महाराष्ट्र के उनकाउंटर स्पेशलिस्ट इंस्पेक्टर सचिन वाजे एक बार फिर चर्चा में हैं। एक बार फिर वाजे पर सबूत मिटाने के साथ ही एक 'संदिग्ध हत्या' में शामिल होने का आरोप है। ...और यह मामला उस स्कॉर्पियो कार के मालिक से जुड़ा हुआ है, जो भारत के शीर्ष उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास 'एंटीलिया' के बाहर मिली विस्फोटकों वाली कार से जुड़ा हुआ है।
आपको बता दें कि कार के मालिक मनसुख हिरेन की संदिग्ध हालात में मौत हो चुकी है। हिरेन ने अपनी कार की चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस बीच, हिरेन की पत्नी का आरोप है कि वाजे उनके पति के खून में शामिल हैं। दूसरी ओर, महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस सबूत मिटाने के लिए सचिन की गिरफ्तारी की मांग की है। इस बीच, महाराष्ट्र सरकार ने विपक्ष के दबाव में वाजे का तबादला क्राइम ब्रांच से कर दिया है।
कौन हैं सचिन वाजे : सचिन वाजे महाराष्ट्र पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट हैं। उनका जन्म 22 फरवरी 1972 में कोल्हापुर में हुआ तथा 1990 में वे पुलिस अधिकारी बने। उनके पुलिस करियर की शुरुआत गढ़ चिरौली जैसे नक्सल प्रभावित इलाके से हुई। बाद में उनका तबादला ठाणे में हुआ, जहां वे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा की टीम में शामिल हुए। 1992 से 2004 तक उन्होंने 63 अपराधियों के एनकाउंटर किए।
वर्ष 2002 में बदली जिंदगी : मुंबई के घाटकोपर ब्लास्ट से जुड़े मामले ने सचिन वजे की जिंदगी को बदलकर रख दिया। दरअसल, इस हमले के आरोपी ख्वाजा यूनुस को दिसंबर में गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन ख्वाजा को औरंगाबाद ले जाते समय वह पुलिस हिरास से फरार हो गया। इस घटना की सीआईडी जांच की गई, जिसमें खुलासा हुआ कि ख्वाजा की मौत तो पुलिस हिरासत में ही हो गई थी। इसके बाद वजे को निलंबित किया गया फिर 2004 में सबूत मिटाने के आरोप में उनकी गिरफ्तारी भी हुई।
राजनीति में प्रवेश : वर्ष 2008 में सचिन वजे शिवसेना में शामिल हो गए और इसके साथ ही तकनीक पर अच्छी पकड़ होने के कारण उन्होंने लालबिहारी नामक नेटवर्किंग साइट भी शुरू की। इतना ही नहीं सचिन ने लेखन में भी हाथ आजमाया। शीना बोरा हत्याकांड और डेविड हैडली पर किताबें भी लिखीं।
2020 में फिर वर्दी पहनी : 2020 में एक बार फिर सचिन वजे को वर्दी मिल गई। वर्दी पहनते ही वे एक बार फिर एक्शन में दिखे। अर्णब गोस्वामी से जुड़े बहुचर्चित मामले में भी वे काफी चर्चा में रहे थे। उन्होंने न सिर्फ अर्णब की गिरफ्तारी की थी, बल्कि मामले की जांच का जिम्मा भी सौंपा गया था।