पवार को थप्पड़, जनता का गुस्सा या कुछ और..

Webdunia
गुरुवार, 24 नवंबर 2011 (19:38 IST)
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राजनेताओं और मशहूर शख्सियतों पर मैगों पीपल या आम आदमी ने खुलेआम अपना गुस्सा निकालना शुरू कर दिया है। हाल ह ी की घटनाओं पर गौर करें तो पता चलेगा कि ग्रेग चैपल से लेकर शरद पवार पर आ म आदम ी क ा गुस्सा सीधे-सीधे लोकतंत्र में एक ऐसे खतरनाक मो ड़ की ओर इशारा कर रहा है, जहां कभी भी स्थिति विस्फोटक हो सकती है।

कुछ समय पहले फारुख अब्दुल्ला पर एक पुलिसकर्मी ने जूता फेंका था। कोर्ट परिसर में पूर्व संचार मंत्री सुखराम की पिटाई हो या छेड़छाड़ के मामले में सजा सुनाए जाने के बाद डीजीपी राठौर पर कोर्ट परिसर में हुआ हमला।

गृह मंत्री पी चिदंबरम पर फेंका गया जूता या सुरेश कलमाड़ी पर सीबीआई कोर्ट के बाहर फेंकी गई चप्पल को छोटा-मोटा आक्रोश समझना एक भूल होगी। यह भी याद रखना जरूरी है कि एक रैली के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर भी जूता फेंकने की कोशिश की गई थी।

भाजपा के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी पर भाजपा के ही एक कार्यकर्ता ने जूता फेंका था। वरुण गांधी पर भी जूते उछाले जा चुके हैं। ऐसी प्रतिक्रिया आम आदमी की हताशा या उसके अंदर उबलते आक्रोश की अभिव्यक्त्ति मात्र नहीं है।

आम जनता भ्रष्टाचार, लाल फीता शाही और लगातार बढ़ती महंगाए से इस कदर परेशान है कि अब वोट के बजाए कभी जूते की शक्ल में तो कभी थप्पड़ के रूप में अपने गुस्से का इजहार कर रही है। हो सकता है कि शरद पवार को मारा गया तमाचा किसी सिरफिरे द्वारा सिर्फ प्रसिद्धि पाने का जरिया मात्र हो। लेकिन सोशल मीडिया पर इस घटनाक्रम पर आने वाली प्रतिक्रिया से साफ पता चलता है कि भारत के युवाओं की नजर में यह तमाचा मार कर हरविन्दरसिंह ने कुछ भी गलत नहीं किया।

फेसबुक पर कई लोगों ने शरद पवार को मारे गए थप्पड़ के वीडियो शेयर किए हैं। कई लोगों ने अपने पोस्ट में लिखा है कि थप्पड़ से डर नहीं लगता मंत्रीजी, महंगाई से लगता है। तो कोई लिख रहा है कि जिस तरह खानेपीने की चीजें महंगी हो रही हैं वो दिन दूर नहीं जब थप्पड़ की जगह गोली चल सकती है।

कुछ लोगों ने भगतसिंह के असेंबली बम कांड का उल्लेख करते हुए लिखा है कि बहरे कानों को सुनाने के धमाके और सोते हुए नेताओं को जगाने के लिए तमाचे की जरूरत होती है।

गौरतलब है कि हाल ही में भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर इसी तरह महंगाई बढ़ती रही तो जनता हिंसा पर उतारू हो सकती है। शरद पवार पर हुए इस हमले को कुछ कांग्रेसी इसी बयान का परिणाम मान रहे हैं। (वेबदुनिया डेस्क)

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