जीडीपी किसी भी देश की आर्थिक सेहत को मापने का सबसे जरूरी पैमाना होता है। भारत में जीडीपी (GDP) की गणना हर तीसरे महीने यानी तिमाही आधार पर होती है। सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल से जून के दौरान चालू वित्त वर्ष की तिमाही में देश का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर शून्य से 23.9 प्रतिशत नीचे लुढ़क गया है, जिसका सीधा असर देश के आम आदमी पर पड़ने वाला है।
जीडीपी की गिरावट की वजह कोरोना महामारी के बाद लगाया गया लॉकडाउन है। GDP के लिए मुख्य तौर पर 8 औद्योगिक क्षेत्रों कृषि, खनन, मैन्युफैक्चरिंग, बिजली, कंस्ट्रक्शन, व्यापार, रक्षा और अन्य सेवाएं के आंकड़े जुटाए जाते हैं। जुलाई माह में 8 क्षेत्रों में 9.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। GDP के गिरने का आम आदमी पर क्या प्रभाव होगा, आइये जानते हैं इसकी 5 बातें...
1. सकल घरेलू उत्पाद गिरने से प्रति व्यक्ति की औसत आमदनी कम हो जाएगी। अप्रैल से जून के बीच पूरी तरह से देश में लॉकडाउन था। आने वाले समय में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या बढ़ सकती है। जीडीपी में गिरावट से रोजगार दर में भी कमी आएगी।
2. लॉकडाउन की वजह से मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के हालात काफी बदतर हो चुके हैं। आने वाले समय में इस क्षेत्र में परेशानियां और बढ़ सकती हैं। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 39.3 प्रतिशत की गिरावट दिखी है तो कंस्ट्रक्शन सेक्टर की ग्रोथ रेट में 50.2 प्रतिशत की गिरावट आई है।
3. रोजगार के क्षेत्र में भी इसका असर देखने को मिल सकता है। ऑटो मोबाइल सेक्टर में तो इसका असर साफ दिखाई दे रहा है। इस क्षेत्र में लाखों लोगों की नौकरियां दांव पर लग गई हैं। अगर अर्थव्यवस्था मंदी में जा रही हो तो बेरोज़गारी का खतरा बढ़ जाता है। नई नौकरियां मिलनी भी कम हो जाती हैं और लोगों को निकाले जाने का सिलसिला भी तेज होता है.
4. लॉकडाउन की वजह से व्यापार, होटल, परिवहन लंबे समय तक बंद रहे हैं। इन तीनों क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों पर जीडीपी गिरने का असर हो सकता है।
5. नौकरियों में कटौती, बढ़ती महंगाई और देश की आर्थिक वृद्धि दर में कमी इन तीनों मोर्चों पर निराशा मिलने से लोगों की आर्थिक स्थिति पर इसका सीधा असर देखने को मिलेगा।