भुवनेश्वर। ओडिशा पुलिस ने बुधवार को कहा कि मृत स्वास्थ्य मंत्री नबकिशोर दास की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला है कि उनकी मौत 'कार्डियोजेनिक शॉक' के कारण हुई है। कार्डियोजेनिक शॉक में दिल अचानक से शरीर की जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त रक्त पंप नहीं कर पाता है।
पुलिस ने कहा कि मामले की जांच सीआईडी-अपराध शाखा (सीबी) कर रही है और दिल्ली में केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के विशेषज्ञों द्वारा आरोपी का फोरेंसिक मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन और आवाज विश्लेषण परीक्षण करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सीआईडी-अपराध) अरुण बोथरा मौके पर डेरा डाले हुए हैं और व्यक्तिगत रूप से मामले की जांच की निगरानी कर रहे हैं।
ओडिशा पुलिस ने एक बयान में कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि गोली लगने की वजह से कार्डियोजेनिक शॉक के कारण मौत हुई और यह हत्या है। 60 वर्षीय मंत्री की 29 जनवरी को झारसुगुडा जिले में पुलिस के सहायक उपनिरीक्षक गोपाल दास ने कथित रूप से गोली मारकर हत्या कर दी थी। उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। वह सीआईडी-सीबी की चार दिन की हिरासत में है।
पुलिसकर्मी द्वारा मंत्री को गोली मारने की दूसरी घटना : विपक्षी भाजपा और कांग्रेस ने अपराध शाखा द्वारा जांच करने और मामले की छानबीन की निगरानी के लिए उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश को नियुक्त करने के फैसले की निंदा की। ओडिशा भाजपा महासचिव पृथ्वीराज हरिचंदन ने बुधवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में यह पहली बार है कि किसी पुलिसकर्मी ने मंत्री की गोली मारकर हत्या की हो।
उन्होंने कहा कि मंत्री की हत्या का कारण जानने में राज्य सरकार की कोई दिलचस्पी नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार इस घटना में खुद के पाकसाफ होने की कोशिश कर रही है। किसकी साजि़श है? राज्यभर के लोग मंत्री की हत्या में गहरी साजिश की आशंका जता रहे हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक संतोष सिंह सलूजा ने मंत्री की हत्या की एसआईटी से जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि इसी से उच्च स्तरीय साजिश से पर्दाफाश हो सकता है। सत्तारूढ़ बीजद प्रवक्ता लेलिन मोहंती ने कहा कि भाजपा नेताओं को न्यायपालिका में विश्वास होना चाहिए और उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा जांच की निगरानी की जा रही है।
क्या होता है कार्डियोजेनिक शॉक : जब दिल वाइटल ऑर्गन को ठीक से रक्त की सप्लाई नहीं कर पाता है तो ऐसे हालात में कार्डियोजेनिक शॉक की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। दरअसल, ब्लड सप्लाई ठीक तरह से नहीं होने के कारण शरीर को जरूरी न्यूट्रिशन की पूर्ति नहीं हो पाती है और रक्तचाप कम होने लगता है। कार्डियोजेनिक शॉक की स्थिति में आपात उपचार की जरूरत पड़ती है। यदि समय रहते उपचार मिल जाता है तो मरीज को बचाया जा सकता है।
कार्डियोजेनिक शॉक की स्थिति में व्यक्ति को पसीना आता है और हाथ-पांव ठंडे पड़ जाते हैं। इस दौरान व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई होती है साथ ही अत्यधिक थकान भी महसूस होती है। कभी-कभी मरीज कोमा में भी चला जाता है। हालांकि मंत्री नबकिशोर दास का मामला बिलकुल ही अलग है, गोली लगने के बाद उनकी यह स्थिति हुई। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala