ठंड से ठिठुरते दिल्ली एनसीआर वालों को आने वाले दिनों में कोई राहत मिलती नहीं दिखाई दे रही। इसकी वजह है पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी और मैदानी क्षेत्रों में होने वाली बरसात।
इसके अलावा पश्चिमी हिमालय पर एक के बाद एक वेस्टर्न डिस्टरबेंस सक्रिय होने के आसार हैं। इसकी वजह से उत्तर भारत में कई वेदर सिस्टम बनेंगे जो मौसम को प्रभावित करते रहेंगे। उल्लेखनीय है कि लगातार होने वाले इस विक्षोभों से (वेस्टर्न डिस्टरबेंस) के कारण पहाड़ों पर बर्फ को पिघलने का मौका भी नहीं मिलेगा।
पहाड़ों पर लगातार बर्फबारी का असर मैदानी क्षेत्रों पर दिखाई देगा। वेस्टर्न डिस्टरबेंस का यह सिलसिला पूरी जनवरी चलता रहेगा। इसकी वजह से पहाड़ी क्षेत्रों को बारिश और बर्फ से राहत नहीं मिलेगी।
जनवरी में पहली बर्फबारी की सिलसिला 1 जनवरी से शुरू हो चुका है जो 4 जनवरी तक चलेगा। 6 से 8 जनवरी को फिर से बर्फबारी शुरू हो जाएगी। इसका असर मैदानी क्षेत्रों पर ठंड पर पड़ेगा।
दिल्ली और एनसीआर भी इसकी गिरफ्त में आएंगे। मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि जनवरी की सर्दी दिसंबर से भी अधिक हो सकती है। इसका एक और कारण है कि न सिर्फ रात के तापमान में गिरावट आएगी बल्कि दिन का तापमान भी काफी कम रहेगा।
मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जनवरी में अब तक सबसे कम अधिकतम तापमान 2 जनवरी 2013 को रहा है जो 9.8 डिग्री था। वहीं 6 जनवरी 2013 को न्यूनतम तापमान महज 1.9 डिग्री रेकॉर्ड किया गया था।
इसी तरह सर्दी के कहर से परेशान मैदानी इलाकों में भी सर्दी का सितम अभी खत्म होने के आसार नहीं दिखाई दे रहे हैं।