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HMPV वायरस से किसको सबसे ज्यादा खतरा और क्या है उपचार?

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, मंगलवार, 7 जनवरी 2025 (07:30 IST)
symptoms of HMPV: कोरोना की ही तरह चीन वाला वायरस ह्यूमन मेटान्यूमो यानी एचएमपीवी (HMPV) दुनिया को फिर से डरा रहा है। हालांकि इस वायरस को खतरनाक नहीं माना जा रहा है। लेकिन, यह जरूर कहा जा रहा है कि इसका असर बच्चों और बुजुर्गों पर हो सकता है। कोरोना (COVID-19) के बारे में शुरू में यही कहा जा रहा था। इस बीच, भारत में इस वायरस के तीन मामले सामने आ गए हैं। ये तीनों ही बच्चे और इन सबकी उम्र एक साल के भीतर ही है। इनमें दो मामले कर्नाटक से हैं, जबकि एक गुजरात से है। 
 
इस बीच, केन्द्र के साथ ही राज्य सरकारें भी सतर्क हो गई हैं। शुरुआती दौर में यह वायरस सर्दी-खांसी जैसा दिखाई दे रहा है, लेकिन इसका आधिकारिक उपचार अथवा टीका फिलहाल उपलब्ध नहीं है। केन्द्र सरकार ने भी भारत में एचएमपीवी मामले की पुष्टि कर दी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि तीन महीने की बच्ची को ‘ब्रोंकोन्यूमोनिया’ की शिकायत थी और उसे बेंगलुरु के बैपटिस्ट अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसके एचएमपीवी से संक्रमित होने का पता चला था। उसे पहले ही अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। ALSO READ: HMPV संक्रमित बच्चे के पिता ने क्या कहा, क्या है बच्चे की स्थिति
 
कई देशों में फैल रहा है वायरस : ‘ब्रोन्कोन्यूमोनिया’ से पीड़ित 8 महीने के एक शिशु को तीन जनवरी को बैपटिस्ट अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद जांच में उसके एचएमपीवी से संक्रमित होने का पता चला। मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि एचएमपीवी का संक्रमण पहले से ही भारत सहित कई देशों में फैल रहा है तथा विभिन्न देशों में इससे संबंधित श्वसन संबंधी बीमारियों के मामले सामने आए हैं।  ALSO READ: lockdown की दहशत में दुनिया, Covid के बाद 50 साल पुराने HMPV वायरस से निपटने के लिए भारत कितना तैयार
 
मंत्रालय ने कहा कि वह सभी उपलब्ध निगरानी माध्यमों के जरिए स्थिति की निगरानी कर रहा है और आईसीएमआर पूरे साल एचएमपीवी संक्रमण के रुझानों पर नजर रखेगा। केन्द्रीय मंत्रालय ने कहा कि देश भर में हाल में की गई तैयारियों से पता चलता है कि भारत श्वसन संबंधी बीमारियों में किसी भी संभावित वृद्धि से निपटने के लिए तैयार है और जरूरत पड़ने पर सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय तुरंत लागू किए जा सकते हैं।
 
एचएमपीवी क्या है? : एचएमपीवी एक वायरल रोगाणु है जो सभी उम्र के लोगों में श्वसन संक्रमण का कारण बनता है। इसका पता पहली बार 2001 में चला। यह पैरामाइक्सोविरिडे परिवार से संबंधित है और ‘रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस’ (आरएसवी) से निकटता से संबंधित है। एचएमपीवी खांसने या छींकने से निकलने वाली सांस की बूंदों के साथ-साथ दूषित सतहों को छूने या संक्रमित व्यक्तियों के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। यह वायरस श्वसन संबंधी मामलूी परेशानी से लेकर गंभीर जटिलता से जुड़ी बीमारियों तक का कारण माना जाता है, विशेष रूप से शिशुओं, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में। ALSO READ: lockdown की दहशत में दुनिया, Covid के बाद 50 साल पुराने HMPV वायरस से निपटने के लिए भारत कितना तैयार
 
एचएमपीवी के लक्षण : एचएमपीवी के लक्षण व्यक्ति की उम्र, सामान्य स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के आधार पर भिन्न होते हैं। हल्के मामलों में आमतौर पर नाक बहना, गले में खराश, खांसी और बुखार का आना शामिल है, जो सामान्य सर्दी जैसा होता है। मध्यम लक्षणों में लगातार खांसी और थकान को शामिल किया जा सकता है। गंभीर मामलों में (विशेष रूप से शिशुओं, बुजुर्गों और पुरानी बीमारियों वाले लोगों में) एचएमपीवी ब्रोंकाइटिस, ब्रोंकियोलाइटिस या निमोनिया जैसी जटिलताओं का कारण बन सकता है।
 
कैसे हो रोकथाम : एचएमपीवी अन्य श्वसन वायरस जैसे आरएसवी और इन्फ्लुएंजा के समान ही फैलता है। संचरण मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्तियों की श्वसन बूंदों या दूषित सतहों के संपर्क के माध्यम से होता है। एचएमपीवी के प्रसार को रोकने के लिए साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोने सहित अन्य स्वच्छता उपायों को अपनाना आवश्यक है। छींकते या खांसते समय मुंह और नाक को ढंकना और मास्क पहनना भी इसके प्रसार को सीमित कर सकता है। संक्रमित व्यक्तियों के साथ निकट संपर्क से बचना और बार-बार छुई जाने वाली सतहों को नियमित रूप से कीटाणुरहित करना अतिरिक्त निवारक उपाय हैं।
 
संक्रमण से उबरने की अवधि : एचएमपीवी संक्रमण के हल्के मामले आमतौर पर कुछ दिनों से लेकर एक सप्ताह तक रहते हैं। गंभीर मामलों में, बेहतर महसूस करने में संभवतः अधिक समय लगेगा। खांसी जैसे लंबे समय तक रहने वाले लक्षणों को दूर होने में अधिक समय लग सकता है।
 
कैसे करें एचएमपीवी की पहचान : केवल लक्षणों के आधार पर एचएमपीवी का निदान करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि यह आरएसवी और इन्फ्लूएंजा जैसे अन्य श्वसन संक्रमणों की नकल लगता है। ‘रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेज चेन रिएक्शन’ (आरटी-पीसीआर) एचएमपीवी आरएनए का पता लगाने के लिए सबसे अच्छा तरीका है, जबकि एंटीजन की पहचान करने वाली जांच से त्वरित परिणाम मिलते हैं। भारत में, श्वसन संबंधी बीमारियों की निगरानी और नियंत्रण के अपने प्रयासों के तहत, आईसीएमआर और एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) जैसे निगरानी कार्यक्रम नियमित रूप से एचएमपीवी सहित श्वसन संबंधी बीमारी देने वाले अन्य वायरस का परीक्षण करते हैं।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 
 

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