उत्तराखंड आपदा, स्पीकर ने कहा 10000 से ज्यादा मौत

-महेश पांडे, देहरादून से

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उत्तराखंड विधानसभा के स्पीकर गोविंदसिंह कुंजवाल ने यह कहकर सरकार के दावों की पोल खोल दी है कि केदारघाटी में मरने वालों की संख्या 10000 से अधिक हो सकती है। सरकारी आंकड़े इस क्षेत्र में तबाही पर 842 मौत की बात कर रहे हैं।

हालांकि स्वयं मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा हजार से अधिक लोगों के मरने की संभावना व्यक्त कर चुके हैं, लेकिन स्पीकर के आंकड़े से सरकार भी कटघरे में है। मौतों की सही संख्या का पता लगाने के लिए सरकार क्या कर रही है, यह सवाल मुंहबाए खड़ा है।

उत्तरकाशी जिले के भागीरथी नदी के उफान से एक बार फिर तबाह की खबरें आ रही हैं। उत्तरकाशी के ही भड़ासू गांव में 23 लोग मर चुके हैं। इनमें कई बच्चे शामिल हैं। गांव में तबाही के बाद से लगातार लोग रो रहे हैं। उनके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे, लेकिन सरकार ने इस गांव का अब तक रुख नहीं किया है। क्यों दुखी हैं लोग राज्य सरकार से... आगे पढ़ें...

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कई गांव की महिलाएं विधवा हो चुकी हैं तो कई माओं की गोद सूनी हो गई। किसी के बुढ़ापे की लाठी खो गई।‍ 85 वर्ष का बेटा खोकर महेंद्रसिंह और पत्नी का कहना है कि बेटे के शव को निकालना भी उनके बूते की बात नहीं है।

35 गांवों की 40 हजार लोगों की जिंदगी अब भी रात-दिन जग रही है। इस आपदा की कितने कुल लोग भेंट चढ़ गए, यह सच कब तक सामने आएगा इसकी कोई गारंटी नहीं, लेकिन सरकार ने जो रवैया दुखी लोगों के प्रति अपनाया है वह काफी हैरान करने वाला है।

देहरादून के ज्योलीग्रांट एयरपोर्ट में हो या फिर सहस्त्रधारा हेलीपैड, सब जगह सैकड़ों लोग अपने खो गए रिश्तेदारों को तलाशने के लिए रात-दिन दौड़भाग कर रहे हैं, लेकिन किसी को कोई उम्मीद तक बंधाने की कोशिश नहीं हो रही। समझ नहीं आ रहा, खुशी मनाएं या गम... आगे पढ़ें...

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कई राज्यों ने अपने आपदा प्रभावित नागरिकों की जानकारी जुटाने व फंसे लोगों को सकुशल भेजने को कैम्प लगाए हैं, लेकिन जिन लोगों के अपने लापता हुए हैं, उनका दर्द है कि खत्म होने का नाम नहीं ले रहा।

ऐसे माहौल में कई मानवीय चेहरे दिखने से भी दिल को सुकून मिलता है। कानपुर में अपने ताऊ व ताई के साथ केदारनाथ यात्रा पर आई कानपुर निवासी 9 वर्षीय बच्ची शिवानी किसी तरह बच गई क्योंकि उस पर ग्वालियर निवासी मृत्युंजय गोस्वामी की नजर पड़ गई थी।

मृत्युंजय गोस्वामी शिवानी को अपने साथ हेलीकॉप्टर से सुरक्षित निकालकर लाए। ग्वालियर पहुंचने के बाद उन्होंने शिवानी के माता-पिता को फोन कर उनकी बच्ची की सूचना दी। शिवानी के माता-पिता बच्ची को देख खुश तो हैं, लेकिन अपने भाई व भाभी का पता न मिलने से काफी दुखी भी हैं। किसी ने होश खोया, किसी की जुबान चली गई... आगे पढ़ें...

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कोई ऐसा राज्य नहीं है जिसके निवासी इस आपदा में लापता न हुए हैं। उत्तराखंड के ही तेरह सौ से अधिक लोगों के लापता होने की अब तक सूचनाएं दर्ज हो चुकी हैं। उत्तरप्रदेश की भी लापता लोगों की सूची लगातार बड़ी हो रही है। गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश, चंडीगढ़, पंजाब, तमिलनाडु समेत अधिसंख्य राज्यों के लापता लोगों के अपने अपनों को तलाशने उत्तराखंड के तमाम क्षेत्रों में यत्र-तत्र बदहवास पूछताछ करते दिख रहे हैं, लेकिन इनकी पूछताछ का कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिल रहा।

कई लोग सदमे में अपने होश खो बैठे हैं तो कई की हालत ऐसी हुई कि उनकी जुबान ही चली गई। ऐसा ही एक उदाहरण है राजकुमार दादाभाई का, राजकुमार गुजरात के जूनागढ़ के निवासी हैं। वे इस आपदा में तेरह दिन तक फंसे रहे। बाद सेना के जवानों को ये रामबाड़ा के पास गुफा में मिले। सेना ने इन सज्जन को गुप्तकाशी के अस्पतालमें भर्ती कराया गया है। इनको हादसे से इतना बड़ा झटका लगा कि उनकी जुबान ही बंद हो गई। ईडियट चला रहे हैं उत्तराखंड सरकार... आगे पढ़ें...

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सत्रह सौ लोग बद्रीनाथ तो हजार से अधिक लोग धारचूला के ऊपरी क्षेत्र में अब भी फंसे हैं। स्पीकर कुंजवाल ने इस बात को भी स्वीकारा है। प्रद्रह दिन बीतने को हैं, लेकिन आपदाग्रस्त गांव एवं उनके ग्रामीणों की मुसीबत खत्म होने का नाम अब भी नहीं ले रही है। केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री एवं राज्य के दिग्गज कांग्रेस नेता हरीश रावत ने ने भी इस बात को स्वीकारा है कि तबाही के संकेतों को राज्य सरकार नहीं समझ पाई।

उत्तरप्रदेश के रसूखदार मंत्री आजमखान ने भी सरकार के खिलाफ यह बयान दिया है कि वह आपदा के छह दिन के बाद हरकत में आई, जबकि केन्द्रीय एजेंसियां राहत का काम संभालने लगी। आजम खान ने यह भी टिप्पणी की कि सरकार को ईडियट चला रहे हैं।

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