Sonam Wangchuk arrested: लद्दाख को राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची के विस्तार की मांग को लेकर केंद्र शासित प्रदेश में हुए हिंसक प्रदर्शन के दो दिन बाद शुक्रवार को जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। हिंसक प्रदर्शन में चार लोगों की मौत हो गई थी और 90 अन्य घायल हो गए थे। इस बीच, जानकार यह भी आशंका व्यक्त कर रहे हैं सोनम की गिरफ्तारी से हालात बिगड़ सकते हैं। गिरफ्तारी से पहले वांगचुक ने भी कहा था कि उनका जेल में रहना सरकार के लिए उनकी आजादी से ज्यादा समस्याएं पैदा कर सकता है। लेह हिंसा का कनेक्शन नेपाल से भी जोड़ा जा रहा है। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं बंद : अधिकारियों ने बताया कि लद्दाख के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एसडी सिंह जामवाल के नेतृत्व में एक पुलिस दल ने अपराह्न 2.30 बजे वांगचुक को हिरासत में ले लिया। उन्होंने बताया कि वांगचुक को लद्दाख से बाहर ले जाया गया है। हालांकि, वांगचुक पर लगाए गए आरोपों पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन लद्दाख प्रशासन के सूत्रों ने संकेत दिया है कि जलवायु कार्यकर्ता के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाया गया है। प्रशासन ने एहतियात के तौर पर लेह क्षेत्र में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी हैं।
लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) की ओर से मुखर रूप से बोलने वाले वांगचुक, (लद्दाख को) राज्य का दर्जा तथा लेह और कारगिल के निवासियों के लिए संवैधानिक सुरक्षा उपायों के वास्ते पांच साल से चल रहे आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। लेह और कारगिल, 2019 में पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य को विभाजित कर बनाए लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश का हिस्सा हैं। केंद्र ने हालिया हिंसा के लिए वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है, हालांकि जलवायु कार्यकर्ता ने सभी आरोपों से इनकार किया है।
क्या कहते हैं कानूनी सलाहकार : लेह एपेक्स बॉडी (लैब) के कानूनी सलाहकार हाजी गुलाम मुस्तफा ने शुक्रवार को कहा कि यह कदम केंद्र शासित प्रदेश में सामान्य स्थिति लाने के बजाय स्थिति को और जटिल बनाएगा क्योंकि वांगचुक एक विश्व-प्रसिद्ध हस्ती हैं जो अहिंसा में दृढ़ विश्वास रखते हैं। गुलाम ने कहा कि एक व्यक्ति की गिरफ्तारी से राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में लद्दाख को शामिल करने सहित उनकी चार-सूत्रीय मांगों के लिए जारी आंदोलन को रोका नहीं जा सकता, लेकिन उनकी गिरफ्तारी लद्दाख प्रतिनिधियों और केंद्र सरकार के बीच जारी बातचीत में बाधा बन सकती है।
वांगचुक के खिलाफ दक्षिणपंथी अभियान : एलएबी के ही एक घटक अंजुमन-ए-मोइनुल इस्लाम के उपाध्यक्ष मोहम्मद रमजान ने कहा कि यह गिरफ्तारी दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं और मीडिया के एक खास वर्ग द्वारा चलाए गए व्यवस्थित अभियान का परिणाम है, जिसका उद्देश्य उन्हें बदनाम करना और चुन-चुनकर लोगों पर कार्रवाई करना था। रमजान ने केंद्र सरकार पर लद्दाख में नेतृत्व को डराने-धमकाने के लिए अन्य जगहों पर अपनाई गई नीतियों के साथ प्रयोग करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह इसी मिट्टी के बेटे, हमारे नायक, एक ऐसे नेता हैं जो गांधीवादी जीवन शैली का पालन करते हैं और भारत के संविधान में दृढ़ विश्वास रखते हैं। वह भूख हड़तालों और लेह से दिल्ली तक पैदल मार्च के माध्यम से शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे। हम सभी उनका अनुसरण करते हैं।
दोरजे ने भी किया वांगचुक का बचाव : इससे पहले दिन में एलएबी के सह-अध्यक्ष चेरिंग दोरजे ने भी वांगचुक का बचाव किया और कहा कि हाल के दिनों में उनके खिलाफ की गई कार्रवाइयों ने कई सवाल खड़े किए हैं। दोरजे ने कहा कि वांगचुक लंबे समय से अपना संस्थान चला रहे थे लेकिन अब जब वह लोगों के अधिकारों के लिए आंदोलन का हिस्सा हैं, ठीक उसी वक्त सरकार को उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए किसने प्रेरित किया? क्या सरकार को इन चीजों के बारे में पहले जानकारी नहीं थी?
उन्होंने यह प्रतिक्रिया केंद्र की ओर से वांगचुक द्वारा स्थापित 'स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख' (सेक्मोल) का एफसीआरए लाइसेंस रद्द करने और उनके एचएआईएल संस्थान को दी गई भूमि की लीज रद्द करने के बारे में पूछे गए सवालों पर दी। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala