गुप्त नवरात्रि के पांचवें दिन करें मां छिन्नमस्ता का पूजन, जानें कथा, महत्व और पूजा विधि

WD Feature Desk
सोमवार, 3 फ़रवरी 2025 (10:15 IST)
Goddess Chinnamasta : आज गुप्त नवरात्रि का पांचवां दिन हैं और इस नवरात्रि के पांचवें दिन मां छिन्नमस्ता की पूजा की जाती है। मां छिन्नमस्ता, मां दुर्गा का एक उग्र रूप हैं और उन्हें शक्ति और तेजस्विता का प्रतीक माना जाता है। इस देवी के गले में हड्डियों की माला होती है। गुप्त नवरात्रि में मां छिन्नमस्ता की पूजा का विशेष महत्व है। उनकी पूजा करने से व्यक्ति को साहस, आत्मविश्वास और शक्ति की प्राप्ति होती है। शांत भाव से इनकी उपासना करने पर यह अपने शांत स्वरूप को प्रकट करती हैं। ALSO READ: gupt navratri: गुप्त नवरात्रि की 3 देवियों की पूजा से मिलेगा खास आशीर्वाद
 
कैसा है मां छिन्नमस्ता का स्वरूप, जानें पूजा का महत्व : धार्मिक शास्त्रों की मान्यतानुसार मां छिन्नमस्ता का स्वरूप अत्यंत भयानक है। उनका सिर कटा हुआ है और उनके एक हाथ में अपना ही कटा हुआ सिर है। दूसरे हाथ में वे खड्ग धारण करती हैं। उनके गले में मुंडमाला होती है तथा कंधे पर यज्ञोपवीत है। 
 
मां छिन्नमस्ता की पूजा करने से व्यक्ति के अंदर साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। उनकी कृपा से व्यक्ति के सभी भय दूर होते हैं और वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होता है। मां छिन्नमस्ता की पूजा करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। यह भी माना जाता हैं कि मां छिन्नमस्ता की पूजा करने से व्यक्ति को वाणी सिद्धि प्राप्त होती है। इस माता का पूजन मनपूर्वक करने से व्यक्ति को धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।ALSO READ: माघ गुप्त नवरात्रि पर जानें महत्व, विधि और 10 खास बातें
 
मां छिन्नमस्ता की कथा क्या है : एक समय की बात है, मां पार्वती ने अपनी दो सखियों के साथ मंदाकिनी नदी में स्नान करते समय उन्हें भूख लगी। उनकी सखियों ने उनसे भोजन मांगा। मां पार्वती ने उन्हें कुछ देर प्रतीक्षा करने को कहा, लेकिन उनकी भूख बढ़ती ही जा रही थी। मां पार्वती से अपनी सखियों की भूख देखी नहीं गई। उन्होंने अपनी खड्ग से अपना सिर काट दिया। उनके सिर से रक्त की तीन धाराएं निकलीं। दो धाराओं को उनकी दोनों सखियों ने अपनी प्यास बुझाई और तीसरी धारा से स्वयं मां की प्यास बुझी।
 
देवी छिन्नमस्ता की पूजा विधि:
1. गुप्त नवरात्रि के पांचवें दिन सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
 
2. मां छिन्नमस्ता की प्रतिमा या चित्र को एक चौकी पर स्थापित करें।
 
3. उन्हें लाल फूल, अक्षत, धूप, दीप आदि अर्पित करें।
 
4. 'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीये हूं हूं फट् स्वाहा' मंत्र का जाप करें।
 
5. मां छिन्नमस्ता की कथा पढ़ें या सुनें।
 
6. अंत में आरती करें और मां से प्रार्थना करें।
 
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