Dharma Sangrah

जबर्दस्त वाजीकरण नुस्खा है सहजन के फूल और गाय का दूध

सेहत का खजाना है मुनगा

डॉ. दीपक आचार्य
सहजन (ड्रमस्टिक्स) या मुनगा जड़ से लेकर फूल और पत्तियों तक सेहत का खजाना है। सहजन के ताजे फूल और गाय का दूध ऐसा हर्बल टॉनिक है जिससे पुरुषों की मर्दाना कमजोरी और महिलाओं में सेक्स की कमजोरी दूर होती है।

सहजन की छाल का पावडर रोज लेने से वीर्य की गुणवत्ता में सुधार होता है तथा पुरुषों में शीघ्रपतन की समस्या भी दूर होती है। छाल का पावडर, शहद और पानी से ऐसा मिश्रण तैयार होता है जो शीघ्रपतन की समस्या का अचूक इलाज है।
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पेट के कृमियों का समाधान : मुनगा या सहजन या ड्रम स्टिक्स की करीब 50 ग्राम पत्तियों को लेकर चटनी बनाए जाए तो यह पेट के कृमियों को बाहर निकाल फेंकने में काफी कारगर होती है। चटनी बनाने के लिए पत्तियों को बारीक कुचल लिया जाए, इसमें स्वादानुसार नमक और मिर्च पाउडर भी मिला लिया जाए और इस पूरे मिश्रण को तवे या कढाही पर आधा चम्मच तेल डालकर कुछ देर भून लिया जाए। सप्ताह में एक या दो बार इस चटनी का सेवन बेहद गुणकारी होता है।

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और भी हैं कई गुण सहजन की फलियों में : सहजन की पत्तियों का सूप टीबी, ब्रोंकाइटिस तथा अस्थमा पर नियंत्रण के लिए कारगर समझा जाता है। इसका स्वाद बढ़ाने के लिए नींबू का रस, कालीमिर्च और सेंधा नमक मिलाया जा सकता है। यह हाजमें के लिए सबसे मुफीद सब्जी मानी जाती है।

ताजी पत्तियों को निचो़ड़कर निकाले गए रस को एक चम्मच शहद तथा एक गिलास नारियल के पानी के साथ लेना चाहिए। इससे कॉलरा, डायरिया, डीसेंट्री, पीलिया तथा कोलाइटिस की समस्या में आराम मिलता है। अगर पेशाब में अधिक मात्रा में यूरिया जा रहा हो तो मरीज को सहजन की ताजी पत्तियों के निचोड़े हुए रस के साथ खीरा या गाजर के रस के मिलाकर पिला दें। इससे तत्काल आराम मिलता है।

मुंहासों से निजात दिलाता है सहजन... पढ़ें अगले पेज पर...




मुंहासों से निजात दिलाएगा सहजन : सहजन की ताजा पत्तियों के निचोड़े हुए रस के साथ नींबू के रस से मुंहासों का कारगर इलाज किया जाता है। इससे ब्लेक स्पॉट्स हटते हैं साथ ही उम्र के कारण थकी और कांतिहीन त्वचा में नई जान फूंकी जा सकती है। इसी के साथ ही सहजन के फूलों के साथ पत्तियां, सहजन के बीज और जड़ से शरीर में हुई गठानों का इलाज किया जा सकता है।

जड़ रूखी और स्वाद में कड़वी होती है लेकिन फेफड़ों के लिए बढ़िया टॉनिक के रूप में काम करती है। यह कफ को बाहर निकालती है। मूत्रवर्धक होने से मूत्र संबंधी विकारों का निवारण भी करती है। जड़ों से तैयार किए गए रस से त्वचा के कई रोगों में राहत मिलती है।

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