महाराष्ट्र में मोदी और ED के निशाने पर क्यों हैंं शरद पवार ? इनसाइड स्टोरी

विकास सिंह
शुक्रवार, 27 सितम्बर 2019 (09:49 IST)
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के समय जिन्न की तरह बाहर निकले को- ऑपरेटिव बैंक घोटाले में आज एनसीपी प्रमुख शरद पवार ईडी के सामने पेश होंगे। बैंक घोटाले में एफआईआर होने के बाद शरद पवार ने खुद 27 सितंबर को दिन में दो बजे ईडी के सामने पेश होने की बात कही है। वहीं ईडी की तरफ से साफ कर दिया है कि उन्होंने शरद पवार को पूछताछ के लिए नहीं बुलाया है।

शरद पवार के ईडी के सामने पेश होने को देखते हुए पुलिस ने तगड़े सुरक्षा इंतजाम किए है। पुलिस ने उस इलाके में धारा 144 लगा दी जहां ईडी का दफ्तर स्थिति है। ईडी के सामने पेश होने से पहले शरद पवार ने अपने कार्यकर्ताओं से अपील की है वह शांति बनाए रखे और ईडी के कार्यालय के बाहर नहीं जमा हो। 
 
राष्ट्रवाद के मुकाबले सहानुभूति कार्ड – महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा के राष्ट्रवाद के कार्ड के खिलाफ शरद पवार ने अब सहानुभूति कार्ड खेल दिया है। महाराष्ट्र के अपने 50 साल के सियासी जीवन का संभवत: आखिर चुनाव लड़ रहे शरद पवार इस बार सत्ता पक्ष से सीधे मुकाबले में है। 
 
महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले में ईडी की तरफ से मनी लॉडिंग का केस दर्ज होने के बाद शरद पवार इसे बदले की भावना से कार्रवाई बताते इसको सियासी रंग देने में जुट गए हैंं। बिना ईडी के किसी समन या पूछताछ के लिए बुलाए जाने के बिना भी शरद पवार ईडी दफ्तर जाकर अपना शक्ति प्रदर्शन करना चाह रहे हैं।

शरद पवार ईडी की इस कार्रवाई को मराठा अस्मिता से जोड़कर पूरे मुद्दे पर सहानुभूति लेने में जुट गए हैं। पूरे मुद्दे पर मराठा कार्ड खेलते हुए उन्होंने कहा कि यह शिवाजी महाराज का महाराष्ट्र है और इसने दिल्ली के तख्त के सामने झुकना नहीं सीखा है। महाराष्ट्र में सरकार बनाने में मराठा की भूमिका हमेशा से प्रभावशाली रही है। वोट बैंक के नजरिए से राज्य में मराठा सबसे बड़ा वोट बैंक है और हमेश से सत्ता में इसकी अधिक भागीदारी रही है।  
सत्ता बनाम शरद पवार की लड़ाई  - महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव सत्ता और विपक्ष के बीच इस बार गठबंधन के चुनावी मुकाबले के आसार है। चुनाव में सत्ता पक्ष के भाजपा और शिवसेना के संभावित गठबंधन से मुकाबला करने के लिए शरद पवार की पार्टी एनसीपी औऱ कांग्रेस हाथ मिला चुकी है।

कहने को तो विधानसभा की 288 सीटों में से कांग्रेस और एनसीपी 125-125 सीटों पर चुनाव लड़ रही है,लेकिन चुनाव के समय कांग्रेस अपनी अंदरुनी कलह में इतनी उलझी हुई है कि महाराष्ट्र चुनाव उसकी प्राथमिकता में कही नजर नहीं आ रहा है,वहीं दूसरी ओर शरद पवार की पार्टी एनसीपी के लिए यह चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। 50 साल की सियासी राजनीति का अनुभव रखने वाले शरद पवार इस चुनाव में पूरी ताकत के साथ मैदान में डटे हुए हैंं। 
 
गठबंधन में शरद पवार का पार्टी जिन 125 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है उसमें अधिकतर सीटें ऐसी है जहां पर उनकी पार्टी का मुकाबला भाजपा के दिग्गज चेहरों से है। महाराष्ट्र की राजनीति के जानकार कहते हैं कि आज भी महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में शरद पवार और उनकी पार्टी की अच्छी पकड़ को नकारा नहीं जा सकता। पिछले कुछ सालों में जिस तक शरद पवार का गढ़ माने जाने वाला मराठवाड़ा सूखे के चपेट से घिरा हुआ है उसमें महाराष्ट्र की मौजूदा भाजपा सरकार के प्रति उपजे अंसतोष को अपने पक्ष में करने में शरद पवार पूरी ताकत के साथ जुटे हुए हैं। 

इसी तरह पश्चिम महाराष्ट्र में अधिकांश इलाके में पिछले दिनों बाढ़ की बर्बादी झेल चुके हैं और वहां के किसान भी परेशान है ऐसे में चुनाव के समय यह वोट बैंक एनसीपी के एक बड़े वोट बैंक में बदल सकता है।
 
शरद पवार और एनसीपी के इस वोट बैंक में राष्ट्रवाद की सेंध लगाने के लिए पिछले दिनों नसिक के अपनी पहली चुनावी रैली में पीएम मोदी ने शरद पवार को पाकिस्तान का हितैषी बता डाला। पीएम मोदी के इस हमले के ठीक बाद ईडी ने 25 हजार करोड़ बैंक घोटाले के मामले में जिस तरह शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार के खिलाफ मामला दर्ज किया उसके सूबे की सियासत में उबाल आ गया है। जैसे –जैसे महाराष्ट्र में चुनावी पारा बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे चुनावी मुकाबला शरद पवार बनाम सत्ता पक्ष बनता जा रहा है।
 
भले ही शरद पवार के खिलाफ ईडी की कार्रवाई से भाजपा अपना पल्ला झाड़ रही हो लेकिन जिस तरह मोदी 2.0 सरकार के सत्ता में आने के बाद एक के बाद एक विपक्ष के नेताओं पर ईडी का शिकंजा कसता जा रहा है उससे विपक्ष को एक और मौका मिल गया है।
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