जीएसटी (GST) को इस तरह समझें

Webdunia
गुरुवार, 30 जून 2016 (15:10 IST)
GST का मतलब वस्तु एवं सेवा कर है। इसको केंद्र और राज्‍यों के 17 से ज्‍यादा इनडायरेक्‍ट टैक्‍स के बदले में लागू किया जाएगा। ये ऐसा टैक्‍स है, जो देशभर में किसी भी गुड्स या सर्विसेस की मैन्‍युफैक्‍चरिंग, बिक्री और इस्‍तेमाल पर लागू होगा।
 
आइए जानते हैं कि जीएसटी का लोगों पर क्या असर होगा और अभी इस लागू करने में क्या चुनौतियां हैं। 
 
वर्तमान व्यवस्था में किसी भी उत्पाद पर किस तरह टैक्स लगता है और जीएसटी के बाद किस तरह उत्पाद पर टैक्स लगेगा, उसे टेबल से समझा जा सकता है। उदाहरण के लिए किसी उत्पाद को बनाने के लिए कच्चे माल पर 100 रुपए खर्च होते हैं। कच्चे माल पर व्यवसायी 10 प्रतिशत टैक्स चुकाता है। इसमें 20 रुपए वह अपनी लागत और लाभ जोड़ता है। फिर 20 रुपए पर वह सेनवैट चुकाता है, जो कि 2 रुपए होता है।
 
इस तरह रिटेलर व्यापारी तक पहुंचते-पहुंचते उत्पाद की कीमत 132 रुपए हो जाती है। इसमें रिटेलर 20 रुपए अपने मार्जिन के जोड़ता है। इस तरह उत्पाद की कीमत 152 रुपए हो जाती है, जिस पर 10 प्रतिशत टैक्स लगता है, जबकि जीएसटी में सिर्फ रिटेलर के मार्जिन यानी 20 रुपए पर ही टैक्स लगेगा। इस तरह वर्तमान व्यवस्था में उत्पाद की कुल कीमत हो जाती है 167 रुपए 20 पैसे, जबकि जीएसटी के बाद इसकी कीमत मात्र 154 रुपए रहेगी। वर्तमान व्यवस्था में उत्पाद पर कुल 27.2 फीसदी टैक्स लगता है, जबकि जीएसटी में यह कम लगेगा। हालांकि यह कीमतें इस बात पर निर्भर करेंगी कि जीएसटी में सरकार कितना टैक्स निर्धारित करती है।
अगले पन्ने पर... जीएसटी के बाद कौनसे टैक्स खत्म होंगे और क्या हैं जीएसटी की चुनौतियां...
 

जीएसटी के बाद यह सभी टैक्स होंगे खत्म
* सीएसटी
* सर्विस टैक्स
* एक्साइज ड्‍यूटी
* सिक्योरिटी मनी एक्सचेंज टैक्स 
* राज्य स्तर के सेल्स टैक्स या वैट
* स्टेट एक्साइज टैक्स
* प्रॉपर्टी टैक्स
* एंटरटेनमेंट टैक्स
* स्टैंप ड्‍यूटी 
* कृषि कर
* प्रवेश कर   
* टेलीकॉम लाइसेंस फीस
* टर्नओवर टैक्स इत्यादि। 
 
चुनौतियां
* जीएसटी को लागू करने से पहले कम से कम 15 राज्यों की विधानसभाओं में इसे दो तिहाई बहुमत से पास करवाना होगा। 
* यदि केन्द्र राज्यों में इसे जल्द पास नहीं करवा पाई तो इसे 1 अप्रैल 2017 से लागू करना संभव नहीं होगा। 
* सरकार को कांग्रेस की बात को मानना पड़ेगा, जो टैक्स की दर 17 फीसदी से ज्यादा नहीं रखने के पक्ष में है। 
 
 
आशंकाएं
* जिन वस्तुओं पर सर्विस टैक्स लगता उनके दाम बढ़ सकते हैं। 
* जानकारों का मानना है कि यदि जीएसटी की दर ज्यादा रहती है तो महंगाई और बढ़ सकती है। 
* केन्द्र और राज्यों के बीच टैक्स से प्राप्त राशि के वितरण को लेकर विवाद बढ़ सकते हैं।
* राज्यों की निर्भरता केन्द्र सरकार पर बढ़ जाएगी।
* केन्द्र और राज्यों में अलग अलग पार्टियों की सरकार होने की स्थिति में विवाद और बढ़ेंगे। 
 
सकारात्मक पक्ष : 
* जीएसटी लागू होने के बाद टैक्स चोरी पर अंकुश लगेगा। 
* पूरे देश में एक जैसा टैक्स होगा। 
* कागजी खानापूर्ति में कमी आएगी। 
* व्यवसायियों को व्यापार चलाने में आसानी होगी साथ ही समय और पैसे दोनों की ही बचत होगी।
* ऐसा अनुमान है कि जीएसटी लागू होने के बाद जीडीपी में वृद्धि हो सकती है। 
* जीएसटी लागू होने के बाद निर्यात बढ़ने की संभावना है। 
अगले पन्ने पर.... ये होगा सस्ता-महंगा...
 
 

महंगा : जीएसटी लागू होने के बाद ज्वैलरी, कपड़े, पेय पदार्थ- चाय, कॉफी, कई फूड प्रोडक्ट पर 12 फीसदी तक टैक्स लग सकता है, जो कि अभी 4 से 5 फीसदी लगता है। 
 
सस्ता : घर खरीदना, खाना, कार, होटल में खाना आदि वस्तुएं सस्ती हो सकती हैं। 
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