भारी बारिश से गांधी सागर बांध के 19 गेट खोलने से राजस्थान सीमा से लगे ग्वालियर-चंबल संभाग के जिलों में स्थिति भयावह हो गई है। श्योपुर, मुरैना और भिंड जिले में चंबल किनारे के 100 से ज्यादा गांव बाढ़ में घिर गए हैं। 23 साल बाद चंबल नदी में सोमवार को उफान आया है।
खबरों के अनुसार, मुरैना में चंबल राजघाट स्थित पुराने पुल से 5 फीट ऊपर तक पानी आ गया। सबलगढ़, जौरा, सरायछौला, अंबाह, पोरसा क्षेत्र के 50 गांव पानी से घिर गए, जबकि 30 से अधिक गांवों में 5 हजार से अधिक ग्रामीण फंसे हुए हैं।
चंबल नदी खतरे के निशान से 8.49 मीटर ऊपर बह रही है। खतरे का निशान 119 मीटर है, जबकि नदी का जल स्तर 127.82 मीटर से ऊपर निकल गया। चंबल नदी के रौद्र रूप में आने के चलते नदी किनारे बसे 19 गांव खाली करा लिए गए हैं।
मुरैना, श्योपुर और भिंड जिले में चंबल किनारे के करीब 100 गांवों में बाढ़ से हालात बेकाबू हो गए। सेना की 3 टुकड़ियों ने रेस्क्यू कर सैकड़ों लोगों को सुरक्षित जगह पहुंचाया। श्योपुर के तीन गांव के 50 लोगों को सेना ने सुरक्षित बाहर निकाला। बाढ़ के हालात से निपटने के लिए श्योपुर और भिंड में सेना तैनात करनी पड़ी है। श्योपुर की दो प्रमुख नदियां चंबल और पार्वती खतरे के निशान पर बह रही हैं।
पार्वती के उफान में 7 दिन से श्योपुर को कोटा से जोड़ने वाला खातौली पुल और तीन दिन से बारा-मांगरौल को जोड़ने वाला कुहांजापुर पुल डूबा हुआ है। अटेर में 2 मोटर बोट तैनात की गई हैं। एसडीआरएफ पहले से है। कलेक्टर ने टेकनपुर से एनडीआरएफ की टीम भी बुलाई है।
नेशनल हाइवे-92 बरही चंबल पुल पर मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की ओर से पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। चंबल में पानी बढ़ने से उसके किनारे के 89 गांवों में संकट खड़ा हो गया।