इन अमरनाथ यात्रियों की मौतों का जिम्मेदार कौन?

-सुरेश एस डुग्गर

Webdunia
श्रीनगर। अमरनाथ यात्रा में भाग लेने वाले अमरनाथ यात्रियों में से अधिकतर ने क्या इस बार जाली पंजीकरण पत्रों का इस्तेमाल किया? यह सवाल अभी तक हार्टअटैक से होने वाली 40 मौतों के बाद उठ खड़ा हुआ है क्योंकि स्वास्थ्य कारणों से होने वाली मौतें पूरी तरह से असली थीं क्योंकि उन्होंने जो चिकित्सा प्रमाण पत्र उपलब्ध करवाए थे, वे अब शक घेरे में हैं।
FILE


अभी तक अमरनाथ यात्रा में स्वास्थ्य कारणों से 40 लोग प्राकृतिक मौत का शिकार हो चुके हैं। अधिकतर की मृत्यु हृदय गति रूकने से हुई। उनकी जांच करने वाले डॉक्टरों का मानना था कि वे इस काबिल नहीं थे कि वे अमरनाथ जैसी दुर्गम यात्रा कर सकें। फिर भी उन्होंने इस यात्रा में भाग लिया। यात्रा में शामिल होने के लिए उन्होंने बोर्ड की उस आवश्यक शर्त को भी पूरा करते हुए अपने स्वास्थ्य के प्रति चिकित्सा प्रमाण पत्र दिया था। इस प्रमाण पत्र के अनुसार, श्रद्धालु यात्रा के योग्य है।

तो फिर वे मौत का शिकार क्यों हो गए। उनके चिकित्सा प्रमाण पत्रों पर शक करने वाले अधिकारियों का आरोप है कि ये झूठे हो सकते हैं। ठीक उसी प्रकार जिस तरह से एक बार कई अमरनाथ श्रद्धालुओं ने यात्रा में भाग लेने के लिए जाली पंजीकरण पत्रों का सहारा लिया था।

नतीजतन 40 लोग अकाल मृत्यु के शिकार हो गए। अधिकतर हृदय गति रूकने से परलोक सिधार गए। एक-दो की मृत्यु बीमार होने तथा सर्दी को सहन न करने से हुई। इन लोगों के स्वास्थय की जांच करने वाले राज्य सरकार के डॉक्टरों का कथन था कि वे पहाड़ी यात्रा के अयोग्य थे। इन लोगों को अमरनाथ गुफा में बनने वाले पवित्र शिवलिंग के दर्शनों की इच्छा खींच लाई थी।

माना कि यह लोग प्राकृतिक मौत का शिकार हुए हैं लेकिन यात्रा में भारी बारिश तथा मौसम के खराब हो जाने के कारण कई लोग जबरदस्त बीमार पड़ गए थे। उनके स्वास्थ्य की जांच करने पर भी यही निष्कर्ष निकलता है कि उनमें से कई पहाड़ी दुर्गम यात्रा के अयोग्य हैं।

ऐसे में उनके चिकित्सा प्रमाण पत्रों पर शंका व्यक्त की जा रही है। हालांकि बीमार यात्रियों का कहना है कि चिकित्सा प्रमाण पत्र सही हैं। और अपने स्‍वास्‍थ्‍य की जांच करवाने के उपरांत ही उन्होंने यह लिए थे। लेकिन यात्रा मार्ग में तैनात चिकित्साधिकारी इसे नकली कहते हैं।

असल में वर्ष 1996 में अमरनाथ यात्रा के दौरान पहली बार होने वाली भयानक त्रासदी, जिसमें 300 से अधिक अमरनाथ यात्री मारे गए थे, के उपरांत डॉक्‍टर नितिन सेनगुप्त समिति की सिफारिशों में से एक सिफारिश, यात्रा में भाग लेने के लिए पंजीकरण तथा चिकित्सा प्रमाण पत्र लगाने की औपचारिकता अभी तक जारी है।

लेकिन पिछले कुछ सालों से यह देखने में आ रहा है कि यात्रा में भाग लेने के इच्छुक लोगों द्वारा अक्सर ‘नकली‘ चिकित्सा प्रमाण पत्रों का सहारा लिया जा रहा है। यह इससे भी स्पष्ट है कि पिछले साल भी स्वास्थ्य कारणों से 38 से अधिक अमरनाथ यात्री प्राकृतिक मौत का शिकार हुए थे।

अधिकारियों के अनुसार, अमरनाथ यात्रा में भाग लेने के लिए आने वाले यात्रियों द्वारा उपलब्ध करवाए जाने वाले चिकित्सा प्रमाण पत्रों पर उन्हें विश्वास करना ही पड़ता है। वे कहते हैं कि उनके पास इसके अतिरिक्त कोई रास्ता भी नहीं है और इसी का लाभ अमरनाथ यात्री उठाते हैं जो कभी-कभी यात्रा के दौरान प्राकृतिक मौत का शिकार भी हो जाते हैं।

हालांकि इन परिस्थितियों से बचाव के लिए, ताकि बाद में कोई श्राइन बोर्ड पर आरोप न मढ़े, बोर्ड तो उपाय करने की कोशिश कर रहा है मगर यात्रियों की संख्या को देखते हुए वह ऐसा कर पाने में अपने आपको असमर्थ पा रहा है।

वेबदुनिया पर पढ़ें

Show comments

जरूर पढ़ें

Operation Mahadev क्या है, जिसमें ढेर हुआ पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड हाशिम मूसा

1 घंटे में कैसे मार गिराए आतंकवादी, किसने उठाया ऑपरेशन महादेव पर सवाल

रक्षामंत्री राजनाथ ने संसद में दी जानकारी, पाकिस्तान की गुहार पर रोका गया ऑपरेशन सिंदूर

पहलगाम का बदला, जम्मू कश्मीर के दाचीगाम में 3 आतंकवादी ढेर

अद्भुत संयोग! पीएम मोदी पक्षियों पर बोल रहे थे, तभी मंत्री के कंधे पर आ बैठा पक्षी (वीडियो)

सभी देखें

नवीनतम

देश को ऑपरेशन तंदूर चाहिए था, सिंदूर नहीं, लोकसभा में सपा सांसद राजभर का बयान

जम्मू-कश्मीर में मारे गए आतंकियों को लेकर क्‍या बोले उपराज्यपाल मनोज सिन्हा

प्रियंका गांधी का विदेश मंत्री से सवाल, ऑपरेशन सिंदूर में अमेरिका के रोल पर चुप क्यों हैं?

वाडियार राजा का अनादर नहीं किया, बयान की गलत व्याख्या की गई : यतींद्र सिद्धारमैया

डोनाल्ड ट्रंप का मुंह बंद कराओ या भारत में.. संसद में दीपेंद्र हुड्डा ने सरकार से की यह मांग