Ministry of External Affairs on Donald Trumps India visit: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एक बयान काफी सुर्खियों में बना हुआ है कि वे अगले साल भारत की यात्रा कर सकते हैं। इस बीच, विदेश मंत्रालय ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि मेरे पास इस बारे में साझा करने के लिए कुछ भी नहीं है। जब भी मेरे पास इस बारे में साझा करने के लिए कुछ होगा तो मैं आपको बता दूंगा।
साझा करने के लिए कुछ भी नहीं : दरअसल, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल से डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा को लेकर सवाल पूछा गया था। उन्होंने सीधा जवाब देने से बचते हुए सिर्फ इतना कहा कि जहां तक राष्ट्रपति ट्रंप की भारत यात्रा के संबंध में टिप्पणियों का सवाल है, मेरे पास इस बारे में साझा करने के लिए कुछ नहीं है। जब मेरे पास इस बारे में साझा करने के लिए कुछ होगा तो मैं आपको बता दूंगा।
क्या कहा था ट्रंप ने : ट्रंप ने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान 2026 में भारत आने की संभावना जताई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि मैं वहां जाऊं। मैं जाऊंगा... प्रधानमंत्री मोदी एक महान व्यक्ति हैं और मैं वहां जाऊंगा। मोदी के बीच व्यक्तिगत संबंधों पर जोर देते हुए का कि वह मेरे दोस्त हैं। ट्रंप ने कहा- भारत के साथ बातचीत अच्छी चल रही है और वह अगले वर्ष भारत की यात्रा कर सकते हैं।
2020 में भारत आए थे ट्रंप : अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने रूस से तेल खरीदना लगभग बंद कर दिया है। ट्रंप पहले भी कई बार रूसी तेल को लेकर इस तरह का दावा कर चुके हैं हालांकि भारत इससे इनकार करता रहा है। ट्रंप पहले भी कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना अच्छा मित्र बता चुके हैं। 2020 में ट्रंप ने भारत का दौरा किया था। उस समय अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में आयोजित नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम में दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की जमकर तारीफ की थी।
टैरिफ के बाद संबंधों में तनाव : उल्लेखनीय है किअमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर 50% तक उच्च टैरिफ (जिसमें रूसी तेल खरीद पर 25% अतिरिक्त शुल्क शामिल है) लगाए जाने के बाद भारत-अमेरिकी संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग और व्यापार वार्ताएं अभी भी जारी हैं।
दरअसल, यह टैरिफ मुख्य रूप से डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की 'टैरिफ पॉलिटिक्स' का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भारत पर व्यापार संतुलन और भू-राजनीतिक मामलों को लेकर दबाव बनाना है। 50% टैरिफ के कारण अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों की लागत 30% से 35% तक बढ़ गई है। इससे भारतीय निर्यातकों को झटका लगा है। H1B वीज़ा शुल्क में वृद्धि जैसे अमेरिकी कदम भारत के आईटी क्षेत्र में भी चिंता पैदा कर रहे हैं।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala