अमरनाथ गुफा तक सड़क की तैयारी, मगर...

-सुरेश एस डुग्गर

Webdunia
मंगलवार, 22 जुलाई 2014 (15:21 IST)
आने वाले दिनों में यह खबर सच्चाई के रूप में सामने आ सकती है कि अमरनाथ की यात्रा पर जाने के लिए आपको पैदल नहीं चलना पड़ेगा और आपका वाहन गुफा से थोड़ी ही दूर खड़ा हो सकता है, परंतु इस खबर को सच्चाई में बदलने में अगर कोई आड़े आ रहा है तो वह है धन की कमी जिसका रोना राज्य सरकार रो रही है।
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वार्षिक अमरनाथ की यात्रा पर जाने के लिए अब आपको पैदल नहीं चलना पड़ेगा। यह समाचार सुन उन सभी लोगों की बांछे खिल उठी हैं जो इस दुर्गम तीर्थस्थल में 14500 फुट की ऊंचाई पर स्थित बर्फीले पहाड़ों में बनी गुफा में बनने वाले स्वयंभू हिमलिंग के दर्शनों से वंचित रहते हैं। शिवलिंग के दर्शनों से वंचित रहने का कारण कोई बड़ा नहीं है बल्कि सड़क का अभाव है और सभी का स्वास्थ्य 29 या 16 किमी लंबी दुर्गम पैदल यात्रा करने की अनुमति नहीं देता।

आधिकारियों के अनुसार अमरनाथ की गुफा तक जो पहलगाम से 45 किमी दूर तथा बालटाल से 16 किमी दूर है, पर सड़क का निर्माण स्थानीय लोक निर्माण विभाग के बूते का नहीं है लेकिन सीमा सड़क संगठन इसको पूरा कर सकता है, जिसने इसके लिए पेशकश भी की है। हालांकि अधिकतर लोग और अधिकारी अमरनाथ गुफा तक सड़क निर्माण को असंभव मानते हैं मगर सीमा सड़क संगठन के अधिकारी दावा करते हैं कि वे आसमान के नीचे कहीं भी सड़क मार्ग बनने की क्षमता रखते हैं।

उन्होंने बताया कि इस सड़क में सबसे बड़ी बाधा धन है क्योंकि अमरनाथ जैसे दुर्गम और खतरनाक पहाड़ी क्षेत्र में एक किलोमीटर सड़क के निर्माण में करीब रुपए पचास लाख का खर्चा आता है और अगर बालटाल से अमरनाथ गुफा तक पक्की सड़क का निर्माण करना हो तो 100 करोड़ के करीब खर्चा आएगा।

अगर यह सड़क बन जाती है तो मुंबई, कलकत्ता आदि के शहरों से भी श्रद्धालु अपने अति व्यस्त समय में से तीन-चार दिनों का समय निकाल अमरनाथ की गुफा में बनने वाले पवित्र शिवलिंग के दर्शन पूरे साल कर सकते हैं, सिवाय उन महीनों के जब बहुत अधिक बर्फबारी इस मार्ग पर होती है और यह भी सच है कि अगर अमरनाथ गुफा तक सड़क का निर्माण हो जाता है तो अमरनाथ गुफा में बनने वाले शिवलिंग के दर्शनार्थ आने वालों की संख्या तो बढ़ेगी ही पिछले सात सालों से आतंकवाद से जूझ रही कश्मीर घाटी में पर्यटकों की भीड़ भी बढ़ेगी।

समुद्रतल से 14500 फुट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ की गुफा तक सड़क के निर्माण कार्य को अभी तक असंभव बताने वाले इस सच्चाई को मानते हैं कि सड़क के निर्माण कार्य में धन की कमी सबसे बड़ी बाधा है क्योंकि राज्य सरकार सड़क के निर्माण पर होने वाले करीब 100 करोड़ के खर्च को वहन करने की स्थिति में नहीं है। लेकिन, वह कहती है कि वह इस संबंध में केंद्र सरकार से मामला उठाने जा रही है ताकि कश्मीर के पर्यटन में वृद्धि के लिए इस सड़क का निर्माण किया जा सके।
अगर सड़क का निर्माण हो जाता है तो न सिर्फ टैक्सी वालों को कार्य मिलेगा बल्कि अनेकों लोगों को रोजगार भी उपलब्ध होने के साथ ही हजारों अन्य लोग अपनी सुविधानुसार अमरनाथ की गुफा के दर्शनार्थ आने आरंभ हो जाएंगे।

लेकिन, एक चौंकाने वाली बात यह भी है कि इस सड़क के निर्माण कार्य को पूरा न होने देने के पीछे वे लोग भी हैं जिनके अपने स्वार्थ हैं और जो नहीं चाहते कि सड़क का निर्माण हो और उन लोगों का रोजगार छिन जाए जो यात्रा मार्ग में इस समय रोजगार पा रहे हैं, लेकिन वे इस बात को भूल जाते हैं कि जिन्होंने पैदल जाना है वे पैदल ही जाएंगे और मोटर वाहन पर जाने वालों की संख्यां हमेशा ही अलग रहेगी।

सीमा सड़क संगठन के अधिकारियों द्वारा सड़क निर्माण के लिए दिए गए प्रस्ताव के अनुसार, एक वर्ष के दौरान उनके कर्मी सड़क की कच्ची मिट्टी को काटकर सड़क में बदल देंगे और उसके अगले वर्ष उसे पक्का कर देंगे। वे दो वर्ष का समय इसलिए मांग रहे हैं क्योंकि साल में करीब 6 महीने यात्रा मार्ग बर्फ के कारण ढंका रहता है। अर्थात सड़क निर्माण के उपरांत यह ठीक श्रीनगर-लेह मार्ग की तरह ही साल में 6 महीने खुला रहा करेगा और छह माह बंद।

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