नई दिल्ली। नागरिक संशोधन कानून (CAA) और एनआरसी (NRC) को लेकर देशभर में मचे घमासान के बीच मोदी सरकार ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने की अनुमति देती है। मोदी सरकार की कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दे दी। NPR का भी विभिन्न राजनीतिक दल विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि NPR ही NRC लागू करने का पहला कदम है। हालांकि गृह मंत्री अमित शाह ने यह स्पष्ट किया है कि NPR के लिए कोई दस्तावेज नहीं मांगे जाएंगे। इसका NRC से कोई संबंध नहीं है। तो जानिए क्या है वाकई NRC का पहला चरण है NPR।
क्या है NPR : देश में लोगों की संख्या का रजिस्टर, जो गांव, कस्बे, तहसील, जिला, राज्य, राष्ट्रीय स्तर पर तैयार होता है। किसी इलाके में 6 महीने से ज्यादा समय से रहने के इच्छुक लोगों को NPR में नाम दर्ज करनावा होगा। यह नागरिकता का प्रमाण नहीं है। माता-पिता के जन्मस्थान व जन्मतिथि को भी शामिल किया जाएगा। 2010 में यूपीए सरकार में NPR हुआ था। 2015 में इसे अपडेट किया गया। अब 2020 में भी इसके अपडेट करना कानूनी बाध्यता है।
कहां-कहां लागू होगा : असम को छोड़कर सभी राज्यों में 2020 में अप्रैल से सितंबर तक तैयार होगा। जनगणना के पहले चरण में घरों की लिस्टिंग के दौरान यह काम होगा।
क्या है NRC : नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन बिल (National Register of Citizen Bill) एक रजिस्टर है जिसमें भारत में रह रहे सभी वैध नागरिकों का रिकॉर्ड रखा जाएगा। एनआरसी की शुरुआत 2013 में सुप्रीम कोर्ट की देख-रेख में असम में हुई थी। फिलहाल यह असम के अलावा किसी अन्य राज्य में लागू नहीं है। अवैध बांग्लादेशियों को निकालने के लिए इसे पहले असम में लागू किया गया है। अगस्त में असम के लिए एनआरसी की लिस्ट जारी की गई थी। इसमें 19 लाख से ज्यादा लोग बाहर बताए गए थे। इस सूची में 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार 4 लोगों को वैध करार दिया गया था।
NPR और NRC में अंतर : NPR देश के निवासियों की पूरी जानकारी है जबकि NRC नागरिकों का रजिस्टर है। एनआरसी में जिसका नाम नहीं आता है, उन्हें विदेशी घोषित कर डिटेंशन सेंटर में रखा जा सकता है।
क्या हैं विपक्षी दलों के आरोप : AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह NRC को पूरे देश में लागू करना चाहती है। ओवैसी का कहना है कि NPR भारतीय नागरिकों की राष्ट्रीय पंजी (रजिस्टर) की ओर पहला कदम है, जो राष्ट्रव्यापी NRC का ही दूसरा नाम है।
ओवैसी ने 26 नवंबर 2014 को गृह मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति को भी ट्वीट पर शेयर किया है। इसमें राज्यसभा में जवाब देते हुए तत्कालीन गृहराज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने साफ कहा था कि एनआरसी भारत में रहने वाले सभी नागरिक और गैर नागरिकों का रजिस्टर है।
एनपीआर भारत में रहने वाले लोगों की नागरिकता को वेरीफाई करके एनआरसी को तैयार करने की दिशा में पहला कदम है। इसमें यह भी कहा गया था कि आधार के डेटा को एनपीआर में तब्दील करने का भी प्रस्ताव है। जून 2015 तक 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लोगों का बायोमैट्रिक नामांकन कर लिया जाएगा।
सरकारी वेबसाइट्स : सरकारी वेबसाइट्स पर दी गई पुरानी रिपोर्ट गृहमंत्री के बयान से उलट है। नागरिकता कानून 1955 में वर्ष 2004 में किए गए संशोधन के अनुसार एनआरआईसी में नाम दर्ज करवाना अनिवार्य है। गृह मंत्रालय की 2018-19 की सालाना रिपोर्ट के चैप्टर-15 में यह लिखा है कि NRC बनाने के लिए NPR पहला कदम है।
archive.india.gov.in पर मौजूद जानकारी के अनुसार गांव, तहसील, जिला, राज्य, राष्ट्रीय स्तर पर एनपीआर के डेटा की जांच के बाद नागरिकता तय होगी। इसी डेटा से नेशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन्स सिटीजन्स (एनआरआईसी) यानी एनआरसी तैयार होगा।