मोबाइल फोन, रील्स, व्हॉट्सएप, इंस्टाग्राम और फेसबुक। आदमी की जिंदगी में यह सब इस कदर घुसपैठ कर चुके हैं कि अब मोबाइल के बगैर एक पल भी गुजारा नहीं होता। यहां तक तो ठीक था, लेकिन अगर मोबाइल के लिए न सिर्फ हत्याएं बल्कि क्रूरतम अपराध होने लगे तो इसे क्या कहा जाएगा। इतना ही नहीं, मोबाइल की वजह से पति-पत्नी ही एक दूसरे की जान लेने ले लें तो अंदाजा लगाना मुश्किल है कि हम किस तरफ जा रहे हैं।
एक यूजर राजाबाबू ने लिखा-- धीरे-धीरे समझ में आ रहा है सलमान खान ने शादी क्यों नहीं की।
अशोक शेखावत ने लिखा-- यह बहुत बुरी और खतरनाक घटना है। आज फोन प्राइवेट पार्ट से अधिक प्रिय हो गया है। लेकिन फोन का गुस्सा प्राइवेट पार्ट पर उतारना निंदनीय है।
एक यूजर ने लिखा-- moral of the story - u can buy a new phone but not new private parts, so dont mess with your wife's phone.
आप दूसरा फोन खरीद सकते हैं, लेकिन प्राइवेट पार्ट नहीं। इसलिए पत्नी के फोन से मत उलझो।
राधे मीना ने लिखा-- इसलिए पुरूष आयोग का गठन होना चाहिए कुछ महिलाएं महिला होने का ज्यादा ही फायदा उठाने लग गयी है। एक यूजर ने कहा- समझदारी दिखाए, जीवन बचाए।
पति ने पत्नी को गले लगाकर पीछे से मारी गोली, दोनों की मौत
एक दूसरी घटना भी पति पत्नी के बीच घटी है, जो दिल दहला देने वाली है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को गले लगाया और पीछे से गोली मार दी। गोली दोनों के सीनों को चीरती हुई आरपार हो गई, इसके चलते दोनों की मौत हो गई।
पुलिस के मुताबिक पति अनेक पाल और पत्नी सुमन पाल के बीच झगड़े पिछले एक सप्ताह में बढ़ गए थे, क्योंकि सुमन ने एक शादी समारोह में मोबाइल खो दिया था। 13 जून की रात को, अनेक पाल ने घर पर प्रार्थना की और फिर अपनी पत्नी को गले से लगाकर उसे गोली मार दी। वही गोली अनेक पाल के सीने में लगी और आर-पार हो गई। दोनों गोली लगने से घायल हो गए। उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन उनकी जान नहीं बच पाई। दंपत्ति के परिवार में 4 बच्चे हैं, जिनमें एक बेटी और तीन बेटे हैं। दोनों पति-पत्नी में अक्सर किसी न किसी बात को लेकर झगड़ा होता रहता था।
पति पत्नी के बीच हिंसा : क्या कहते हैं मनोचिकित्सक जोड़ियां आसमानों में नहीं बनती वरिष्ठ मनोचिकित्सक औरविचारक डॉ सत्यकांत त्रिवेदी ने वेबदुनिया को इस केस के बारे में चर्चा करते हुए बताया— रिश्तों को कायम रखने का ओढ़ा/सीखा हुआ सामाजिक दबाव, कपल्स के मतभेदों को दबाता हुआ चला जाता है। जरूरत है कि हम व्यक्तित्व पर ध्यान केंद्रित करें कि जो रिश्तों के सामंजस्य की धुरी हैं। मन में पल रही ग्रथियां कुंठा का रूप लेती जाती हैं, जिनका पेशेवर निराकरण ना होने पर बात हिंसा पर जाकर खत्म हो रही है। सही समय पेशेवर सलाह स्वस्थ विकल्प है, इस भ्रम से बाहर आएं की जोड़ियां आसमानों में बनती हैं और सब अपने आप सही हो जाता है।
स्क्रीन टाइम बढ़ा, धैर्य घटा
दरअसल, इन दिनों लोगों को मोबाइल की लत लगी हुई है। सोशल मीडिया पर आने वाले कंटेंट और वीडियो को देखने और स्क्रोल करने में लोग घंटों गुजार रहे हैं। बच्चों से लेकर बडों तक सभी मोबाइल की जद में बुरी तरह से आ चुके हैं। कुल मिलाकर यूजर्स का स्क्रीन टाइम बढ़ गया, जबकि लोगों में धैर्य लगातार कम होता जा रहा है। मोबाइल के इस्तेमाल का मना करने पर बच्चे गुस्सा हो रहे हैं। पिछले दिनों तो आत्महत्या के मामले भी सामने आए हैं। गुजरात में तो एक बच्चे को मोबाइल नहीं देने पर उसने पूरे घर के कीमती सामान को तहस-नहस कर दिया था।
Edited by navin rangiyal