आया मेघों को रहम, बढ़ा पौधों का जीवन

देश के अधिकांश इलाकों में अच्छी बारिश जारी

Webdunia
शनिवार, 5 सितम्बर 2009 (11:01 IST)
सरकार ने दावा किया है कि पिछले पखवाड़े से हो रही बरसात के कारण धान, तिलहन और दालों का रकबा बढ़ रहा है। इससे सूखे के असर से निपटने में मदद मिलेगी तथा आगामी रबी फसल में इसका जबरदस्त लाभ मिलेगा।

PTI
कृषि आयुक्त एनबी सिंह ने यहाँ बताया कि उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा, पंजाब, उड़ीसा और राजस्थान के कुछ इलाकों में अच्छी बरसात हो रही है। हालाँकि यह सामान्य से 22 प्रतिशत कम रही है। उन्होंने कहा कि पिछले चार दिनों में बहुत अच्छी वर्षा होने से विलंब से की गई बुआई के बावजूद खड़ी फसल को बहुत फायदा पहुँचा है।

सिंह ने कहा कि अगर अगले 15-20 दिन ऐसी ही बरसात हुई तो आने वाली रबी फसल के अच्छा होने से खरीफ में हुए नुकसान की भरपाई संभव हो सकेगी। उन्होंने कहा कि शुरुआत में बरसात कम होने के कारण उत्तरप्रदेश और बिहार में खासकर धान का रकबा घटा है।

उत्तरप्रदेश मे 20 लाख टन और बिहार में दस लाख टन धान की पैदावार घटने की आशंका है, जिससे कुल उत्पादन 45 से 50 लाख टन कम होने की संभावना है। उन्होंने दावा किया है कि हरियाणा और पंजाब में फसलों की स्थिति बहुत अच्छी है। दोनों राज्यों में वर्षा भी बहुत अच्छी हुई, जिससे उत्पादकता में वृद्धि होगी। इसके अलावा उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में भी धान का उत्पादन अच्छा होने की उम्मीद है।

सरकार के आँकड़ों के अनुसार तीन सितंबर तक धान की बुआई का रकबा घटकर 302.20 लाख हेक्टेयर हो गया, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि तक यह आँकड़ा 365.80 लाख हेक्टेयर था। धान समेत ज्वार, बाजरा और मक्का का बुआई रकबा 184.49 लाख हेक्टेयर रहा है, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 190.72 लाख हेक्टेयर रहा था।

तीन सितंबर तक दाल दलहन के रकबे में वृद्धि दर्ज की गई है। अरहर, उड़द और मूँग का रकबा 93.09 लाख हेक्टेयर हो गया है। पिछले साल की इसी अवधि तक यह आँकड़ा 89.34 लाख हेक्टेयर का रहा था। सरकार का कहना है कि अगस्त के अंतिम सप्ताह और सितंबर के प्रथम सप्ताह में हो रही बरसात से पहले हो चुकी बुआई की उत्पादकता बढ़ेगी और जिन क्षेत्रों में 15 सितंबर तक बुआई चलती है, वहाँ इसका लाभ मिलेगा।

सरकार के आँकड़ों के अनुसार तिलहन के रकबे में कमी आई है। यह पिछले वर्ष के 175.20 लाख हेक्टेयर से घटकर 162.80 लाख हेक्टेयर रह गया। हालाँकि सरकार का मानना है कि उत्तरप्रदेश, बिहार और राजस्थान के कुछ हिस्सों में तोरिया की बुआई हो रही है। इसके अलावा आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में अरंडी और नाइजर की बुआई चल रही है।

सिंह ने कहा कि देश में सोया और कपास की स्थिति बहुत अच्छी है। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में मौसम सोया की खेती के अनुकूल है।

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