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आंध्रप्रदेश के वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में क्यों मची भगदड़? कुछ प्रमुख कारण आए सामने

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, शनिवार, 1 नवंबर 2025 (18:59 IST)
Stampede at Venkateswara Swamy Temple: आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के काशीबुग्गा स्थित श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में हुई भगदड़ में करीब 10 लोगों की मौत हो गई। इस भगदड़ के पीछे कई तरह की लापरवाहियां सामने आई हैं। बताया जा रहा है कि एकादशी के होने के कारण मंदिर में क्षमता से अधिक श्रद्धालु पहुंच गए थे। इस मंदिर को पूर्व का तिरुपति कहा जाता है। 
 
दरअसल, श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में भगदड़ की मुख्य वजह श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़भाड़ थी, जो विशेष रूप से एकादशी के शुभ अवसर पर दर्शन के लिए उमड़ी थी। एकादशी और कार्तिक मास के कारण श्रद्धालुओं की संख्या मंदिर की क्षमता से कहीं ज्यादा (20-25 हजार तक) हो गई थी। इस घटना पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, आंध्र प्रदेश के मुख्‍यमंत्री चंद्रबाबू ने दुख व्यक्त किया है। 
 
श्रीकाकुलम के एसपी केवी महेश्वर रेड्डी ने कहा कि वहां सिर्फ एक ही एंट्री और एग्जिट है। यह घटना सीढ़ियों के पास लोहे की ग्रिल गिरने की वजह से हुई। डर के मारे लोगों को लगा कि कुछ गिर रहा है और वे घबरा गए। वे लगभग छह फुट की ऊंचाई से गिरे। इसके चलते लोग एक दूसरे पर गिर गए। इसी वजह से यह घटना हुई। आइए जानते हैं भगदड़ मचने के प्रमुख कारणों के बारे में.... 
  • देवउठनी एकादशी के चलते क्षमता से अधिक श्रद्धालुओं का पहुंचना। इनकी संख्या 20 से 25 हजार बताई जा रही है। 
  • श्रद्धालुओं के लिए आने-जाने के लिए केवल एक ही द्वार का इस्तेमाल किया जा रहा था। इसके चलते वहां अफरा तफरी मच गई। 
  • बताया जा रहा है कि सीढ़ियों के किनारे लगी रेलिंग भीड़ के दबाव से टूट गई, जिससे कुछ लोग नीचे गिर गए। अचानक हुए इस हादसे के बाद वहां भगदड़ की स्थिति निर्मित हो गई। 
  • भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त पुलिस बल, मेडिकल टीम या आपातकालीन सेवाएं घटनास्थल पर मौजूद नहीं थीं।
  • यह एक निजी मंदिर था। आयोजकों ने इतनी बड़ी भीड़ जुटने की संभावनाओं के चलते कोई आधिकारिक अनुमति नहीं ली थी और न ही सरकारी अधिकारियों को इसकी सूचना दी थी।
  • मंदिर क्षेत्र में निर्माण कार्य भी चल रहा था, जिसके चलते रास्ता और संकरा हो गया। जिससे लोग खुद को संभाल नहीं पाए। 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 
 

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