महाशिवरात्रि पर मंदिरों में उमड़ा आस्था का सैलाब

Webdunia
रविवार, 10 मार्च 2013 (23:37 IST)
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नई दिल्ली। महाशिवरात्रि के अवसर रविवार को मंदिरों में मंत्रोच्चार के बीच श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। वहीं, उत्तर प्रदेश में बाराबंकी जिले के एक मंदिर में भगदड़ मचने की घटना में दो लोगों की मौत हो गई और 12 अन्य घायल हो गए।

महाशिवरात्रि के अवसर पर देश भर में श्रद्धा और उल्लास के साथ श्रद्धालुओं ने उपवास रखा और भगवान शिव का जलाभिषेक किया।

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिला के रामनगर स्थित लोधेश्वर महादेव मंदिर में आज तड़के शिवलिंग पर जलाभिषेक करने आए कांवड़ियों में मची भगदड़ में दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई तथा 12 अन्य घायल हो गए।

फैजाबाद मंडल के पुलिस उपमहानिरीक्षक पीयूष मोर्डिया ने घटनास्थल के निरीक्षण के बाद कहा कि हादसा भारी दबाव में बैरीकेडिंग टूटने से हुआ और इस मामले में जांच के आदेश दे दिए गए हैं। वाराणसी में लाखों शिवभक्तों ने गंगा स्नान के बाद श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा अर्जना की।

बीएचयू विश्वनाथ मंदिर, महामृत्युंजय, तिलभांडेश्वर, केदारेश्वर, रामेश्वर, ओंकारेश्वर और कैथी स्थित मारकंडेश्वर महादेव सहित जिले के सभी शिवालयों में सुबह से ही भक्तों की लंबी कतारें लगने लगीं।

उधर, इलाहाबाद में लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम में डुबकी लगा कर पवित्र स्नान किया और इसके साथ ही महाकुंभ का समापन हो गया।

संगम के तट पर मौजूद छोटे-बड़े सभी मंदिरों में आज सुबह से श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा क्योंकि लोग स्नान के बाद प्रार्थना करने के लिए मंदिरों में उमड़ रहे थे। महाशिवरात्रि के उत्सव को महाकुंभ का समापन दिन माना जाता है जो 14 जनवरी को मकर संक्रांति के साथ शुरू होता है।

इस अवसर पर गढ़वाल हिमालय के प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर के प्रमुख पुजारी ने 14 मई को मंदिर का कपाट खोले जाने की घोषणा की। यह भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में शामिल है।

वहीं, महाराष्ट्र के नासिक जिले में हजारों श्रद्धालुओं ने गोदावरी नदी में स्नान किया और त्रयंबकेश्वर, सोमेश्वर सहित अन्य मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना की।

कर्नाटक की राजधानी बेंगलूर में 65 फुट उंची भगवान शिव की प्रसिद्ध प्रतिमा के दर्शन के लिए श्रद्धालु घंटों कतार में खड़े रहे। इस बार यहां ‘लाइट एंड साउंड शो’ जैसी विशेष व्यवस्था भी की गई थी। मैसूर, मांड्या, चित्रदुर्ग, दावनगेरे, हुबली और गुलबर्ग सहित अन्य जिलों में भी यह त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

पुडुचेरी से प्राप्त खबर के मुताबिक विल्लनूर स्थित 12 वीं सदी के तिरूकामेश्वर मंदिर और शहर के बीचों बीच स्थित वेदापुरेश्वरर मंदिर सहित अन्य मंदिरों में भी भक्तों का तांता लगा रहा।

ओड़िशा की राजधानी भुवनेश्वर स्थित प्राचीन लिंगराज मंदिर सहित सभी शिवालयों में तड़के से श्रद्धालुओं का उमड़ना शुरू हो गया था। (भाषा)

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