भारत से थोड़ी ज्यादा की उम्मीद-फिलिस्तीनी राजदूत

-शोभना जैन

Webdunia
नई दिल्ली। गाजा में पिछले लगभग एक माह से जारी भीषण मारकाट के बाद मंगलवार से इसराइल तथा फिलिस्तीन के बीच लागू 72 घंटे के युद्धविराम दौरान, गाजा में पसरी तूफान पूर्व सी शांति के बीच भारत स्थित फिलिस्तीन के राजदूत अदली शबनम हसन सादिक ने उम्मीद जताई है कि इसराइल अपने पिछले अविश्वसनीय रिकॉर्ड के बावजूद इस बार युद्धविराम का पालन करेगा।
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उन्होंने कहा कि फिलिस्तीन अपने मुद्दे पर भारत के समर्थन की प्रशंसा करता है, लेकिन भारत को अधिक मुखर होकर इसराइल के कब्ज़े तथा वहां लगातार हिंसा की निंदा करनी चाहिए। हमारी उम्मीद, भारत से थोड़ी ज़्यादा की है। सादिक ने कहा कि भारत एक महान राष्ट्र है, उन्हें उ्म्मीद है कि वह विश्व बिरादरी में अपनी साख के अनूरूप भूमिका निभाएगा।

इस संवाददाता के साथ यहां एक विशेष साक्षात्कार में सादिक ने काहिरा में मिस्र की मध्यस्थता में दोनों पक्षों के बीच हो रही मौजूदा वार्ता के सकारात्मक परिणाम निकलने की उम्मीद जताई, लेकिन साथ ही कुछ आशंका भी जताई कि अभी तक शांति के लिए रास्ता खोजने की बजाय इसराइल तबाही और मारकाट मचाता रहा है, इसलिए यह डर है।

साक्षात्कार में सादिक ने फिलिस्तीन मुद्दे पर भारत के साथ रिश्ते, अरब जगत के अनेक देशों द्वारा भारत के साथ दोस्ती के रिश्ते भारत जैसी भावना के साथ पूरी तरह से नहीं निभाने, इस्लामी संगठन देशों ओआईसी के कश्मीर को लेकर भारत विरोधी तथा पाक समर्थित नजरिए तथा कश्मीर मसले पर फिलिस्तीनी रुख सहित अनेक मुद्दों पर खुलकर विचार व्यक्त किए। फिलिस्तीन और भारत के रिश्तों की चर्चा करते हुए राजदूत ने कहा कि कांग्रेस शासन के साथ-साथ वर्ष 2004 में भाजपा ने राजग के साथ भी उनका अनुभव अच्छा रहा हैं।

फिलिस्तीन यह बात समझता है कि इसराइल के साथ भारत के राजनयिक रिश्ते हैं, महात्मा गांधी के समय से लेकर हमारे भारत के साथ बहुत अच्छे रिश्ते हैं। दुनिया में भारत की एक बड़ी भूमिका है, लेकिन हमारी उम्मीद उससे थोड़ी ज्यादा है। हम चाहते हैं कि भारत वहां शांति के लिए थोड़ा ज्यादा काम करे, उन्होंने कहा कि यह सही है भारत फिलिस्तीन मसले का समर्थक रहा है, हिंसा की वह निंदा करता रहा है, लेकिन मेरी राय में हमलावर और आत्मरक्षा में हमला करने वाले हमलों को एक ही समान समझकर उनकी निंदा करना सही नहीं है।

उन्होंने कहा कि इसराइल अपराधी है, हिंसा के इस मौजूदा दौर में उसने 2000 लोगों की हत्या की है, निहत्थे नागरिक, महिलाएं, मासूम बच्चे इसराइली बर्बरता के शिकार हो रहे हैं, गाजा वेस्ट बैंक सब जगह तबाही ही तबाही है। सवालों के जवाब में राजदूत ने कहा कि काहिरा में मिस्र की मध्यस्थता में दोनों पक्षों के बीच इस समय चल रही बातचीत में अगर इसराइल शांति से आगे बढ़ने के लिए सहमत होता है तो दोनों पक्ष आगे बातचीत कर सकते हैं|

उन्होंने कहा कि मैं भी उम्मीद कर रहा हूं कि बातचीत का नतीजा सकारात्मक हो, लेकिन अभी तक यही होता आया है कि इसराइल ने शांति का रास्ता खोलने की बजाये मारकाट की है, शांति प्रक्रिया के प्रयासों को नकारा है। गौरतलब है कि इस बातचीत में फिलिस्तीन जहां इसराइल से गाजा की पिछले आठ वर्ष से चली आ रही नाकेबंदी खत्म करने, बॉर्डर क्रॉसिंग खत्म करने पर जोर दे रहा है वहीं इसराइल गाजा को पूरी तरह से विसैन्यीकरण करने पर अड़ा है। उनके इस कथन की बाबत पूछे जाने पर कि अगर इसराइल येरुशलम को फिलिस्तीन की राजधानी के रूप मे स्वीकार करता है और उसके साथ शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व की भावना के साथ रहने को तैयार है, राजदूत ने कहा ग्स इसराइल की मौजूदा उग्र सरकार के शासन में उन्हें ऐसी उम्मीद नहीं है, लेकिन अगर वहां उदारवादी, जिम्मेवार सरकार कभी बने और येरुशलम हमारी राजधानी बनती है तो ऐसा हो सकता है, यह इसराइली जनता के भी हित में होगा, इसराइल के कई वर्गों मे हमारे मित्र हैं वे भी दोनों के बीच शांति चाहते हैं लेकिन इसराइल की मौजूदा सरकार के साथ तो ऐसा संभव प्रतीत नहीं होता है।

सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि इसराइल का यह कथन सरासर झूठ का पुलिंदा है कि हमास आतंकवादी संगठन है और यह कहना भी पूरी तरह से गलत है कि सऊदी अरब तथा संयुक्त अरब अमीरात कथित तौर पर हमास के सफाये के लिए इसराइल को पैसा दे रहे हैं। उन्होने कहा कि हमास ने फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना तथा इसराइल के साथ शांति से रहने का प्रस्ताव स्वीकार किया था, इसराइल हमें वहां से खदेड़ना चाहता है और उसने पूरे अरब जगत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, दरअसल उग्रवाद तो इसराइल का है और हमास शांति प्रक्रिया का पक्षधर है। आतंकी संगठन तो अलकायदा है जो मुंबई और अफगानिस्तान जैसी कितनी ही जगहों पर हमले का दोषी है। हमारे समाज ने आतंक को कभी स्वीकार नहीं किया और हमें उसकी भर्त्सना करने में कोई हिचकिचाहट नहीं रही।

गौरतलब है कि गाजा में पिछले 29 दिनों से चले आ रही भीषण लड़ाई के बाद कल युद्धविराम का पहला दिन और पहली रात मोर्टार के हमलों, गोलियों और तोपों की गड़गड़ाहट के बिना गुजरी। इसराइल ने कल इस क्षेत्र से अपनी फौजें हटा ली थीं। पिछले चार दिन में दूसरी बार दोनों पक्ष कल मानवीय आधार पर 72 घंटे के युद्धविराम पर सहमत हुए। गत एक अगस्त को भी अमेरिका तथा संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता में भी युद्धविराम पर सहमति हुई थी, लेकिन लागू होने के 90 मिनट के भीतर ही वह टूट गया, हमास और इसराइल दोनों ने ही इसके लिए एक दूसरे को दोषी ठहराया था।

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