क्यों असफल रही है भारत में शराबबंदी? 6 साल में हो चुकी है 6000 लोगों की मौत

बिहार में अवैध शराब के जहर से 80 लोगों की मौतों से शराबबंदी पर उठे सवाल

वृजेन्द्रसिंह झाला
  • भारत के 4 राज्यों में है शराब पर पाबंदी
  • जहरीली शराब से 6 साल में हो चुकी है 6000 लोगों की मौत
  • साल दर साल बढ़ रही है शराब पीने वालों की संख्या
बुजुर्ग मां की पथराई हुई आंखों से झरते आंसू... बेसुध पत्नी की मांग से मिटा हुआ सिंदूर... बच्चों की करुण चीखें... ये दृश्य बिहार में शराब से हुई मौतों की हकीकत को ही बयां नहीं करते बल्कि जब भी इस तरह की मौतें होती हैं, दृश्य कुछ इसी तरह के होते हैं। बस बदल जाते हैं तो सिर्फ चेहरे।
 
नीतीश कुमार के बिहार में नकली और अवैध शराब से 80 के करीब लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि अपुष्ट आंकड़े इससे भी अधिक बताए जा रहे हैं। संसद में भी बिहार शराब कांड गूंज चुका है। एलजेपी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने राज्य में राष्ट्रपति शासन तक लगाने की मांग की है। दूसरी ओर, लोग अब शराबबंदी पर ही सवाल उठाने लगे हैं। कभी नीतीश कुमार के डिप्टी रहे सांसद सुशील कुमार मोदी ने भी कहा है कि बिहार में शराबबंदी फेल है। कहा तो यह भी जा रहा है कि शराबबंदी के बावजूद नेताओं और अधिकारियों की महफिलों में जाम छलकना कभी भी बंद नहीं हुआ। 
 
ये कहानी बिहार की ही नहीं है। भाजपा शासित राज्य गुजरात (यहां शराबबंदी है), मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश में भी अवैध शराब से लोगों की मौत हो चुकी है। मध्यप्रदेश तो अवैध शराब से होने वाली मौतों के मामले में सबसे ऊपर है। कर्नाटक इस सूची में दूसरे स्थान पर है। 
 
भारत में कहां-कहां शराब पर पाबंदी : भारत में बिहार के अलावा गुजरात, मिजोरम, नागालैंड में शराबबंदी है। हालांकि इसके बावजूद इन राज्यों में अवैध रूप से शराब बिक्री होती है। भारत में गुजरात पहला ऐसा राज्य था, जहां शराब पर प्रतिबंध लगाया गया था। 
 
‍बिहार सरकार के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में शराबबंदी के बावजूद 1 अप्रैल 2016 से 30 नवंबर 2022 तक सवा 2 करोड़ लीटर अवैध शराब (अंग्रेजी एवं देसी) पकड़ी जा चुकी है। इस मामले में 6.71 लाख से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उल्लेखनीय है कि शराबबंदी से पहले बिहार को हर साल लगभग 4 हजार करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिलता था। 
 
भविष्य में भी हो सकती है इस तरह की घटना : पटना निवासी मेडिकल व्यवसाय से जुड़े एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आम तौर पर लेबर क्लास के लोग अवैध शराब ज्यादा पीते हैं, क्योंकि यह सस्ती मिल जाती है। महंगी शराब पीने की इनकी क्षमता नहीं होती। ये खुद भी अपने स्तर पर शराब बना लेते हैं। कई बार स्प्रीट की मात्रा आवश्यकता से अधिक हो जाती है तो व्यक्ति की मौत हो जाती है। आने वाले समय में भी इस तरह की घटनाओं से इंकार ‍नहीं किया जा सकता। 
शराबबंदी सही नहीं : कांग्रेस के टिकट पर पटना से लोकसभा चुनाव लड़ चुके फिल्म अभिनेता शेखर सुमन ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए कहा कि मेरा मानना है कि शराब से प्रतिबंध हटा दिया जाए तो इस तरह की त्रासदी नहीं होगी। शराब खराब है, हानिकारक है, यह बात सब जानते हैं, लेकिन जिसे पीना है वह तो पिएगा। पाबंदी के चलते लोगों के हाथ में जो कुछ लग जाता है वे पी लेते हैं। फिर जो लोग शराब के बिना नहीं रह पाते उनका क्या?
 
फिल्म अभिनेता ने कहा कि जो लोग आदतन हैं, उनसे एकदम शराब नहीं छुड़ाई जा सकती। यदि शराबबंदी सही है तो यह पूरे देश में लागू होना चाहिए। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि मानवीय आधार पर बिहार सरकार को पीड़ितों को मुआवजा देना चाहिए। इसमें कोई संदेह नहीं कि उनसे गलती हुई। दरअसल, सरकार तैश में है, उसे अपना गुस्सा और आक्रोश कम करना चाहिए। जो पीएगा, वो मरेगा, यह बयान अमानवीय है। 
 
50 की 'माधुरी' 250 में : यूपी से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य में माधुरी नामक देसी ब्रांड की शराब का क्वार्टर 50 रुपए में मिल जाता है, जबकि यही शराब बिहार के निकटवर्ती जिलों में 250 रुपए तक बिक जाती है।यूपी के ही कई जिलों में शराब का अवैध कारोबार होता है। बिहार में यूपी के साथ ही झारखंड और उससे लगे राज्यों से शराब पहुंचती है। जानकारों की मानें तो शराबबंदी का सबसे ज्यादा फायदा असामाजिक तत्वों को ही मिलता है। वे ही अवैध रूप से शराब बनाना, उसकी सप्लाई करना जैसे कामों में शामिल रहते हैं। 
मध्यप्रदेश में सख्ती  : मध्यप्रदेश अवैध शराब से होने वाली मौतों के मामले में सबसे ऊपर है। शिवराज सरकार के चौथे कार्यकाल में ही 40 से ज्यादा लोगों की नकली शराब पीने से मौत हो चुकी है। मध्यप्रदेश के मंदसौर में अवैध शराब से हुई मौत के बाद 2021 में शिवराज सरकार ने सख्त कदम उठाया था। मप्र में यदि अवैध शराब से किसी की मौत होती है तो दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास या मृत्युदंड दिया जाएगा। पहले इसके लिए अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान था। सरकार ने जुर्माने की रकम को भी 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 20 लाख रुपए कर दिया है। हालांकि इसके बावजूद पुलिस और आबकारी विभाग द्वारा अवैध शराब पकड़ी जाती है। 
 
इन राज्यों में भी की गई थी शराबबंदी, लेकिन... : शराबबंदी कितनी सफल है इसका अनुमान हम इसी से लगा सकते हैं कि आंध्र प्रदेश में भी 1995 में शराब पर प्रतिबंध लगाया गया था, लेकिन 16 महीने बाद ही 1997 में इसे हटा दिया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन 16  महीनों में सरकार को 1200 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। हरियाणा में भी 1996 में  शराबबंदी लागू की गई थी, लेकिन 2 साल बाद ही इसे हटा लिया गया। दरअसल, राज्यों को  राजस्व का बड़ा हिस्सा शराब से ही प्राप्त होता है। 
 
6 साल में 6000 से ज्यादा की मौत : केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने एक सवाल के जवाब में संसद में बताया ‍था कि भारत में अवैध या जहरीली शराब पीने से 6 साल यानी 2016 से 2022 के बीच में 6172 लोगों की मौत हो चुकी है। 2017 में सबसे ज्यादा 1510  लोगों की मौत हुई थी। भाजपा शासित गुजरात में ही शराबबंदी के बावजूद 5 सालों में अवैध और नकली शराब से 50 लोगों की मौत हुई है। 
आधी से ज्यादा शराब अवैध : फिक्की (FICCI) की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में अवैध शराब का कारोबार 23 हजार 466 करोड़ रुपए का है। इस रिपोर्ट के अनुसार अवैध शराब की तस्करी और बिक्री की वजह से सरकार को 15 हजार 262 करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है।
 
एक अनुमान के अनुसार भारत में हर साल 5 अरब लीटर शराब गटकी जाती है। इसमें 40 फीसदी से ज्यादा अवैध रूप से बनाई जाती है। जबकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान इससे कहीं ज्यादा है। WHO का मानना है कि भारत में खपत की आधी शराब अवैध रूप से तैयार होती है। 
 
लैंसेट के अध्ययन के मुताबिक पिछले 30 सालों में शराब पीने वालों की संख्या आश्चर्यजनक रूप से बढ़ी है। 1990 की तुलना में 2020 में यह संख्या 26 प्रतिशत बढ़ गई है। लैंसेट के मुताबिक 15 से 39 साल के पुरुष और महिला शराब का सेवन ज्यादा करते हैं। उम्र बढ़ने के साथ इस संख्या में गिरावट दर्ज की गई है।  
 
इन देशों में प्रतिबंधित है शराब : ईरान, कुवैत, लीबिया, बहरीन, बांग्लादेश, अफगानिस्तान,  ब्रुनेई, मॉरिटैनिया, सउदी अरब, सोमालिया, सूडान और शारजाह में शराब पर पूर्णत: प्रतिबंध है। पाकिस्तान, बहरीन, बांग्लादेश, कतर आदि देशों में आंशिक रूप से शराब प्रतिबंधित है। गैर मुस्लिमों के लिए यहां शराब पर रोक नहीं है। फीफा वर्ल्डकप के दौरान कतर में विदेशी मेहमानों को शराब परोसने की पूरी आजादी थी। हालांकि मुस्लिम देशों में कानून तोड़ने पर सख्त सजा का प्रावधान है, ऐसे में कानून तोड़ने के भय से वहां कोई भी शराब नहीं पीता है। 
 
शराब का इतिहास : शराब का इतिहास लाखों वर्ष पुराना माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि  समुद्र मंथन के समय वारुणी नामक मदिरा प्राप्त हुई थी। भारत में विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियों के अर्क से सुरा बनाने का उल्लेख मिलता है। हालांकि इसका औषधीय उपयोग किया जाता था। प्राचीन रोमन साम्राज्य में भी शराब के सेवन और व्यापार का उल्लेख मिलता है। 
 
भारत के सभी राज्य सालभर में शराब बेचने से ही लगभग 3 लाख करोड़ रुपए की कमाई करते हैं। कई राज्यों के कुल राजस्व का 10 से 20 फीसदी हिस्सा तो शराब की बिक्री से प्राप्त होता है। बिहार, गुजरात जैसी कुछ सरकारें शराब पर प्रतिबंध लगा भी देती हैं, लेकिन इसके अवैध कारोबार पर रोक नहीं लगा पातीं, जिससे न सिर्फ राजस्व का नुकसान होता है, बल्कि अवैध तरीके से बनाई शराब पीने से लोग मौत के मुंह में भी चले जाते हैं। जब तक केन्द्र और राज्य सरकारें सामूहिक रूप से शराबबंदी का कदम नहीं उठातीं तब तक इस पर प्रतिबंध नामुमकिन है।

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