कौन हैं स्वामी स्मरणानंद जिनके निधन से पहले PM Modi नंगे पैर गए थे मिलने?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
बुधवार, 27 मार्च 2024 (12:59 IST)
Swami Smarananand : रामकृष्ण मिशन (Ram krishna mission) के अध्यक्ष स्वामी स्मरणानंद (President Swami Smarananand) का मंगलवार रात वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों के कारण निधन (died due to diseases) हो गया।

पीएम मोदी पहुंचे थे मिलने : स्वामी स्मरणानंद महाराज की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब उनके बीमार होने की खबर मिली तो पीएम मोदी भी उनसे मिलने के लिए अस्‍पताल पहुंचे। रिपोर्ट के मुताबिक मोदी मुंह पर मास्क लगाकर और नंगे पांव उनके मिलने पहुंचे।

कौन हैं स्वामी स्मरणानंद महाराज : बता दें कि रामकृष्ण मठ और मिशन के 16वें अध्यक्ष स्वामी स्मरणानंद जी हैं। उन्होंने स्वामी आत्मस्थानंद की मृत्यु के बाद 17 जुलाई 2017 को अध्यक्ष का पद संभाला था। स्वामी स्मरणानंद का जन्म 1929 में तमिलनाडु के तंजावुर के अंदामी गांव में हुआ था। अपने छात्र जीवन से ही गहन विचारक थे। रामकृष्ण संप्रदाय के साथ उनका पहला संपर्क 20 साल की उम्र में हुआ जब उन्होंने संप्रदाय की मुंबई शाखा में कदम रखा और 1952 में 22 वर्षीय ने मठवासी जीवन अपना लिया।

1952 में ली अध्‍यात्‍म की दीक्षा : 1952 में स्वामी शंकरानंद ने दी थी आध्यात्मिक दीक्षा संप्रदाय के सातवें अध्यक्ष स्वामी शंकरानंद ने उन्हें 1952 में ही आध्यात्मिक दीक्षा दी, जिससे वे तीसरी पीढ़ी के शिष्य बन गए। चार साल बाद स्वामी शंकरानंद ने उन्हें ब्रह्मचर्य की शपथ दिलाई। 1960 में उन्होंने संन्यास की शपथ ली और उनका नाम स्वामी स्मरणानंद रखा गया। मुंबई केंद्र से उन्हें 1958 में अद्वैत आश्रम की कोलकाता शाखा में स्थानांतरित कर दिया गया।

1991 में रामकृष्ण मठ के प्रमुख : वे चेन्नई में रामकृष्ण मठ के प्रमुख के रूप में 1991 में पहुंचे। अप्रैल 1995 में वह बेलूर मठ में सहायक सचिव के रूप में लौट आए। दो साल बाद 1997 में वह ऑर्डर के महासचिव बने। अगले दशक तक उन्होंने विश्वव्यापी आंदोलन का नेतृत्व किया और 2007 में वे इस आदेश के उपाध्यक्ष बने। इसके बाद उन्होंने स्वामी आत्मस्थानंद की मृत्यु के बाद 17 जुलाई, 2017 को अध्यक्ष का पद संभाला था।

प्रबुद्ध भारत के सहायक संपादक : 18 वर्षों तक उन्होंने आश्रम के मायावती और कोलकाता दोनों केंद्रों में सेवा की। कुछ वर्षों तक वे स्वामी विवेकानन्द द्वारा प्रारम्भ की गई अंग्रेजी पत्रिका 'प्रबुद्ध भारत' के सहायक संपादक भी रहे। 1976 में बेलूर मठ के पास एक शैक्षिक परिसर रामकृष्ण मिशन सारदापीठ में सचिव के रूप में वे रहे। उन्होंने अगले डेढ़ दशक तक वहां काम किया। 1978 में उन्होंने बंगाल में आई विनाशकारी बाढ़ के दौरान व्यापक राहत कार्य चलाया।
Edited by Navin Rangiyal
Show comments

जरूर पढ़ें

Congress : बूथ से विचाराधारा तक की चुनौतियों पर कांग्रेस का मंथन, क्या होंगे अहमदाबाद अधिवेशन के मुद्दे

पश्चिम बंगाल में रामनवमी की धूम, हाईअलर्ट के बीच जुलूस और शोभायात्राएं, BJP और TMC के नेता हुए शामिल

Waqf amendment bill को लेकर सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका, जानिए क्या की गई मांग

किसान नेता जगजीत डल्लेवाल ने तोड़ा अनशन, केंद्रीय मंत्री शिवराज ने की थी अपील

भाषा विवाद के बीच PM मोदी का बड़ा बयान, DMK को लेकर कही बड़ी बात, स्टालिन पर कसा तंज

सभी देखें

नवीनतम

दिल्ली छावनी में महिला पर चाकू से सरेआम हमला, पीड़िता और हमलावर अस्पताल में भर्ती

SP नेता के 10 ठिकानों पर ED की छापेमारी, 700 करोड़ के बैंक लोन घोटाले का मामला

कुणाल कामरा ने खटखटाया बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा, FIR को रद्द करने की मांग की

Petrol Diesel Prices : अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑइल के दाम निचले स्तर पर, जानें पेट्रोल और डीजल के ताजा भाव

संभल में उपद्रवियों ने जो ईंट पुलिसकर्मियों पर फेंकी, उनसे बना डाली चौकी, लिख दिया कृष्ण का उपदेश

अगला लेख