किससे है आसाराम को जान का खतरा...

जयपुर से विशेष संवाददाता

Webdunia
मंगलवार, 7 जनवरी 2014 (11:21 IST)
प्रवचनकार आसाराम बापू नाबालिग से यौन उत्पीड़न के आरोप में जोधपुर जेल में बंद हैं। आसाराम का कहना है कि जेल में उन्हें जान का खतरा है। कोई पर जेल में उन पर जानलेवा हमला कर सकता है। आसाराम ने जेल प्रशासन के माध्यम से एक प्रार्थना पत्र जोधपुर सेशन कोर्ट को भी भेजा है।

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करोड़ों अनुनायियों का दंभ भरने वाले कथाकार आसाराम बापू ने प्रार्थना पत्र में कहा है कि कोर्ट में सुनवाई पुलिस उन्हें अन्य बंदियों के साथ ही लाती ले जाती है। उस गाड़ी में उनका कोई विरोधी भी हो सकता है, इससे उनकी जान को खतरा है। इसलिए उन्हें अलग वाहन में कोर्ट लाया जाए।

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अपनी सिद्धियों से दूसरों के रोगों को दूर करने का दावा करने वाले आसाराम को लकवे का डर भी सता रहा है। अपने आश्रमों में दवाइयां बेचकर बीमारियां दूर करने वाले आसाराम का कहना है कि सुनवाई से पहले और सुनवाई के बाद उन्हें कोर्ट परिसर की जिस बैरक में रखा जा रहा है, उसमें उनको काफी ठंड लगती है। बुढ़ापा होने की वजह से उन्हें लकवा भी हो सकता है।

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जब जोधपुर कोर्ट में आसाराम की सुनवाई होती है, उनके सैकड़ों समर्थन कोर्ट परिसर में इकट्ठा हो जाते हैं। शुक्रवार को आम बंदियों के साथ आए आसाराम के चेहरे पर हताशा देखकर समर्थकों के आंसू निकल गए। समर्थकों में बड़ी संख्या में महिलाएं थीं।

न्यायालय में पेशी के बाद बाहर आने पर कई महिलाओं ने दंडवत होकर उनको प्रणाम किया। पहले बीमारी और फिर कोर्ट परिसर में बने बैरक में दिनभर रहने के कारण आसाराम के चेहरे पर थकान नजर आई। आसाराम जिस जमीन से गुजरे वहां की जमीन को उनके अनुयायियों ने चूमा।

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आसाराम ने हाईकोर्ट से फिर जमानत मांगी है। आसाराम की ओर से बुधवार को हाईकोर्ट में द्वितीय जमानत याचिका दायर की गई। संभवत: गुरुवार को न्यायाधीश निर्मलजीत कौर की अदालत में सुनवाई होगी। हाईकोर्ट से एक बार उनकी जमानत याचिका अस्वीकार हो चुकी है।

उधर आसाराम सहित अन्य आरोपियों की ओर से हाईकोर्ट में दायर निगरानी याचिका पर भी बुधवार को सुनवाई नहीं हो पाई। समयाभाव के कारण आरोपियों के अधिवक्ताओं ने सुनवाई टालने का आग्रह किया।

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अभियोजन पक्ष ने आरोपी पक्ष पर मामले की सुनवाई को लंबा खींचने का आरोप लगाया है। विशिष्ट लोक अभियोजक राजूलाल मीणा ने सेशन न्यायाधीश (जोधपुर जिला) मनोज कुमार व्यास को दिए प्रार्थना पत्र में कहा है कि अदालत द्वारा प्रसंज्ञान लेने के बाद मामले में 16 बार पेशी हो चुकी है, लेकिन चार्ज बहस अभी भी शुरू नहीं हो पाई है।

उनका कहना था कि चार्ज बहस शुरू करने पर किसी भी न्यायालय ने रोक नहीं लगाई है, लेकिन आरोपी पक्ष के अधिवक्ता अलग-अलग तरह के प्रार्थना पत्र पेश कर सुनवाई टाल रहे हैं। हाईकोर्ट ने इस मामले में नियमित सुनवाई के आदेश दे रखे हैं और वह चार्ज बहस शुरू करने को तैयार हैं। अदालत ने आसाराम तथा अन्य आरोपी गुरुकुल की वार्डन शिल्पी, निदेशक शरदचन्द्र, सेवादार शिवा व रसोइया प्रकाश को पेश होने से छूट प्रदान करते हुए उन्हें 9 जनवरी को पेश करने के निर्देश दिए।

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आसाराम ने अपनी बीमारी की आशंका जताई थी, इसके बाद उन्हें पंचकर्म चिकित्सा दी गई। पंचकर्म चिकित्सा के दौरान आसाराम को विवि में वीआईपी ट्रीटमेंट दिया गया। उपचार में पंचकर्म के तहत सबसे पहले शिरोधारा से 45 मिनट तक उनका उपचार किया गया। इसके बाद अभ्यन (मेडिकेटेड मसाज) और स्वेदन की क्रियाएं की गई।

करीब सवा दो घंटे तक उपचार चला। उपचार के दौरान कक्ष में पुलिसकर्मी मौजूद रहे। इनके उपचार के तुरंत बाद उपचार कक्ष पर ताला लगा दिया गया। आसाराम के आयुर्वेद चिकित्सालय में पंचकर्म के उपचार के दौरान पंचकर्म का उपचार लेने आए अन्य मरीज चिकित्सक के अभाव में भटकते रहे।

पंचकर्म विभाग के प्रमुख व मुख्य चिकित्सक डॉ. महेश शर्मा आसाराम के उपचार में व्यस्त थे। मरीज भी इंतजार में उनके कक्ष के बाहर बैठे रहे। जैसे ही वे बाहर आए मरीजों ने उन्हें रोककर बाहर ही दिखाना शुरू कर दिया।

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आसाराम मामले में अभियोजन पक्ष ने पीडिता के बयानों की सीडी व मौके की वीडियोग्राफी की सीडी आरोपी पक्ष को देने से इनकार कर दिया है। आसाराम के अधिवक्ता के आग्रह पर सेशन न्यायालय (जोधपुर जिला) मनोज कुमार व्यास ने उनको सीडी देने के आदेश दिए थे, लेकिन अभियोजन पक्ष का कहना है कि उक्त सीडी 'आर्टिकल' की श्रेणी में है, जिसे आरोपियों को देने के लिए वह बाध्य नहीं है।

लिहाजा वे सेशन न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में निगरानी याचिका दायर करने की तैयारी कर रहे हैं। विशिष्ट लोक अभियोजक राजूलाल मीणा ने बताया कि निगरानी याचिका दायर करने के लिए उन्होंने जिला कलक्टर से अनुमति चाही है। अनुमति मिलते ही उच्च न्यायालय में निगरानी याचिका दायर करते हुए सेशन न्यायालय के आदेश को चुनौती दी जाएगी। इधर सीडी की कॉपी नहीं मिलने तक मामले में चार्ज बहस शुरू नहीं हो पा रही है।

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