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पनौती कथावाचक प्रदीप मिश्रा ने जिसे भी आशीर्वाद दिया उसका राजनीतिक कॅरियर हुआ स्‍वाहा

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नवीन रांगियाल

बाबाओं और नेताओं का चोली- दामन का साथ है, इन दिनों जिस तरह की राजनीति चल रही है, उसमें तमाम नेता बाबाओं की शरणागत या कहें चरणागत हैं तो वहीं, बाबाओं को भी अपने झूठे चमत्‍कार की दुकानें चलाने के लिए नेताओं और मंत्रियों की जरुरत होती है। ऐसे में अपने पॉलिटिकल कॅरियर को धकाने के लिए कई नेता बाबाओं से आशीर्वाद लेने के लिए उनके पांडाल पहुंचते रहे हैं। पिछले दिनों कांग्रेस और भाजपा के कई नेताओं ने सीहोर के कथा वाचक प्रदीप मिश्र के दरबार में माथा टेका।

चुनाव जीतने के लिए कभी कथा करवाई तो कभी सत्‍संग। लेकिन पंडित प्रदीप मिश्र इन नेताओं के लिए पनौती ही साबित हुए। भगवान शिव पर जल चढ़ाने के नुस्‍खे से परीक्षा पास कराने का दावा करने वाले पंडित मिश्रा के आशीर्वाद के बाद कई नेताओं का राजनीतिक कॅरियर बर्बाद हो गया। इन नेताओं में मध्‍यप्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री कमलनाथ, प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री नरोत्‍तम मिश्रा, कांग्रेस से भाजपा में आए संजय शुक्‍ला जैसे नेता शामिल हैं।

पनौती कथावाचक : कुल मिलाकर जिसे भी पंडित प्रदीप मिश्रा ने आशीर्वाद दिया उसका भविष्‍य बर्बाद हुआ, वहीं हर साल उनके आयोजनों में भगदड़ मचना और आम लोगों की मौत होना भी लगातार हो रहा है, आयोजन की वजह से इंदौर-भोपाल मार्ग पर जाम लगता है और लाखों लोग परेशान होते हैं। ऐसे में जनता को भी यह समझना चाहिए कि भगवान की असल आस्‍था को ताक में रखकर टोटके बताकर चमत्‍कार की आस दिखाने वाले तथाकथित कथावाचक के दरबार में माथा टेकने से बचना चाहिए।
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कमलनाथ : काम न आया आशीर्वाद : विधानसभा चुनाव 2023 में एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ ने सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पकड़ ली थी। वे हनुमान भक्‍त कहलाते हैं, लेकिन बाद में खुद को तथाकथित शिवभक्‍त कहलवाने वाले प्रदीप मिश्र के दरबार में पहुंच गए। उन्‍होंने कई बाबाओं को अपने गढ़ में बुलाया। इनमें एक कथावाचक यही प्रदीप मिश्र थे। हालांकि पार्टी के अंदर ही बाबा की कथाओं को लेकर विरोधाभास था। लेकिन सबसे बेपरवाह कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा करवाई। ऐसे विवादित बाबा को अपने गढ़ में बुलाना कमलनाथ के लिए जरूरी है था या मजबूरी यह तो किसी को नहीं पता, लेकिन कमलनाथ यह चुनाव हार गए। कभी मध्‍यप्रदेश के मुखिया के तौर पर रहे नाथ पार्टी में भी सबसे पहली पंक्‍ति के नेता थे, लेकिन प्रदीप मिश्र का ऐसा आशीर्वाद मिला कि अब कांग्रेस में उन्‍हें कोई पूछने वाला नहीं है।
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नरोत्‍तम मिश्रा : घर बैठे गृह मंत्री : मध्‍यप्रदेश के प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री नरोत्‍तम मिश्रा की भाजपा में खूब चलती थी। वे प्रदेश के गृह मंत्री रह चुके हैं। पंडित प्रदीप मिश्रा से उनकी काफी नजदिकियां देखी गईं। जब प्रदीप मिश्रा के सीहोर में धार्मिक आयोजन के दौरान भगदड मची और लोग मरे तो चारों तरफ कथावाचक मिश्रा की आलोचना हुई, लेकिन नरोत्‍तम मिश्रा उनके बचाव में बयान देते नजर आए। कई मंचों पर नरोत्‍तम मिश्रा पंडित मिश्रा से आशीर्वाद लेते नजर आए। उनकी राजनीति मिश्रा के आशीर्वाद से ही बर्बाद हुई। आज नरोत्‍तम मिश्रा का मध्‍यप्रदेश में कोई नामलेवा नहीं है। वे भी विधानसभा चुनाव हार गए थे।

संजय शुक्‍ला : न माया मिली न राम : कांग्रेस से भाजपा में आए संजय शुक्‍ला भी किसी जमाने में प्रदीप मिश्रा के भक्‍तों में शामिल थे। उन्‍होंने इंदौर में प्रदीप मिश्रा की कथा का आयोजन करवाया था। सबकुछ राजनीति और वोट बैंक के लिए किया गया था। शुक्‍ला मिश्रा के दरबार में माथा टेकते नहीं थकते थे। उन्‍हें लगा था कि कथावाचक के आशीर्वाद से वे चुनाव जीत जाएंगे, लेकिन बुरी तरह से हार गए। बता दें कि संजय शुक्‍ला कांग्रेस में थे, लेकिन अपनी लगातार हार और भाजपा में राजनीतिक बहार के चलते वे भाजपा में आ गए थे। लेकिन प्रदीप मिश्र के आशीर्वाद में उन्‍हें भी न तो माया मिली न राम।
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नवनीत राणा : कथा काम नहीं आई : महाराष्ट्र के अमरावती से सांसद नवनीत राणा भी पंडित प्रदीप मिश्रा की मुरीद थीं। उन्‍होंने कथा के लिए पंडित प्रदीप मिश्रा को आमंत्रित किया था। उनके मंच से अपने लिए वोट भी मांगे थे। यहां तक कि कथा से पहले मिलने वाली धमकियों के बाद उन्‍होंने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की थी। उन्‍होंने लिखा था कि प्रदीप मिश्रा को अंजान शख्स धमकियां भी दे रहा है। कोई उन्हें बदनाम करने और ब्लैकमेल करने की धमकी दे रहा है। आरोपी ने उन्हें धमकी भरे गुमनाम पत्र भी लिखे थे। राणा को लगा था कि प्रदीप मिश्रा के भरोसे वे चुनाव जीत जाएगी, लेकिन हार गईं। कुल मिलाकर पंडित मिश्रा ने जिस भी नेता के सिर पर हाथ रखा उसका राजनीतिक भविष्‍य बर्बाद ही हुआ। ऐसे में जनता को भी यह समझना चाहिए कि भगवान की असल आस्‍था को ताक में रखकर टोटके बताकर चमत्‍कार की आस दिखाने वाले तथाकथित कथावाचक के दरबार में माथा टेकने से बचना चाहिए।
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अमित शाह को बताया था ‘शिव अवतार’: गौरतलब है कि मधेपुरा के सिंहेश्वर में आयोजित शिव महापुराण कथा के दौरान पंडित प्रदीप मिश्रा ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की तुलना भगवान शिव से की थी। उन्होंने कहा था कि भारत के गृहमंत्री अमित शाह शिव का एक रूप हैं। उनकी मौनता और शांति के बाद उनका तांडव जरूर देखने को मिलेगा। मुझे पूर्ण विश्वास है कि इन आतंकियों का अंत होगा। बता दें कि यह बयान उन्‍होंने पहलगाम में आतंकी हमले के बाद दिया था, जिसके बाद कांग्रेस ने जमकर मिश्रा की आलोचना करते हुए घेरा था।

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