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ममता कुलकर्णी की वापसी के बाद क्‍या टूटेगा किन्‍नर अखाड़ा, क्‍या है कल्याणी नंद गिरी पर हमले का कनेक्‍शन?

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2025 (19:10 IST)
पूर्व बॉलीवुड अदाकारा ममता कुलकर्णी किन्नर अखाड़े में वापस शामिल हो गईं। उन्होंने महामंडलेश्वर का पद भी स्वीकार कर लिया है। उनको महामंडलेश्वर बनाए जाने के बाद से शुरू हुए विवाद के चलते 10 फरवरी को उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया था। किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर पद पर बने रहने की पुष्टि की। अब अखाडे के दोनों पक्षों के बीच एक तरह से वाक युद्ध शुरू हो गया है। जिस तरह से दोनों तरफ से विवाद को हवा दी जा रही है, ऐसे में देखने वाली बात यह है कि क्‍या इस विवाद के बीच अब किन्‍नर अखाड़ा टूट जाएगा।

क्‍या टूट जाएगा किन्‍नर अखाड़ा: ममता कुलकर्णी को अखाड़े की महामंडलेश्वर बनाए जाने के बाद किन्नर अखाड़े के संस्थापक अजय दास ने कार्रवाई की थी। इस बात को लेकर भी मतभेद हैं। महामंडलेश्वर पद से हटाए जाने पर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने कहा था कि अजय दास मुझे अखाड़े से निकालने वाले कौन होते हैं, उन्हें तो 2017 में ही अखाड़े से निकाल दिया गया था।

क्या बोलीं ममता कुलकर्णी : ममता कुलकर्णी ने अपना नया वीडियो संदेश जारी किया है। अपने इंस्टाग्राम पर जारी एक 1 मिनट 14 सेकेंड के वीडियो संदेश में उन्होंने कहा, ‘मेरे गुरु स्वामी डॉक्टर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी पर कुछ लोगों ने गलत आक्षेप लगाए थे। उस भावना में आकर मैंने किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दिया था। उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि अपने गुरु को जो मैंने भेंट दी थी। वह महामंडलेश्वर बनने के बाद छत्र, छड़ी और चंवर के लिए दिया था। उससे बची धनराशि मैंने भंडारे के लिए दी थी’ ममता कुलकर्णी उर्फ श्रीयमाई ममता नंद गिरी ने वीडियो संदेश जारी कर अपने गुरु की बात पर मुहर लगाई है।

रामदेव और धीरेंद्र शास्‍त्री ने किया था विरोध : बता दें कि बाबा रामदेव और पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भी ममता का विरोध किया था। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा- किसी भी तरह के बाहरी प्रभाव में आकर किसी को भी संत या महामंडलेश्वर कैसे बनाया जा सकता है? पदवी उसी को दी जानी चाहिए, जिसके अंदर संत या साध्वी के भाव हों। योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा था, कोई एक दिन में संतत्व को उपलब्ध नहीं हो सकता। उसके लिए सालों की साधना लगती है। आजकल तो मैं देख रहा हूं कि किसी की भी मुंडी पकड़कर महामंडलेश्वर बना दिया। ऐसा नहीं होता है।

क्‍या कल्याणी नंद गिरी पर हमले का कनेक्‍शन : महाकुंभ में किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर कल्याणी नंद गिरी उर्फ छोटी मां पर गुरुवार रात जानलेवा हमला हुआ। इस हमले में उनके तीन शिष्य भी घायल हो गए। घटना के बाद सभी को तुरंत महाकुंभ के सेंट्रल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। घटना उस समय हुई जब कल्याणी नंद गिरी अपनी कार से अखाड़े के शिविर लौट रही थीं। रास्ते में कुछ लोग आशीर्वाद लेने के बहाने उनके वाहन के पास पहुंचे और गाड़ी रुकवाकर उन पर चाकू से हमला कर दिया। उनके बचाव में आए शिष्यों पर भी हमला किया गया, जिससे वे घायल हो गए।

क्‍या पुराना विवाद है हमले के पीछे : इस हमले के पीछे पहले से चल रहा विवाद भी एक वजह माना जा रहा है। 9 फरवरी को परी अखाड़े की जगद्गुरु हिमांगी सखी ने कल्याणी नंद गिरी, आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और कौशल्या नंद गिरी पर मारपीट के आरोप लगाए थे। पुलिस इस हमले को इसी विवाद से जोड़कर भी देख रही है और जांच जारी है।

क्‍या किन्नर अखाड़े का इतिहास : सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के उपरांत 2015 में महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने निर्णय लिया कि वह सनातन धर्म से जुड़कर एक किन्नर अखाड़े का निर्माण करेंगे और आदि शंकराचार्य के पद चिन्ह पर चलकर सनातन धर्म का परचम लहराएंगे। इसी सोच के तहत 13 अक्टूबर 2015 को किन्नर अखाड़े का निर्माण किया गया। हरि गिरि महाराज की कृपा से 2016 में उज्जैन में पहला कुंभ भी किया गया और वहीं 2019 में जूना अखाड़े के साथ मिलकर किन्नर अखाड़ा भी प्रयागराज में अर्ध कुंभ में शामिल हुआ। 2021 में हरिद्वार के कुंभ में भी शामिल हुआ था।

किन्नर अखाड़े के इष्ट देवता : सनातन धर्म से जुड़े प्रमुख 13 अखाड़े हैं, जिनमें से सात अखाड़े शैव संप्रदाय से जुड़े हैं, तीन वैष्णव संप्रदाय से जुड़े हैं, जबकि तीन उदासीन अखाड़े हैं। किन्नर अखाड़ा भी शैव संप्रदाय से जुड़ा हुआ है। इसके इष्ट देव अर्धनारीश्वर और बउचरा हैं जिनके पूजा के उपरांत ही किन्नर संत कोई कार्य शुरू करते हैं।
Edited By: Navin Rangiyal

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