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आखिर क्‍या है मुस्लिम ब्रदरहुड, जिसकी तुलना राहुल गांधी ने RSS से कर डाली और हो गया इतना बड़ा विवाद?

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, मंगलवार, 14 मार्च 2023 (13:42 IST)
सोमवार को बजट सत्र में लोकसभा और राज्‍यसभा में राहुल के इस बयान को लेकर जमकर हंगामा हुआ। बता दें कि राहुल गांधी ने मुस्‍लिम ब्रदरहुड की तुलना आरएसएस से कैंब्रिज में की थी। भाजपा ने इसे विदेश धरती पर भारत का अपमान बताया। इस पूरे विवाद में भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने आ गए है। इसी के चलते हुए हंगामे के बाद संसद के दोनों सदन स्‍थगित कर दिए गए थे। आइए जानते हैं क्‍या है मुस्‍लिम ब्रदरहुड और क्‍या ये आरएसएस की तरह है।

क्‍या है मुस्‍लिम ब्रदरहुड: दरअसल, मुस्लिम ब्रदरहुड मिस्र का सबसे पुराना इस्लामिक संगठन है। इसे इख्वान-अल-मुस्लमीन के नाम से भी जाना जाता है। इस संगठन की स्थापना 1928 में हसन-अल-बन्ना ने की थी। 1928 में हसन के संगठन बनाने के बाद मुस्लिम ब्रदरहुड की शाखाएं पूरी दुनिया में फैल गई। धीरे-धीरे इसका विस्‍तार होता गया।

इस संगठन का मकसद देश का कानून शरिया के तरीके से चलाना है। शुरुआती दौर में इस संगठन का मकसद इस्लाम के नैतिक मूल्यों और अच्छे कार्यो का प्रचार-प्रसार करना था, बाद में इसकी एंट्री राजनीति में भी हो गई। मुस्लिम ब्रदरहुड के संस्थापक हसन-अल-बन्ना ने एक हथियार बंद-दस्ते का भी गठन किया। इसका मुख्य मकसद ब्रिटिश शासन के खिलाफ बमबारी और हथियारों को अंजाम देना था।

दुनिया में कहां है इसका असर: 1928 में मुस्लिम ब्रदरहुड की स्थापना के बाद से ही इसका विस्‍तार होता गया। 1928 के आखिरी दशक में ही इनकी संख्या 20 लाख तक हो गई थी। मिस्र में इसकी संख्‍या बढ़ने के पीछे वहां पसरी गरीबी और भ्रष्टाचार थे। संगठन की विचारधारा केवल मिस्र तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि पूरे अरब देशों में भी फैलने लगी। इस संगठन का नारा ‘इस्लाम ही समाधान है’ है।

कहां-कहां घोषित किया आतंकी संगठन: आतंकवाद को बढ़ावा देने में भी इस संगठन की भूमिका रही है। अमेरिका में हुए 9/11 हमले के मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन भी पहले इसी संगठन का सदस्य था। अल-कायदा को भी मुस्लिम ब्रदरहुड एक तरह से चेहरा कहा जाता है। इस संगठन को सउदी अरब, रुस, मिस्र, सीरिया और संयुक्त अरब अमीरात में आतंकी संगठन घोषित किया गया है। इस संगठन पर 1954 में राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासर की हत्या के असफल प्रयास का आरोप भी लगा था। ऐसे में राहुल गांधी ने एक बार फिर इस संगठन की चर्चा को हवा दे दी है। आरएसएस के साथ इसका नाम जोडने पर राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर एक बार फिर से बहस शुरू हो गई है।
Edited by Navin rangiyal/ फाइल फोटो

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