केदारनाथ मंदिर के मुख्य तीर्थ पुरोहित ने कहा कि 16 जून को शाम करीब 8 बजे के बाद अचानक मंदिर के पीछे ऊपर वाले पहाड़ी भाग से पानी का तेज बहाव आता दिखा। इसके बाद तीर्थयात्रियों ने मंदिर में शरण ली। रातभर लोग एक-दूसरे को ढांढस बंधाते दिखे।
पानी, रेत, चट्टान, पत्थर और मिट्टी के सैलाब ने पूरी केदार घाटी के पत्ते-पत्ते को उजाड़ दिया। पहाड़ों में धंसी बड़ी-बड़ी मजबूत चट्टाने भी टूटकर पत्थर बन गई। सैलाब के सामने कोई नहीं टिक पाया लेकिन आश्चर्यजनक रूप से मंदिर और शिवलिंग कैसे बच गया।
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