नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और NRC को लेकर देशभर में हिंसक प्रदर्शन हुए। देश के कई राज्यों ने CAA को अपने यहां लागू करने से इंकार किया। अब मोदी सरकार नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) लाने की तैयार कर रही है। आज मंगलवार सुबह 10.30 मोदी कैबिनेट की बैठक होने वाली है। माना जा रहा है कि NPR को अपडेट करने को लेकर फैसला हो सकता है। एनपीआर को बजट आवंटन करने का फैसला आज की बैठक में लिया जा सकता है।
आखिर क्या है NPR और यह NRC से कितना अलग है? जानिए सरल भाषा में। सबसे पहले समझते हैं क्या होता है नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR)।
नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर यानी राष्ट्रीय जनगणना रजिस्ट्रर NPR के तहत 1 अप्रैल, 2020 से 30 सितंबर, 2020 तक नागरिकों का डेटाबेस तैयार करने के लिए देशभर में घर-घर जाकर जनगणना की तैयारी है। इसमें देश के हर नागरिक की जानकारी होगी।
देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना NPR का मुख्य लक्ष्य है। इस डेटा में जनसांख्यिकी के साथ देश के हर नागरिक की बायोमीट्रिक जानकारी भी होगी। इसमें आंखों की रैटिना और फिंगर प्रिंट भी ली जाएगी।
NPR और NRC में क्या है अंतर? : नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर में बड़ा अंतर है। NPR का नागरिकता से कोई लेना-देना नहीं है। NRC का उद्देश्य जहां देश में अवैध नागरिकों की पहचान करना है, वहीं 6 महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में रहने वाले किसी भी निवासी को NRP में आवश्यक रूप से पंजीकरण करना होता है। बाहरी व्यक्ति भी अगर देश के किसी हिस्से में 6 महीने से रह रहा है तो उसे भी NPR में दर्ज होना है।
ये राज्य कर रहे हैं विरोध : CAA और NRC की तरह कई राज्य NPR का भी विरोध कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल, राजस्थान और केरल जैसे राज्य NPR का विरोध कर रहे हैं।
मनमोहन सरकार ने शुरू की थी योजना : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में 2010 में NPR बनाने की पहल शुरू हुई थी। तब 2011 में जनगणना के पहले इस पर काम शुरू हुआ था। अब फिर 2021 में जनगणना होनी है। ऐसे में NPR पर भी काम शुरू हो रहा है।
क्या होगा लाभ? : सरकार के पास देश के हर नागरिक की जानकारी होगी। NPR का उद्देश्य लोगों का बायोमीट्रिक डेटा तैयार कर सरकारी योजनाओं का लाभ असली लाभार्थियों तक पहुंचाना भी है। देश की सुरक्षा को लेकर कदम उठाए जा सकेंगे।