उपराष्ट्रपति चुनाव में 98 फीसदी से ज्यादा मतदान

Webdunia
शनिवार, 5 अगस्त 2017 (18:06 IST)
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति चुनाव में शनिवार को 785 मतदाताओं में से 771 ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया और इस तरह कुल 98.21 प्रतिशत मतदान हुआ।
 
इस चुनाव के लिए मतदान सुबह दस बजे शुरू हुआ था और शाम पांच बजे समाप्त हो गया। उपराष्ट्रपति चुनाव के सहायक निर्वाचन अधिकारी मुकुल पांडे ने बताया कि संसद भवन में बनाए गए मतदान केन्द्र में 785 सदस्यों में से 771 सदस्यों ने वोट डाले। उन्होंने बताया कि मतगणना शाम छ: बजे शुरू होगी और कुछ देर बाद परिणाम घोषित कर दिया जाएगा। 
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजग के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार एवं राज्यसभा सदस्य एम. वेंकैया नायडू, संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुरुआती दौर में मतदान करने वालों में शामिल थे।
 
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह और एचडी देवगौड़ा, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, विदेशमंत्री सुषमा स्वराज, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, राज्यसभा के मनोनीत सदस्य सचिन तेंदुलकर, रेखा, मैरीकॉम, राष्ट्रीय जनता दल के सांसद जयप्रकाश नारायण यादव, लोक जनशक्ति पार्टी के रामचन्द्र पासवान, नेशनल कांफ्रेस (एनसी) के नेता फारूक अब्दुल्ला भी मतदान करने वाले प्रमुख नेताओं में शामिल थे।
 
सदस्यों को मत डालने के लिए एक विशेष पेन दिया गया था। राष्ट्रपति चुनाव की तरह उपराष्ट्रपति चुनाव में गुप्त मतदान होने के कारण इसमें पार्टियों की ओर से अपने सदस्यों को व्हिप जारी नहीं किया गया। चुनाव में 50 प्रतिशत से अधिक वोट पाने वाला उम्मीदवार विजयी माना जाता है। दोनों सदनों में कुल सदस्य संख्या 790 है, लेकिन कुछ सीटें रिक्त होने की वजह से उपराष्ट्रपति निर्वाचक मंडल सदस्यों की संख्या 785 रह गई थी। 
 
उपराष्ट्रपति चुनाव में नायडू का मुकाबला 18 विपक्षी दलों के उम्मीदवार गोपालकृष्ण गांधी से है। नायडू लंबे समय से भाजपा से जुड़े रहे हैं और केन्द्र में मंत्री तथा भाजपा के अध्यक्ष भी रहे हैं जबकि गांधी पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रह चुके हैं और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पौत्र हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों के साथ साथ मनोनीत सदस्य भी मतदान करते हैं।
 
यह चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के आधार पर गुप्त बैलेट से होता है। इस बार उपराष्ट्रपति के चुनाव में सदस्यों को नोटा यानी किसी को भी मत नहीं देने का विकल्प भी दिया गया था। (वार्ता)
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