जातिगत जनगणना पर RSS के रुख के बाद क्या मोदी सरकार पर बढ़ेगा दबाव?

विकास सिंह
मंगलवार, 3 सितम्बर 2024 (13:52 IST)
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के लगातार जातिगत जनगणना की मांग के बीच अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भी जातिगण जनगणना का समर्थन कर मोदी सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। केरल के पलक्कड़ में संघ की तीन दिवसीय बैठक के बाद RSS के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने पूरे मुद्दे पर कहा कि "हमारे हिंदू समाज में जाति बहुत संवेदनशील मुद्दा है, जनगणना हमारी राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा के लिए अहम है, इसे बहुत गंभीरता के साथ किया जाना चाहिए। किसी जाति या समुदाय की भलाई के लिए भी सरकार को आंकड़ों की जरूरत होती है। ऐसा पहले भी हो चुका है, लेकिन इसे सिर्फ समाज की भलाई के लिए किया जाना चाहिए। जातिगत जनगणना को चुनावों का पॉलिटिकल टूल नहीं बनाया जाना चाहिए"।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का जातीय जनगणना को लेकर यह बयान ऐसे समय आया है जब देश में अब जनगणना का कार्य शुरु करने की तैयारी की जा रही है। ऐसे में जब भाजपा जो जातीय जनगणना के मुद्दें पर अब तक चुप्पी साधी हुई है उसकी मुश्किलें बढ़ गई है। दरअसल भाजपा ने जातिगत जनगणना का समर्थन कर रही  है और न विरोध। ऐसे में अब आरएसएस के नए स्टैंड के बाद उसका क्या रुख होगा यह देखना दिलचस्प होगा।
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जातिगत जनगणना पर राहुल गांधी हमलावर-जातिगत जनगणना को लेकर इंडिया गठबंधन लगातार मोदी सरकार पर दबाव बढ़ा रही है। पिछले दिनों लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में ‘संविधान सम्मान सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए कहा कि  90 प्रतिशत लोग व्यवस्था के बाहर बैठे हैं। उनके पास कौशल एवं ज्ञान तो हैं, लेकिन उनकी (ऊपर तक) पहुंच नहीं है, यही कारण है कि हमने जातिगत जनगणना की मांग उठायी है। कांग्रेस के लिए जातिगत जनगणना नीति निर्माण की बुनियाद है भाजपा कह रही है कि वे जाति जनगणना करवाएंगे और उसमें ओबीसी वर्ग को शामिल करेंगे, अलग-अलग समुदाय हैं और हम उन सभी की सूची चाहते हैं। हमारे लिए यह सिर्फ जनगणना नहीं है, हमारे लिए यह पॉलिसी मेकिंग का फाउंडेशन है"।

जातिगण जनगणना को लेकर कांग्रेस लंबे समय से मोदी सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जातिगण जनगणना कराने को लेकर केंद्र सरकार को पत्र लिख  चुके है। उन्होंने जनगणना को जल्द कराने की  मांग को लेकर व्यापक जाति आधारित जनगणना कराने की मांग की है। गौरतलब  है कि यूपीए सरकार के समय 2011 में हुई जनगणना में करीब 25 करोड़ परिवारों को कवर करते हुए सामाजिक, आर्थिक और जातिगत जनगणना कराई थी, मगर इसके आंकड़े जारी नहीं किए गए थे।  मई, 2014 में आपकी सरकार आने के बाद कांग्रेस और अन्य सांसदों ने इसे जारी करने की मांग की, लेकिन कई कारणों से जातिगत आंकड़े जारी नहीं किए गए।

भाजपा पर सहयोगी दलों का दबाव-जातिगत जनगणना को लेकर भाजपा पर सहयोगी दलों  का भी दबाव है। NDA गठबंधन की सरकार का नेतृत्व कर भाजपा पहले ही बिहार में जातिगत जनगणना का समर्थन कर चुकी है। वहीं गठबंधन में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मोदी कैबिनेट में मंत्री चिराग पासवान भी जातिगत जनगणना का समर्थन कर चुके है। पिछले दिनों जब चिराग पासवान से मीडिया ने जातिगत जनगणना को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि मेरी पार्टी ने इसे लेकर अपना रुख हमेशा से ही स्पष्ट रखा है। हम लोग चाहते हैं कि जातिगत जनगणना हो। हम लोग चाहते हैं कि जातिगत जनगणना हो। इसका कारण है कि कई बार राज्य सरकार और केंद्र सरकार कई योजनाएं बनाती है जो किसी जाति को मुख्य धारा के साथ जोड़ने के मद्देनजर तैयार की जाती है। ऐसे में उस जाति की आबादी की जानकारी सरकार के पास होनी चाहिए ताकि उसके अनुपात में राशि आवंटित की जा सके।

जातिगत जनगणना बना चुनावी मुद्दा- जातिगण जनगणना अब चुनावी मुद्दा बन गई है। विपक्षी दलों का इंडिया गठबंधन लगातार जातिगत जनगणना को चुनावी मुद्दा बना रही है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी लगातार कांग्रेस के सरकार में आते ही जातिगत जनगणा की बात कहते नजर आ रहे है। पिछले साल हुए मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी ने जब जातिगत जनगणना की हुंकार भरते हुए एलान किया कि कांग्रेस सरकार आते ही जातिगत जनगणना कराई जाएगी। राहुल गांधी ने जातीय जनगणना का सियासी कार्ड चलते हुए कहा कि केंद्र सरकार चलाने वाले 90 सचिव में से केवल 3 ओबीसी हैं, बजट का 5 पर्सेंट केवल ओबीसी अधिकारी डिसाइड करते हैं, 100 रुपए में से 5 रुपए का निर्णय केवल ओबीसी के अधिकारी करते हैं, वहीं 100 रुपए में से केवल 10 पैसे का निर्णय आदिवासी अधिकारी करते है। दलित, आदिवासी एवं पिछड़ों को अपना अधिकार मिल सके, इसके लिए हमने जाति आधारित जनगणना की मांग की है। इन सबको अपना अधिकार मिल सके इसलिए हम जातिगत जनगणना करवाएंगे। मध्य प्रदेश में हमारी सरकार बनते ही पहला काम हम जातीय जनगणना का काम शुरू करेंगे।

वहीं मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट की मुताबिक प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता लगभग 48 प्रतिशत है। रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में कुल मतदाताओं में से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के मतदाता घटाने पर शेष मतदाताओं में अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता 79 प्रतिशत है।

जातिगण जनगणना से बढ़ेगा आरक्षण का दायरा?-अगर केंद्र सरकार जातिगत जनगणना कराती है  और उसके आंकड़े जारी करते है तो 50 फीसदी आरक्षण की सीमा खत्म करने की  मांग और बढ़ेगी। यहीं कारण है कि राहुल गांधी जातिगण जनगणना की मांग को लेकर लगातर हमलावर है। विपक्षी दल जातिगण जनगणा की बात करके अन्य पिछड़ा वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व मिलने और अनुसूचित जाति एवं जनजाति समुदायों को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण दिया जाने की वकालत कर रहे है। राहुल गांधी 2011 में हुई जनगणना के जातिगत आंकड़े जारी करने और 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने और  दलित और आदिवासी की उनकी आबादी के अनुसार आरक्षण देने की बात कह चुके है। ।

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