एबीपी न्यूज के अनुसार हाईकोर्ट जज के रूप में इस जज की नियुक्ति 3 अप्रैल 2003 को हुई थी। उस समय देश में राजग का राज था। उन्हें मद्रास हाईकोर्ट में जज बनाया गया था। हालांकि भाजपा ने मामले पर सफाई देते हुए कहा कि हम पर कोई दबाव नहीं आया।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और वर्तमान में भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू ने सोमवार को यह आरोप लगाकर एक विवाद खड़ा कर दिया कि 3 पूर्व प्रधान न्यायाधीशों ने संप्रग सरकार के इशारे पर मद्रास उच्च न्यायालय के एक अतिरिक्त न्यायाधीश को विस्तार देने के मामले में समझौता किया था और संप्रग ने ऐसा इसके एक सहयोगी स्पष्टत: द्रमुक के दबाव में किया।
अगले पन्ने पर... भ्रष्ट जज के प्रमोशन पर मनमोहन की चुप्पी
मामले पर क्या बोले हंसराज भारद्वाज... अगले पन्ने पर...