राहुल देव
परिस्थितियां भले बाद में दूसरों को आगे निकल जाने दें, लेकिन कोई भी पहले का गौरव, गरिमा और महत्व नहीं छीन सकता। वेबदुनिया इस 50 करोड़ के हिन्दी समाज का वह गौरशाली पहला इंटरनेट पोर्टल है जिसने उस समाज को आज की इस विश्व-संचालक तकनीक का पहला अनुभव, पहला आस्वाद दिया। उसकी डिजिटल उड़ान को संभव बनाया। उसे वैश्विक बनने का पहला तकनीकी आधार दिया। उसके इस पहलेपन को सलाम। उसके पहले दृष्टा विनय छजलानी और समूची टीम के साथ अभिनंदन।
वेबदुनिया को विरासत में नवाचार और अग्रणी रहना मिला था। नईदुनिया की पत्रकारिता ने अपने शिखर दशकों में हिन्दी पत्रकारिता को इतना कुछ दिया था संपादकीय उत्कृष्टता, सामग्री की गंभीरता, विषयों की विविधता और हिन्दी के तीन सबसे बड़े संपादकों के रूप में कि वह इंदौर से निकलकर भी राष्ट्रीय प्रभाव वाला अखबार बना रहा। उसी परंपरा को एक नए, उभरते हुए तकनीकी संसार में जारी रखते हुए विनय छजलानी ने डिजिटल दुनिया में हिन्दी को एक शानदार पदार्पण कराया। यह काम वही कर सकता था जिसके पास इस नई तकनीक का कौशल तो हो ही उसी के अनुरूप एक आधुनिक हिन्दी संपादकीय दृष्टि भी हो। विनयजी के नेतृत्व, प्रबंध और तकनीकी कौशल तथा युवा टीम ने मिलकर हिन्दी पत्रकारिता के इस नए मील के पत्थर की इमारत खड़ी कर दी।
वेबदुनिया ने केवल पहला हिन्दी समाचार पोर्टल ही नहीं बनाया, हिन्दी सहित कई भारतीय भाषाओं में अपनी ई-मेल सेवा की भी शुरुआत की। वेबदुनिया की संपादकीय दृष्टि इस नए मंच की प्रकृति और उसके युवा पाठकों के युवा नए स्वादों, रुचियों, संवेदनशीलता और ज़रूरतों के अनुरूप ही युवा, नवाचारी और विविध थी। वेबदुनिया की टीम ने अपने पाठकों को जोड़ने, उनसे एक नियमित, जीवंत संवाद के तरीके निकाले। पोर्टल-पाठक या अखबार-पाठक संबंध को पुनर्परिभाषित किया।
वेबदुनिया की बड़ी उपलब्धियों में इसे भी गिना जाना चाहिए कि उसने हिन्दी के अन्य समाचार संस्थानों, अखबारों को प्रेरित, और एक तरह से बाध्य, किया कि वे भी अपने अपने पोर्टल शुरू करें। इसे ही नेतृत्व कहते हैं।
अब जब वेबदुनिया 18 साल का तरुण हो गया है यही शुभकामना और उससे आशा है कि वह अपने समृद्ध इतिहास और विरासत के अनुरूप भविष्य में भी अपनी नवाचारी और भविष्यदर्शी दृष्टि से नए नए प्रयोग करते हुए हिन्दी और भारतीय भाषाओं की पत्रकारिता को नए क्षितिज दिखाता रहेगा।