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रूस में बनेंगे स्लीपर कोच, 2000 करोड़ के प्रोजेक्ट से मिलेगी वंदे भारत ट्रेन परियोजना को रफ्तार

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, मंगलवार, 17 दिसंबर 2024 (14:10 IST)
Vande bharat train : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट कही जाने वाली भारत की सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन 'वंदे भारत' एक्सप्रेस ने अपनी शुरुआत से ही देश में क्रांति ला दी है। अब, रूस भी इस आधुनिक ट्रेन के निर्माण में सहयोग करने के लिए आगे आया है। 'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, रूस के ज़ार-युग के कारखानों में अब भारत की आधुनिक ट्रेनों का निर्माण होगा। इससे वंदे भारत ट्रेनों के नए लॉन्ग-डिस्टेंस ओवरनाइट स्लीपर ट्रेन संस्करण के निर्माण में मदद मिलेगी।
 
रूस में बनेंगे वंदे भारत के स्लीपर कोच : 2000 करोड़ का प्रोजेक्ट, रूस की तकनीक से और भी आधुनिक होगी वंदे भारत ट्रेन, स्लीपर कोच का निर्माण शुरू। रिपोर्ट के अनुसार, रूस के एक प्रमुख रेल कारखाने ने 2,000 करोड़ रुपये की लागत वाले वंदे भारत ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए भारत के साथ साझेदारी करने की संभावना जताई है। यह साझेदारी भारत के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है, क्योंकि रूस का रेल निर्माण का इतिहास काफी पुराना और समृद्ध है।
 
ज़ारकालीन कारखानों में तैयार होंगी आधुनिक भारतीय ट्रेनें: यह सहयोग इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि रूस ने 1950 के दशक में भारत को पहली बार मेट्रो ट्रेन तकनीक दी थी। अब यह सहयोग एक नई ऊँचाई छूने जा रहा है। सोवियत-युग के ये कारखाने, जो कभी ट्रॉम और लोकल ट्रेनों के लिए जाने जाते थे, अब भारत के लिए अति-आधुनिक रेलगाड़ियों के निर्माण की योजना बना रहे हैं।
 
भारत-रूस की साझेदारी से वंदे भारत प्रोजेक्ट को मिलेगी रफ़्तार: विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और रूस के बीच तकनीकी ट्रांसफर और इनोवेशन साझेदारी से वंदे भारत ट्रेन प्रोजेक्ट को और तेज़ी मिलेगी। सोवियत संघ की आर्थिक और औद्योगिक संरचना ने ट्रेन निर्माण में विशेषज्ञता विकसित की है, जो आज भी रूस के कारखानों में देखी जा सकती है। यह अनुभव भारतीय रेलवे के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा।
 
रूस का रेल निर्माण का इतिहास: रूस का रेल निर्माण का इतिहास एक लंबा और गौरवशाली इतिहास है, जो ज़ार के शासनकाल से लेकर सोवियत काल और आधुनिक रूस तक फैला हुआ है। यह इतिहास न केवल तकनीकी विकास का प्रतीक है, बल्कि देश के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विकास में रेलवे के महत्वपूर्ण योगदान को भी दर्शाता है।

रूस में रेलवे का विकास 19वीं सदी के मध्य में शुरू हुआ। पहला सार्वजनिक रेलवे 1837 में सेंट पीटर्सबर्ग और पावलोवस्क के बीच बनाया गया था। 19वीं सदी के उत्तरार्ध में, ज़ार अलेक्जेंडर III और उनके बेटे निकोलस II के शासनकाल में रेलवे का तीव्र विस्तार हुआ। इसका मुख्य कारण देश के विशाल भूभाग को जोड़ना, व्यापार को बढ़ावा देना और सैन्य आवाजाही को सुगम बनाना था।
 
ट्रांस-साइबेरियन रेलवे: इस अवधि की सबसे बड़ी उपलब्धि ट्रांस-साइबेरियन रेलवे का निर्माण था, जो मास्को को व्लादिवोस्तोक से जोड़ता है। 9,289 किलोमीटर लंबा यह रेल मार्ग दुनिया का सबसे लंबा रेल मार्ग है। इसका निर्माण 1891 में शुरू हुआ और 1916 में पूरा हुआ। इस अवधि में कई अन्य महत्वपूर्ण रेलवे लाइनों का भी निर्माण हुआ, जिससे देश के विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ा गया।
 
उल्लेखनीय है कि सोवियत काल में ही रूस ने दुनिया की सबसे तेज ट्रेनों में से एक का निर्माण किया था, जो जेट इंजनों से चलती थी और 350 किलोमीटर प्रति घंटा की गति तक पहुंच सकती थी।

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