उल्लेखनीय है कि सत्ता में आने से पहले केजरीवाल और उनके साथियों ने बड़े-बड़े दावे किए थे कि वे न तो सरकारी गाड़ियां लेंगे और न ही सरकारी आवास, लेकिन अब आप नेताओं की कार्यप्रणाली से उन पर सवाल भी उठने लगे हैं। हालांकि आप के नेता स्पष्टीकरण भी दे रहे हैं कि हमने लालबत्ती लगे वाहन नहीं लेने के लिए कहा था। सरकारी कामों के लिए तो हम सरकारी वाहनों का उपयोग कर ही सकते हैं।
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गुरुवार को मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने विधानसभा में दिल्ली और पूरे देश से वीआईपी कल्चर खत्म करने की वकालत की थी, लेकिन इसके उलट उसके मंत्रियों ने वीआईपी नंबरों वाली इनोवा गाड़ियों का उपयोग करना शुरू कर दिया, जो पहले भी मंत्री किया करते थे। हालांकि उन कारों पर लालबत्ती नहीं है, लेकिन यह सब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के चलते हुआ है।
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दूसरी ओर 7/6 डीडीए ऑफिसर्स कॉलोनी, भगवानदास रोड, नई दिल्ली पर अब केजरीवाल का आवास होगा। लुटियंस दिल्ली में मुख्यमंत्री को मिलने वाला आलीशान सरकारी बंगला लेने से इनकार करने वाले केजरीवाल ने दिल्ली में सरकारी फ्लैट स्वीकार कर लिया है। केजरीवाल को एक दूसरे से सटे दो फ्लैट आबंटित हुए हैं। एक में उनका दफ्तर होगा और दूसरे में वो खुद रहेंगे।
अगले पन्ने पर, इन बंगलों से बड़ा है केजरीवाल का बंगला...
हालांकि केजरीवाल का फ्लैट मुख्यमंत्री बंगले जैसा आलीशान नहीं है, लेकिन ये फ्लैट आम आदमी के फ्लैट जैसा भी नहीं है। एक जानकारी के मुताबिक दोनों अपार्टमेंट में 5-5 बेडरूम और एक-एक लॉन हैं। दोनों अपार्टमेंट का कुल एरिया है करीब 9 हजार वर्ग फीट और बिल्ट अप एरिया है करीब 6 हजार वर्ग फीट है। शहरी विकास मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक केजरीवाल को मिला अपार्टमेंट कई सुप्रीम कोर्ट जजों के बंगलों और केंद्रीय मंत्रियों के बंगले से बड़ा है।
अगले पन्ने पर, बंगला मिलने पर क्या बोले केजरीवाल...
क्या बोले केजरीवाल : सरकारी आवास लेने पर आलोचनाओं का सामना कर रहे मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि उनका घर सिर्फ पांच कमरों का है, जबकि दूसरे में उनका दफ्तर होगा। उन्होंने कहा कि अंतर सिर्फ इतना ही है कि पहले चार कमरों वाले घर में रहता था, अब पांच कमरों वाले घर में रहूंगा। उन्होंने कहा कि आप चाहें तो पुराने मुख्यमंत्री के आवास से भी इसकी तुलना कर सकते हैं।
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बंगले को लेकर यह विवाद इसलिए भी उठ खड़ा हुआ है क्योंकि केजरीवाल और उनके साथियों ने चुनाव से पहले कहा था कि वे साधारण लोगों की तरह रहेंगे और वे किसी भी तरह के वीआईपी कल्चर के खिलाफ हैं लेकिन शायद उन्हें तब इस बात का अहसास नहीं था कि एक बाद बड़े संवैधानिक पद संभालने के लिए कई तरह की सुविधाएं ऐसी होती हैं जिनके बिना आपका गुजारा नहीं होता है।
आप सरकार के मंत्रियों और मुख्यमंत्री केजरीवाल के लिए वायदों और जमीनी वास्तविकता के बीच के अंतर को पाटने के लिए बड़ी कड़ी मशक्कत करनी होगी क्योंकि उनकी ऐसी सभी बातों के लिए आलोचना की जाएगी जिन्हें केजरीवाल और उनके साथियों ने ना लेने की बात कही थी।