नई दिल्ली। सीबीआई ने सोमवार को Yes Bank के सह संस्थापक राणा कपूर के परिवार को रिश्वत देने के मामले में 7 स्थानों पर छापे मारे। साथ ही उनके परिवार के सदस्यों समेत 7 आरोपियों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) भी जारी किया, ताकि वे देश छोड़कर नहीं जा सकें। यह मामला घोटालों में घिरी डीएचएफएल द्वारा कपूर के परिवार को 600 करोड़ रुपए की रिश्वत देने से जुड़ा है।
सीबीआई ने अपनी प्राथिमिकी में 5 कंपनियों, कपूर की पत्नी और 3 बेटियों सहित 7 व्यक्तियों और अन्य अज्ञात लोगों को नामजद किया है। राणा कपूर के अलावा एजेंसी ने उनकी पत्नी बिंदु, बेटी रोशनी, राखी और राधा पर मुकदमा किया है।
अधिकारियों ने बताया कि दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) के प्रवर्तक कपिल वाधवन और डीएचएफएल से संबंधित कंपनी आरकेडब्ल्यू डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक धीरज राजेश कुमार वाधवन को भी आरोपी बनाया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई अधिकारियों की 10 टीमें मुंबई में आरोपियों के आवास और आधिकारिक परिसरों में तलाशी ले रही हैं। वहीं प्राथमिकी में नामजद कपूर और वाधवान समेत सभी सातों आरोपियों के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है।
इसके अलावा डीएचएफएल, आरकेडब्ल्यू डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, कपूर परिवार के नियंत्रण वाली डोल्ट अर्बन वेंचर्स, आरएबी एंटरप्राइजेज (लिंडिया) प्राइवेट लिमिटेड (जिसमें बिंदु राणा कपूर निदेशक थीं) और मॉर्गन क्रेडिट्स प्राइवेट लिमिटेड (जिसमें राणा कपूर की बेटियां निदेशक थीं) को भी आरोपी बनाया गया है।
सीबीआई वर्ली के समुद्र महल इमारत में स्थित कपूर के अपार्टमेंट के अलावा उनकी बेटी राखी और राधा के एनसीपीए परिसर स्थित आवास, वाधवन के घर सी-व्यू, पैलेस हिल्स की भी तलाशी ले रही है। अधिकारियों के मुताबिक, कपूर ने डीएचएफएल के प्रवर्तक कपिल वाधवन के साथ आपराधिक षड्यंत्र कर Yes Bank के माध्यम से डीएचएफएल को वित्तीय सहायता मुहैया कराई और उसके बदले राणा के परिवार के सदस्यों को अनुचित लाभ मिला।
सीबीआई की प्राथमिकी के अनुसार घोटाला अप्रैल और जून, 2018 के बीच शुरू हुआ, जब Yes Bank ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) के अल्पकालिक ऋण पत्रों में 3700 करोड़ रुपए का निवेश किया था। उन्होंने कहा कि इसके बदले वाधवन ने कपूर और उनके परिवार के सदस्यों को 600 करोड़ रुपए का फायदा पहुंचाया। उन्होंने कहा कि यह लाभ डीओआईटी अर्बन वेंचर्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड को कर्ज के रूप में दिया गया।