6 अगस्त 1968 को हरियाणा के हिसार में गोबिंद राम केजरीवाल और गीतादेवी के घर पैदा हुए अरविंद ने भ्रष्टाचार, बिजली दरों और पानी के बिलों में वृद्धि, महिला सुरक्षा के मुद्दों पर भाजपा और कांग्रेस दोनों पर हमला बोलकर पूरे राजनीतिक परिदृश्य में घबराहट पैदा कर दी थी।
आम आदमी पार्टी के 45 वर्षीय नेता ने सामने से मोर्चा संभालकर गैरपरंपरागत तरीके से अपनी मुहिम शुरू की और उनकी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर कांग्रेस के 15 साल के शासन को समाप्त कर दिया। ‘आप’ के एजेंडे में आम आदमी के हितों को केंद्र में रखते हुए केजरीवाल ने 3 बार मुख्यमंत्री रह चुकीं शीला दीक्षित को हरा दिया।
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देश के राजनीतिक क्षितिज पर नए सितारे की तरह उभरकर पहली बार में चुनावी मैदान में सफलता हासिल कर लेने वाले केजरीवाल की पार्टी 'आप' को अपना सबसे यादगार उपनाम उस समय मिला था, जब कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने इस साल की शुरुआत में ‘आप’ को ‘मैंगो पीपुल इन बनाना रिपब्लिक’ यानी ‘राजनीतिक रूप से बेहद कमजोर देश के लोग’ कहा था।
ळजनता के मुद्दों को मुखरता के साथ उठाने वाले केजरीवाल इन दोनों ही दलों के वोट बैंकों में सेंध लगाने में कामयाब रहे। दिल्ली विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और भाजपा की ओर से ‘नगण्य’ माने जा रहे केजरीवाल मुख्य रूप से वर्ष 2011 में जनलोकपाल विधेयक के समर्थन में 75 वर्षीय अन्ना हजारे द्वारा किए गए आंदोलन में सामने आए थे।
अगले पन्ने पर, वाणी में कोमलता, लेकिन मजबूत इरादे...
केजरीवाल ने भारतीय राजनीति के खेल के पुराने नियम-कायदों को हटाते हुए इस खेल के नए मापदंड तय किए। भ्रष्टाचार विरोधी पार्टी के रूप में शुरू हुए इस सामाजिक आंदोलन ने पूरे भारत में मौजूद छात्रों, किसानों, नागरिक अधिकार समूहों, गैर सरकारी संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, महिला समूहों और शहरी युवाओं की असीमित उर्जा अपने साथ ले ली।
रेमन मेगसायसाय पुरस्कार प्राप्त केजरीवाल की वाणी में बेहद कोमलता है लेकिन उनके इरादे फौलाद से भी ज्यादा मजबूत हैं। केजरीवाल किरण बेदी, प्रशांत भूषण और अन्य लोगों के साथ टीम अन्ना के सदस्य रह चुके हैं।
जनलोकपाल विधेयक को लागू करने के अभियान के तहत केजरीवाल इस विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए सरकार द्वारा गठित समिति में नागरिक समाज के प्रतिनिधि सदस्य के रूप में शामिल थे।
अगले पन्ने पर, झाड़ू से भ्रष्टाचार मिटाने का संकल्प...
सरकार द्वारा उनका मसौदा खारिज किए जाने के बाद केजरीवाल खुद को ‘छला हुआ’ महसूस कर रहे थे। तभी कांग्रेस और अन्य नेताओं ने उन्हें राजनीति में शामिल होकर चुनाव जीतने की चुनौती देते हुए कहा कि वे भ्रष्टाचार को खत्म करना और जन लोकपाल विधेयक को पारित करवाना चाहते हैं तो इसके लिए संसद में आकर ‘व्यवस्था के बीच रहते हुए इससे लड़े’।
चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए पहचाने जाने वाले केजरीवाल ने राजनीति में उतरने का फैसला किया और टीम अन्ना से औपचारिक रूप से अलग होने के बाद पिछले साल 26 नवंबर को ‘आम आदमी पार्टी’ का गठन किया।
उनकी पार्टी का नाम ‘आम आदमी पार्टी’ उसी ‘आम आदमी’ के नाम से जुड़ी है, जिसका प्रतिनिधित्व केजरीवाल करते हैं। केजरीवाल की पार्टी ‘आप’ को उसका चुनाव चिन्ह ‘झाड़ू’ इस साल जुलाई में मिला। उच्च श्रेणी के छात्र केजरीवाल ने आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया।
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