जो राम को लाए, वे अयोध्या के मतदाताओं को नहीं भाए

संदीप श्रीवास्तव
Why did BJP lose the Ayodhya Lok Sabha seat: अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद हुए लोकसभा चुनाव में अयोध्या (फैजाबाद लोकसभा सीट) से भाजपा की करारी हार देश ही नहीं दुनिया में भी चर्चा का विषय बनी हुई है। 23 जनवरी, 2024 से अब तक दो करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु रामलला के दर्शन कर चुके हैं। श्रद्धालुओं के अयोध्या पहुंचने का सिलसिला लगातार जारी है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या सहित पूरे देश में एक ही नारा गूंज रहा था कि 'जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे'। लेकिन, अयोध्या का चुनाव परिणाम ठीक इसके उलट हो गया। अर्थात जो राम को लाए, वे अयोध्या के मतदाताओं को नहीं भाए...। 
 
आखिर क्यों नकारे गए लल्लू : अयोध्या जनपद के फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र पर दुनिया की निगाहें लगी हुई थीं, लेकिन यहां से दो बार के सांसद लल्लू सिंह इस बार अपनी जीत की हैट्रिक लगाने में असफल रहे और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अवधेश प्रसाद ने 54 हजार 567 वोटों से जीत दर्ज कर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। इसके बाद इस बाद की चर्चा चल पड़ी है कि आखिर जनता ने फैजाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा और लल्लू सिंह को क्यों नकार दिया? ऐसा क्यों हुआ, इसे जानने के लिए वेबदुनिया ने ग्राउंड पर जाकर फैजाबाद के मतदाताओं से बातचीत की। 
 

हार एक, कारण अनेक : दरअसल, लोगों से बातचीत में जो तथ्य सामने आए, उनके अनुसार भाजपा सांसद व प्रत्याशी लल्लू सिंह का फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं के दूर रहना, उनसे न मिलना, पार्टी के कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करना, लल्लू सिंह के कार्यों से क्षेत्र में मतदाताओं की नाराजगी, एंटी इन्कम्बेंसी प्रमुख मुद्दे रहे। 
 
अयोध्या के महंत विवेक आचार्य वेबदुनिया से बातचीत में कहते हैं कि कहते हैं कि लल्लू सिंह की हार का सबसे बड़ा कारण मतदाताओं के प्रति उनकी उदासीनता रही। वे लोगों से मिले-जुले नहीं। कांग्रेस का वोट भी सपा को मिला। इस हार से पूरी दुनिया में अयोध्या की बदनामी हुई है। अमित जायसवाल ने कहा कि रामपथ पर चौड़ीकरण के कारण कई लोगों का नुकसान हुआ। उनकी सुनवाई नहीं हुई। सांसद भी कभी लोगों के साथ खड़े नहीं हुए। रोजगार को लेकर भी युवा वर्ग में गुस्सा था। सांसद सिंह ने जनसंपर्क भी नहीं किया। 
इसके अलावा राम मंदिर निर्माण के दौरान अयोध्या जनपद के विभिन्न मार्गों के चौड़ीकरण के दौरान बेघर हुए लोग, अपने व्यवसाय से हाथ धो बैठे लोग, वे लोग जिनके घर, मकान व दुकान सड़क चौड़ीकरण की भेंट चढ़े और उन्हें मुआवजा भी नहीं दिया गया। उनका दुख-दर्द जानने के लिए एक बार भी भाजपा सांसद लल्लू सिंह उनके क्षेत्र व मुहल्लों में नहीं गए। शायद इसलिए कि वे श्रीराम के नाम व मोदी के नाम पर चुनाव जीत जाएंगे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। उनका ओवर-कॉन्‍फिडेंस हार का प्रमुख कारण रहा। 
 
अयोध्या में भाजपा की हार से आहत महंत अवधेश दास ने कहा कि इसका पूरे देश में गलत संदेश गया है। इसमें कोई दोराय नहीं कि कांटे का मुकाबला था, लेकिन सांसद लल्लू सिंह का अति‍ आत्मविश्वास उन्हें ले डूबा। कई नेताओं ने ऊल-जुलूल बयानबाजी की जिसका भी नुकसान हुआ। हालांकि उन्होंने कहा कि अयोध्या के प्रति लोगों की श्रद्धा कभी कम नहीं होगी। स्थानीय निवासी प्रवीण सिंह कहते हैं कि लल्लू सिंह की हार का बड़ा कारण मतदाताओं के प्रति उनकी उदासीनता रही। वे किसी के दरवाजे वोट मांगने नहीं गए। इससे बहुत से मतदाता बूथ तक ही नहीं पहुंचे। संविधान बदलने की बात से भी उन्हें नुकसान पहुंचा। 
 
लल्लू ‍सिंह पर आरोप भी लगे : इसके साथ ही लोकसभा चुनाव से पूर्व भाजपा सांसद लल्लू सिंह व अन्य भाजपा नेताओं पर अयोध्या में जमीन खरीदकर ऊंचे दामों पर बेचने का आरोप भी लगा। इस मुद्दे को विपक्षियों ने जोर-शोर से उठाया भी था, जो कि काफी चर्चा का विषय बना। अयोध्या नगर निगम द्वारा भारी भरकम टैक्स का बोझ और सबसे अहम रहा लल्लू सिंह का एक वायरल वीडियो जिसमें लल्लू सिंह ने संविधान संशोधन की बात कही। इसे विपक्षी दल सपा व कांग्रेस ने जोरदार ढंग से अपने-अपने मतदाताओं के बीच प्रसारित किया। इसका नुकसान भाजपा को न सिर्फ अयोध्या बल्कि यूपी में भी हुआ। अनुमान के विपरीत परिणाम सामने आया और अयोध्या मंडल की सभी पांचों सीटों सीटों से भाजपा को हाथ धोना पड़ा।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala
 

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