किसान आंदोलन को लेकर पिछले दिनों केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाले उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने अब यूटर्न लिया है। शुक्रवार को राज्यसभा में जब विपक्ष ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को घेरना शुरु किया तब सभापति जगदीप धनखड़ ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की तारीफ की है। शुक्रवार को राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड ने कहा कि “माननीय मंत्री जी मेरे साथ थे, जाते समय भी और आते समय भी साथ थे और मैं आश्वास्थ हुआ कि जिस आदमी की पहचान देश में लाडली की नाम से थे वह किसान का लाडला होगा, और मैं पूरी तरह आशानान हूं कि ऊर्जावान मंत्री अपने नाम के अनुरुप यह करके दिखाएंगे। आज मैंने आपका नामांकन कर दिया किसान के लाडले”।
संसद में किसानआंदोलन की गूंज-वहीं आज संसद में भी किसान आंदोलन की गूंज सुनाई दी। संसद परिसर में कांग्रेस सासंदों ने किसानों के समर्थन में प्रदर्शन किया। किसानों के समर्थन में हाथों में तख्तियां लेकर प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस सांसद दीपेंदर हुड्डा ने कहा कि वादा पूरा नहीं होने के बाद किसान शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। हम मांगग करते हैं कि सरकार तुरंत किसानों से बात करें। गौरतलब है कि तीन साल बाद एक बार किसानों ने दिल्ली कूच का एलान कर दिया है। पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर पिछले 9 महीनों से बैठ किसान आज दिल्ली कूच कर रहे है। एमएसपी गारंटी कानून, कर्जमाफी और पेंशन जैसी मांगों को लेकर किसानों का सब्र अब टूट गया है और वह दिल्ली कूच कर रहे है।
वहीं राज्यसभा में कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने MSP के मुद्दें पर सरकार को घेरा तो उसका जवाब देते हुए कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार किसानों की लागत का 50 परसेंट से ज्यादा मिनिमम सपोर्ट प्राइज तय करेंगे और खरीदने का काम करेंगे, आप ने नहीं खरीदा। कांग्रेस की सरकार ने कभी एमएसपी पर खरीदी नहीं की। कांग्रेस सरकार में किसान खून के आंसू रोता था।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने बढ़ाई शिवराज की मुश्किलें?-एक बार फिर किसान आंदोलन के गर्माने पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मोदी सरकार पर किसान आंदलन को लेकर सवाल खड़े किए है। मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंच पर मौजूद कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से किसान आंदोलन को लेकर सवाल पूछते हुए कहा कि कृषि मंत्री जी, एक-एक पल आपका भारी है। मेरा आप से आग्रह है कि कृपया करके मुझे बताइये, क्या किसान से वादा किया गया था? किया गया वादा क्यों नहीं निभाया गया?वादा निभाने के लिए हम क्या करें हैं? गत वर्ष भी आंदोलन था, इस वर्ष भी आंदोलन है। कालचक्र घूम रहा है, हम कुछ कर नहीं रहे हैं।पहली बार मैंने भारत को बदलते हुए देखा है। पहली बार मैं महसूस कर रहा हूँ कि विकसित भारत हमारा सपना नहीं लक्ष्य है। दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था। जब ऐसा हो रहा है तो मेरा किसान परेशान और पीड़ित क्यों है? किसान अकेला है जो असहाय है।