भोपाल। मध्यप्रदेश सहित देश के 12 राज्यों में चुनाव आयोग की ओर से जारी SIT की प्रक्रिया को लेकर संसद से लेकर मध्यप्रदेश की विधानसभा में विपक्ष का हंगामा जारी है। विपक्ष का आरोप है कि SIR के माध्यम से बड़ी संख्या वोटरों के नाम काटे जा रहे है। मध्यप्रदेश में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का आरोप है कि प्रदेश में SIR के माध्यम से 50 से 60 लाख लोगों के नाम काटे जाने की आंशका है।
कांग्रेस के सीनियर विधायक और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि धार, अलीराजपुर और झाबुआ समेत आदिवासी जिलों में बड़ी संख्या में आदिवासियों के नाम काटे जा रहे है। उमंग सिंघार ने कहा कि इन जिलों से बड़ी संख्या में आदिवासी मजदूर पलायन कर गुजरात मजदूरी के लिए जाते है, ऐसे में अब एसआईआर में इन आदिवासियों को शिफ्टेड वोटर्स बताकर इनका नाम काटे जाने की तैयारी है।
उन्होंने कहा कि जो वोटर्स जो बाहर है उनको वापस लाने के लिए चुनाव आयोग को व्यवस्था करनी चाहिए। वह कहते है कि जो सीमावर्ती जिले के जो मजदूर बाहर मजूदरी करने गए है वह 2 से 3 हजार रुपए खर्च कर SIR का फॉर्म भरने या नाम जुड़वाने तो वापस नही आएंगे। उमंग सिंघार ने कहा कि एक विधानसभा में 10 से 20 हजार नाम काटे जाने की तैयारी है, ऐसे में लगता है कि मध्यप्रदेश में चुनाव आयोग 50 लाख नाम काटने की तैयारी कर रहे है। वहीं ग्वालियर से कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार ने आरोप लगया है कि उनका खुद का नाम मतदाता सूची से गलत मैपिंग और सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण कट गया।
क्या कट जाएंगे 50 लाख वोटर्स के नाम?-चुनाव आयोग के मुताबिक मध्यप्रदेश में 5.42 करेड़ गणना पत्रकों का 94.5 फीसदी डिजिटाइजेशन का काम पूरा हो गया है। वहीं प्रदेश के 10 जिलों गुना, मंडला, सीहोर, बैतूल, शाजापुर, नीमच, डिंडौरी, उमरिया और अशोक नगर में SIR 100 फीसदी डिजिटाइजेशन का काम पूरा हो गया है। अगर जिलों में चल रही SIR की प्रक्रिया को देखे तो प्रदेश के बड़े जिलों में आने वाले भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और ग्वालियर जैसे जिलों में डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया धीमी है। चुनाव आयोग की ओर से SIR की प्रक्रिया की आखिरी तारीख 11 दिसंबर तक बढ़ाए जाने के बाद अब ऐसे जिलों में कैंप लगाए जा रहे है और लोगों तक पहुंचने के लिए बीएलओ के साथ राजनीतिक दलों के द्वारा नियुक्त बीएलओ-1 और बीएलओ-2 की मदद ली जा रही है।
वहीं अगर जिलों में जारी SIR की प्रक्रिया की पड़ताल की जाए तो चुनाव आयोग से जुड़े सूत्र बताते है कि अब तक की प्रक्रिया में प्रदेश के 65 हजार से अधिक बूथों से आए आंकड़ों को देखा जाए तो बूथ पर औसतन 60 से 75 के बीच वोटर्स के नाम काटे जा रहे है, ऐसे में यह नाम कटने वाले वोटर्स का आंकड़ा वर्तमान में 40 से 50 लाख के बीच में है, हलांकि यह आंकड़ा अभी अंतिम नहीं है।
SIR की प्रक्रिया के बाद 16 दिसंबर को ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी की जाए और उस सूची में जिन वोटर्स के नाम नहीं होंगे उनके लिए आपत्ति और दावा करने के लिए 16 दिसंबर से 15 जनवरी का समय दिया जाए। इसके बाद इन आपत्ति और दावों पर 16 दिसंबर से 7 फरवरी तक सुनवाई और सत्यापन होगा और वोटर्स के नाम जोड़े जाएंगे जिसके बाद अंतिम मतदाता सूची 14 फरवरी को जारी होगी। ऐसे में मध्यप्रदेश में SIR की पूरी प्रक्रिया में कितने वोटर्स के नाम काटे जाएंगे इसका पता तो 14 फरवरी को अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद ही चलेगा।