितना है पिछले कई सालों से सामने आ रहा है।
 
यूं तो श्राइन बोर्ड एहतियात के तौर पर नए यात्रा मार्ग पर जगह-जगह इन गिरते पत्थरों से बचने की चेतावनी देने वाले साइन बोर्ड लगा रखे हैं तथा बचाव के लिए टीन के शेडों का निर्माण करवा रखा है परंतु गिरते पत्थरों को ये टीन के शेड नहीं रोक पा रहे, इसे श्राइन बोर्ड के अधिकारी जरूर मानते हैं। बरसात और बारिश के दिनों में यह खतरा और बढ़ जाता है तो भीड़ के दौरान ये टीन के शेड थोड़े से लोगों को ही शरण दे पाते हैं।
 
खतरों की यात्रा बनती जा रही वैष्णोदेवी की यात्रा में शामिल होने वाले लाखों श्रद्धालुओं का आखिर वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड को ख्याल आ ही गया है। यात्रा मार्ग में गिरते पत्थरों से होने वाली जान-माल की क्षति को रोकने की खातिर उसने उपाय करने आरंभ किए हैं। लेकिन यह कवायद बहुत देर से की गई है क्योंकि यात्रा मार्ग में भूस्खलन और गिरते पत्थर बीसियों श्रद्धालुओं की अभी तक जानें ले चुके हैं और सैकड़ों घायल होने वालों में से कई अपंग भी हो चुके हैं। 
 
श्राइन बोर्ड ने माना है कि वैष्णोदेवी मार्ग पर शूटिंग स्टोन के कारणों का पता लगाने के लिए नेशनल इंस्टीटूट आफ रॉक मैकेनिक्स को जिम्मेदारी सौंपी गई थी है। इंस्टीट्‍यूट के दो सदस्यीय दल ने सर्वे भी किया। टीम ने बाणगंगा से पहाड़ों के नमूने लिए हैं। दल द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में शूटिंग स्टोन के कारणों का पता लगाने के साथ जोन की भी शिनाख्त भी की गई।
 
सर्वे मुकम्मल करने के बाद टीम ने बोर्ड को रोकथाम के उपाय भी बताए हैं। बोर्ड ने पहले से ही कुछ जगहों की शिनाख्त की है, जिन जगहों पर लगातार शूटिंग स्टोन की वारदातें हो रही है। टीम ने यात्रा मार्ग पर पहाड़ियों की स्थिति के बारे में जानकारी लेने के साथ ही उन इलाकों को चिन्हित कर दिया है जो भूस्खलन के लिहाज से खतरनाक है।
 
बोर्ड के सूत्रों का कहना है कि सर्वे रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही की जा रही है। इस बारे में अधिकारियों का कहना है कि राज्यपाल ने यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए उचित कदम उठाने के निर्देश दिए हैं ताकि बरसात के समय यात्रा मार्ग पर पत्थर व पस्सियां गिरने की घटनाओं को रोका जा सके।
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