आतंकियों पर काबू पाए पाक-मनमोहन

Webdunia
गुरुवार, 29 अक्टूबर 2009 (14:39 IST)
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प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने कहा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत की कोई पूर्व शर्त नहीं है, लेकिन उसका तब तक कोई नतीजा नहीं निकल सकता, जब तक कि पाकिस्तान अपने यहाँ से सक्रिय आतंकी गुटों पर कारगर ढंग से अंकुश नहीं लगाता।

कश्मीर घाटी की अपनी दो दिवसीय यात्रा के समापन से पूर्व प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि जम्मू-कश्मीर के तमाम वर्ग के लोगों से बातचीत करने की उनकी पेशकश का पृथकतावादी और अन्य उसी भावना से जवाब देंगे, जिस भावना से यह पेशकश की गई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पाक से बातचीत की कोई पूर्व शर्त नहीं है। लेकिन चीजों को देखने का एक व्यवहारिक नजरिया होता है। बातचीत तब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुँच सकती, जब तक पाकिस्तान इन आतंकी समूहों पर कारगर तरीके से अंकुश नहीं लगाता।

उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र है और अगर आतंकवादी इसी तरह हमले करते रहेंगे और मासूमों का खून बहाते रहेंगे तो हम बातचीत का माहौल तैयार नहीं कर सकते।

उन्होंने कहा कि बातचीत का तब तक कोई नतीजा नहीं निकल सकता, जब तक कि पाकिस्तान उन आतंकी तत्वों पर अंकुश नहीं लगाता, जो भारत में आतंकवाद को सहयोग और शह दे रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि पिछले साल नवंबर में मुंबई पर हमले की साजिश रचने वालों के खिलाफ पाकिस्तान की कार्रवाई तसल्लीबख्श नहीं है। उन्होंने उम्मीद जताई कि पाकिस्तान इस हमले की साजिश रचने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा।

सिंह ने पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मलिक के इस आरोप को सच से परे बताया कि भारत बलूचिस्तान में हिंसा को बढ़ावा दे रहा है और तालिबान को धन दे रहा है। उन्होंने कहा कि मैंने पहले भी कहा है कि बलूचिस्तान में भारत की कोई भूमिका नहीं है।

प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि जम्मू-कश्मीर की जनता के सभी वर्गों से बातचीत करने की उनकी पेशकश का उसी भावना से जवाब दिया जाएगा, जिस भावना से उन्होंने यह अपील की थी।

हुर्रियत नेता मीरवाइज फारूक के बंदूक के इस्तेमाल को जायज ठहराए जाने के बयान के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि वह गुस्से में कही गई किसी बात के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहते।

उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि जो लोग जम्मू-कश्मीर का भला चाहते हैं, बातचीत की मेरी पेशकश का सकारात्मक जवाब देंगे। हम प्रत्येक उस समूह के साथ बातचीत करने के इच्छुक हैं, जो हिंसा का रास्ता छोड़ने को तैयार हो।

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