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वन नेशन वन इलेक्शन पर क्यों भड़का विपक्ष? जानिए किसने क्या कहा

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, बुधवार, 18 सितम्बर 2024 (20:24 IST)
One nation one election News: वन नेशन, वन इलेक्शन प्रस्ताव को सत्तारूढ़ भाजपा एवं ‍उसके सहयोगी दलों ने सराहा है, लेकिन विपक्षी दलों ने इसकी खुलकर आलोचना की है। वहीं, यूपी की पूर्व मुख्‍यमंत्री मायावती ने एक देश, एक चुनाव का समर्थन किया है। इस मामले में उच्च स्तरीय समिति ने 62 राजनीतिक दलों से संपर्क किया था जिनमें से 47 ने जवाब दिया। इनमें से 32 ने एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया और 15 ने इसका विरोध किया।
 
देश इस विचार को स्वीकार नहीं करेगा : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने दावा किया कि देश इस विचार को कभी स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का विचार व्यवहारिक नहीं है और भाजपा इसके जरिए विधानसभा चुनावों में असल मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहती है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि यह एक निर्रथक विचार है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि मौजूदा संविधान के तहत यह संभव नहीं है तथा इसके लिए कम से कम 5 संवैधानिक संशोधनों की आवश्यकता है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि यह व्यावहारिक नहीं है, क्योंकि कई विधानसभाएं हैं, जिन्हें भंग नहीं किया जा सकता है।
 
यह संभव नहीं है : छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता टीएस सिंह देव ने कहा कि आज के समय और संविधान के अंतर्गत यह संभव नहीं है। मान लीजिए-जनवरी 2025 से वन नेशन वन इलेक्शन लागू हो गया है, अब पूरे देश की विधानसभाओं और लोकसभा के एक साथ चुनाव होंगे। किसी राज्य या केंद्र की सरकार दो साल बाद गिर जाती है और यह सरकार 5 साल तक के लिए चुनी जाती है, यानी उसका अगला चुनाव 2032 (जहां की सरकार गिरी हो) में आएगा और बाकी जगहों पर चुनाव 2030 में होंगे, तो इस स्थिति में वन नेशन वन इलेक्शन का क्या होगा? संविधान के उन प्रावधानों का क्या होगा, जिसमें कहा गया है ऐसी खाली जगहें जो 6 महीने तक खाली रही हैं, वहां पर चुनाव कराना अनिवार्य है। इस प्रावधान में भी फिर संशोधन करना पड़ेगा।
 
क्षेत्रीय पार्टियों को खत्म करना चाहते हैं मोदी : AIMIM प्रमुख असदुद्दीन औवैसी ने कहा कि हमने कानून आयोग को लिखित रूप में दिया और मैं (वन नेशन वन इलेक्शन के लिए) गठित समिति के समक्ष भी गया। जिसमें हमने वन नेशन वन इलेक्शन का विरोध किया है। मुझे लगता है कि यह समस्या की तलाश में एक समाधान है। प्रधानमंत्री मोदी का पूरा गेम प्लान यही है कि राष्ट्रीय पार्टी रहे और बाकी क्षेत्रीय पार्टियां खत्म हो जाएं। 
 
आप खत्म हो जाएंगे, लेकिन... :  खत्म राजद नेता मनोज कुमार झा ने कहा कि इस देश में वन नेशन वन इलेक्शन था, मोदी जी कोई नायाब हीरा नहीं ला रहे हैं। 1962 के बाद वह क्यों हटा क्योंकि एकल पार्टी का प्रभुत्व खत्म होने लगा। हालांकि मैं पहले इसका मसौदा देखूंगा। मान लीजिए- चुनाव होते हैं, उत्तर प्रदेश में बनी हुई सरकार गिर जाती है तो फिर क्या होगा? क्या आप राष्ट्रपति शासन लगाएंगे? क्या राज्यपाल के माध्यम से अगले चुनाव तक व्यवस्था होगी या फिर से चुनाव होंगे? भाजपा के लोग ध्यान भटकाने में माहिर हो गए हैं कि कैसे मौलिक चीज़ों से ध्यान हटाया जाए। आज देश को रोजगार चाहिए। क्या वन नेशन वन इलेक्शन रोजगार की करोड़ों संभावनाएं बना देगा? आप खत्म हो जाएंगे, लेकिन विविधता बरकरार रहेगी।
लोकतंत्र विरोधी हथकंडा : राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा कि एक राष्ट्र, एक चुनाव लोकतंत्र विरोधी भाजपा का एक और हथकंडा है। उन्होंने कहा कि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनावों के साथ महाराष्ट्र चुनावों की घोषणा क्यों नहीं की गई? भाकपा के महासचिव डी राजा ने भी कहा कि उनकी पार्टी 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' प्रस्ताव का समर्थन नहीं करती है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala

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