कब खुलेंगे केदारनाथ मंदिर के कपाट, महाशिवरात्रि पर हुआ एलान
केदारनाथ यात्रा में किन बातों का रखें ख्याल?
Kedarnath temple Mahashivratri : महाशिवरात्रि पर ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में एक धार्मिक समारोह एलान किया गया कि केदारनाथ मंदिर के कपाट 10 मई को सुबह 7 बजे खुलेंगे। मंदिर के कपाट 15 नवंबर को भाई दूज के दिन शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए थे।
मंदिर समिति ने बताया कि पंचमुखी डोली 6 मई को श्री केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेगी और विभिन्न पड़ावों से होते हुए 9 मई की शाम को केदारनाथ धाम पहुंचेगी।
गत वर्ष साढ़े उन्नीस लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने भगवान केदारनाथ के दर्शन किए थे। कपाट बंद होने के बाद से श्रद्धालु बाबा केदारनाथ के दर्शन और पूजा उनके शीतकालीन प्रवास स्थल ओंकारेश्वर मंदिर में कर सकते हैं।
उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में बर्फ से ढकी चोटियों के बीच स्थित भगवान शिव के इस मंदिर के दर्शन के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। सर्दियों में बर्फबारी और भीषण ठंड की चपेट में रहने के कारण चारधामों के कपाट हर साल अक्टूबर-नवंबर में श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं जो अगले साल अप्रैल-मई में फिर खोल दिए जाते हैं।
केदारनाथ को अर्द्धज्योतिर्लिंग कह जाता है। नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर को मिलाकर यह पूर्ण होता है। यह मंदिर 79.0669 डिग्री लांगिट्यूड पर स्थित है। यहां स्थित स्वयंभू शिवलिंग अतिप्राचीन है। यहां के मंदिर का निर्माण राजा जन्मेजय ने कराया था और जीर्णोद्धार आदिशंकराचार्य ने किया था। यहां साक्षात शिवजी विराजमान हैं।
केदारनाथ की यात्रा में इन बातों का रखें ध्यान :
1. उम्र : 12 साल से कम उम्र और 60 से ज्यादा की उम्र के लोगों को यहां की यात्रा से बचना चाहिए क्योंकि ऑक्सिजन लेवल कम रहता है और रास्ते में कई तरह की परेशानियों को झेलना पड़ सकता है।
2. हेली सेवा : केदारनाथ यात्रा पर जा रहे हैं और आप हेली सेवा का उपयोग करना चाहते हैं तो तो अभी से यहां की यात्रा के लिए बुकिंग करा लें। यहां से आप बुकिंक करा सकते हैं- https://heliservices.uk.gov.in/
3. पैदल प्रैक्टिस : यदि आप हेली सेवा से नहीं जा रहे हैं तो कुछ किलोमीटर तक पैदल चलने के लिए आप अभी से ही यात्रा के दौरान काम आने वाली चीजों का बंदोबस्त कर लें। अभी से ही चलने की प्रैक्टिस भी कर लें, क्योंकि करीब 16 किलोमीटर आपको पहाड़ों पर पैदल चलना होगा। यदि आप पैदल नहीं जाना चाहते हैं तो डोली पर बैठकर जा सकते हैं या खच्चर का उपयोग कर सकते हैं।
4. ठहरने की व्यवस्था : आपको ठहरने के लिए होटल और खान-पान की व्यवस्था को लेकर तैयारियां अभी से ही करनी होंगी। इसके लिए आप GMVN की वेबसाइट पर आप अपने बजट के हिसाब से होटल, फूड और एक्टिविटीज की बुकिंग कर सकते हैं।
5. जरूरी सामान : आप रास्ते के खतरों को समझकर अपने पास जरूरी सामान जरूर रखें। जैसे लाइफ जैकेट, जीपीएस मोबाइल, संपर्क बुक, कर्पूर, टॉर्च, फोल्डिंग छड़ी, उनी कपड़े, सूखे मेवे आदि। अपना यात्रा कार्ड और आधार कार्ड ले जाना ना भूलें। केदारनाथ यात्रा पर जाते समय बीएसएनएल, वोडाफोन और रिलायंस जियो की सिम लेकर जाएं क्योंकि वहां पर इनका बेहतर नेटवर्क रहता है।
6. यात्रा मार्ग : केदारनाथ की यात्रा सही मायने में हरिद्वार या ऋषिकेश से आरंभ होती है। हरिद्वार से सोनप्रयाग 235 किलोमाटर और सोनप्रयाग से गौरीकुंड 5 किलोमाटर आप सड़क मार्ग से किसी भी प्रकार की गाड़ी से जा सकते हैं। गौरीकुंड से आगे लगभग 16 किलोमाटर का रास्ता आपको पैदल ही चलना होगा या आप पालकी या घोड़े से भी जा सकते हैं। अधिकतर लोग सोनप्रयाग या गौरीकुंड में रुकते हैं।
7. यात्रा का समय : केदारनाथ जाने के लिए मई से अक्टूबर के मध्य का समय आदर्श माना जाता है क्योंकि इस दौरान मौसम काफी सुखद रहता है। मंदिर के कपाट खुलने की तिथि अक्षय तृतीया और बंद होने की तिथि दीवाली के आसपास की होती है। बरसात के मौसम में जाना यहां ठीक नहीं होता।
8. ठंड का सामान : ऊंचे और दूर्गम पहाड़ी इलाकों में लगातार होने वाली बर्फबारी के बाद पड़ने वाली भयंकर ठंड और ठंडी हवाओं के चलते यात्रा के दौरान भारी ठंड पड़ती है और अचानक से बारिश का सामना भी करना पड़ सकता है। ऐसे में रेनकोट के साथ ही कंबल लेकर जरूर जाएं।
9. रात में न करें यात्रा : कई लोग समय बचाने के लिए रात में अपनी रिस्क पर पैदल निकल पड़ते हैं। रात में एक ओर जहां जंगली जानवरों का खतरा रहता है वहीं प्राकृतिक आपदा के समय आप खतरे में पड़ सकते हैं। केदारनाथ के मार्ग में कई ऐसे स्थान रहते हैं जहां पर हिमस्खलन का खतरा रहता है। इसलिए आप बताए गई मार्ग का ही उपयोग करें।
10. गौरीकुंड से यात्रा : यदि आप एक ही दिन में यात्रा करना चाहते हैं तो शाम के पूर्व ही गौरीकुंड पहुंच जाएंगे, क्योंकि शाम के बाद वहां के मौसम का कोई भरोसा नहीं। इसके बाद गौरीकुंड से सोनप्रयाग रातोरात जाने की सोचें, सुबह ही जाएं। कारण की रात में सोनप्रयाग जाने वाले वाहनों में बहुत कम सिट मिलती है और गौरीकुंड में पहले से होटल या लॉज बुक नहीं कराई तो परेशानी उठाना पड़ सकती है।
Edited by : Nrapendra Gupta